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AMU के गे प्रोफेसर पर मूवी अलीगढ़, स्टिंग-बवाल और सुसाइड की वो कहानी
अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के 'गे प्रोफेसर' की जिंदगी और रहस्यमयी मौत पर बनी 'अलीगढ़' फिल्म तमाम विवादों के बीच आज रिलीज हो गई है। हंसल मेहता ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है। फिल्म में प्रोफेसर का किरदार बॉलीवुड एक्टर मनोज वाजपेयी और पत्रकार का रोल 'शाहिद' फेम राजकुमार राव ने निभाया है।
क्या है फिल्म की कहानी
-'अलीगढ़' फिल्म एएमयू में प्रोफेसर रहे डॉ. श्रीनिवास रामचंद्र सिरास की जिंदगी और उनके समलैंगिक रिश्ते पर आधारित है।
-इस फिल्म में मनोज बाजपेयी मराठी प्रोफेसर का किरदार निभा रहे हैं। उनको एक रिक्शा चालक के साथ शारीरिक संबंध बनाते दिखाया गया है।
-कुछ मीडियाकर्मी एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए वीडियो बनाकर इस बात को सुर्खियां बना देते हैं।
-इसके बाद प्रोफेसर को सस्पेंड कर दिया जाता है। शर्मिंदगी और लोगों के रवैये से आहत होकर प्रोफेसर अपने कमरे में फांसी लगाकर सुसाइड कर लेता है।
इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सिलेक्ट हुई थी फिल्म
-इसी स्कैंडल पर डायरेक्टर हंसल मेहता ने 'अलीगढ़' नाम से फिल्म बनाई है।
-इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग बरेली में हुई है। यह फिल्म इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए भी सिलेक्ट हो चुकी है।
-आज यह बड़ेे पर्दे पर भी रिलीज हो गई।
साल 2010 में हुआ था प्रोफेसर के 'गे' होने का खुलासा
-डॉ. श्रीनिवास एएमयू के मॉडर्न इंडियन लैंग्वेज में प्रोफेसर थे।
-एक टीवी चैनल के पत्रकार ने उनका एक वीडियो बनाया, इसमें उनके 'गे' होने का खुलासा हुआ।
-इस वीडियो के सामने आते ही मामले ने तूल पकड़ लिया था।
-एएमयू कैंपस में प्रोफेसर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगा।
-मजबूरन यूनिवर्सिटी प्रशासन को डॉ. श्रीनिवास सिरास को सस्पेंड करना पड़ा।
घटना के दो महीने बाद किया सुसाइड
-इस घटना के करीब दो महीने बाद प्रोफेसर ने जनकपुरी स्थित अपने कमरे में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।
-उनका शव कमरे में पंखे लटकता मिला था।
-इस मामले में कोर्ट के जरिए छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिसमें एएमयू के चार सीनियर अधिकारी भी शामिल थे।
-पुलिस ने भी जांच में पाया कि प्रोफेसर श्रीनिवास सिरास के रिक्शा चालक इरफान रोशन से संबंध थे।
-वह अक्सर प्रोफेसर के कमरे पर आता-जाता था।
इस केस की अहम कड़ी हैं पत्रकार आदिल मुर्तजा
-प्रोफेसर श्रीनिवासन सिरास मामले में पत्रकार आदिल को जेल जाना पड़ा था।
-जेल से छूटने के बाद उन्हें धमकी दी गई। उन्हें गुमनामी की जिंदगी जीने पर मजबूर किया गया।
-आदिल ने आरोप लगाया कि तत्कालीन एएमयू रजिस्ट्रार वीके अब्दुल जलील ने उन्हें जो भी दस्तावेज उपलब्ध कराए थे, वे प्रोफेसर के खिलाफ थे।
-रजिस्ट्रार के दफ्तर में उन्हें घंटों बुलाकर प्रोफेसर के बारे में जानकारी ली जाती थी।
बेहद शांत स्वभाव के थे प्रोफेसर
-डॉ. श्रीनिवास सिरास की 1988 में एएमयू में नियुक्ति हुई थी।
-वे बेहद शांत स्वभाव और सुलझे मिजाज के व्यक्ति थे।
-वे किसी से जल्दी घुलते-मिलते नहीं थे। डिपार्टमेंट में भी अपने काम से काम रखते थे और किसी से खास लगाव नहीं था।
-उनसे कोई मिलने भी नहीं आता था। हालांकि, उन्हें फिल्में देखने और पेटिंग बनाने का शौक था।
-इसके अलावा वे अखबारों में लेख भी लिखते थे।
मनोज ने बताया चैलेंजिंग था रोल
-मनोज वाजपेई ने एक इंटरव्यू में कहा कि रोल उनके लिए चैलेंजिंग था और इसमें काम कर उन्हें मजा आया।
-मनोज अलीगढ़ को फिल्म नहीं आंदोलन मानते हैं।अलीगढ़ उनके लिए अलग समाज की फिल्म है।
-जिसने एक लड़ाई को अलग और बेहद प्रतिष्ठित अंदाज से पेश किया गया है।
-अब गे विषय पर समाज में बहस हो रही है जबकि पहले इस पर कोई बात भी करना पसंद नहीं करता था।