देवबंदी उलेमाओं ने कहा- हाजी अली दरगाह में ना जाएं महिलाएं, होगा घातक

Admin
Published on: 29 April 2016 1:32 PM GMT
देवबंदी उलेमाओं ने कहा- हाजी अली दरगाह में ना जाएं महिलाएं, होगा घातक
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सहारनपुर: शनि शिंगणापुर मंदिर के बाद अब हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश के लिए संघर्ष कर रहीं भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई के अभियान को दारुल उलूम देवबंद के उलेमाओं ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका बताया। उलेमा ने महिलाओं के मजारों पर जाने को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए कहा कि ऐसे मजार जहां पर बिदआत (चादर, कव्वाली, तबररुक) हो रही हो, वहां पर तो मर्दों का भी जाना जायज नहीं है।

तंजीम अब्ना-ए-दारुल उलूम देवबंद के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने कहा- आज दुनियाभर में कुछ भेड़ बकरियों को आजाद करने की मांग कर रहे हैं, ताकि वह उनका आसानी से शिकार कर सकें।

-इस्लाम में औरतों को पर्दे में रहने का हुक्म दिया गया है। मजार तो दूर औरतों को आम हालत में कब्रिस्तान में भी जाने की इजाजत नहीं है।

-आंदोलन की वजह से इजाजत दे भी दी जाए तो मुस्लिम औरतें हाजी अली दरगाह में ना जाएं। ऐसी हर एक जगह जाने से बचें, जहां पर जाने की कोई खास जरूरत न हो।

अल कुरान फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना नदीमुल वाजदी ने तृप्ति के आंदोलन को सस्ती लोकप्रियता पाने का आसान तरीका बताया। उन्होंने कहा, मजारों पर जमकर बिदअते की जा रही हैं, जो गलत है। औरतों का वहां जाना घातक हो सकता है। इस्लाम ने औरतों के हुकूक सबसे ऊपर रखे हैं, इसलिए औरतों को इस्लाम की हुदूद में रहकर ही अपनी जिंदगी गुजारनी चाहिए।

जामिया हुसैनिया के नाजिमे तालिमात मौलाना तारिक कासमी ने कहा- इस्लाम में औरत के ऊपर हर हाल में पर्दे को फर्ज किया गया है, जो स्वयं उसकी ही सुरक्षा के लिए है। कब्रिस्तान, मजार आदि पर जाने से औरतों के बेपर्दा होने का खतरा है, जिसकी इस्लाम किसी कीमत पर इजाजत नहीं देता। सिर्फ औरतों को ही नहीं बल्कि मर्दों को भी ऐसे मजारों पर नहीं जाना चाहिए, जहां पर चादरें चढ़ाई जाती हों, कव्वालिये गाई जाती हो या फिर तबररुकात के नाम पर मजार पर चढ़ाए गए फूलों को तकसीम किया जाता हो। क्योंकि यह सब काम सरासर इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है।

दारुल इल्म के मोहतमिम मुफ्ती उस्मानी ने कहा कि इस्लाम ने औरत को बेहद खास स्थान दिया है। यही वजह है कि औरतों को भीड़ से अलग रखने के लिए ईद, जुमा और नमाजे जनाजा जैसी एहम इबादतों से औरतों को दूर रखा गया है। इतना ही नहीं इस्लाम औरत को ऐसी किसी भी जगह जाने से मना करता है, जहां पर जाने से उसकी हया या पाकदामनी को खतरा हो। इस्लाम औरतों को कब्रिस्तान या मजारों पर जाना की इजाजत नहीं देता बल्कि ऐसे मजार जहां पर रसमों के नाम पर जमकर बिदअत हो रही हों वहां पर तो मुस्लिम मर्दों का भी जाना जायज नहीं है।

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