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मुस्लिम महिलाओं के लिए बाल कटवाना और आइब्रो बनवाना इस्लाम के खिलाफ
दारूल उलूम देवबंद की ओर से जारी फतवे में मुस्लिम महिलाओं को बाल कटवाना और आइब्रो बनवाने को नाजायज करार दिया गया है। दारूल उलूम की ओर से जारी होने वाले फतवों के लिए विशेष तौर से एक फतवा विभाग तैयार है। इस विभाग को पत्र भेजकर या आॅनलाइन भी फतवा लिया जा सकता हैं या अपनी समस्या का समाधान पूछा जा सकता है।
सहारनपुर: दारूल उलूम की ओर से मुस्लिम महिलाओं के लिए एक फतवा जारी किया गया है। इस फतवे के जारी होने के बाद मुस्लिम महिलाएं अपने सौंदर्य को लेकर पशोपेश में नजर आ रही हैं।
दारूल उलूम देवबंद की ओर से जारी फतवे में मुस्लिम महिलाओं को बाल कटवाना और आइब्रो बनवाने को नाजायज करार दिया गया है। दारूल उलूम की ओर से जारी होने वाले फतवों के लिए विशेष तौर से एक फतवा विभाग तैयार है। इस विभाग को पत्र भेजकर या आॅनलाइन भी फतवा लिया जा सकता हैं या अपनी समस्या का समाधान पूछा जा सकता है।
इस्लाम के है खिलाफ
दरअसल कुछ दिनों पहले सहारनपुर के ही रहने वाले एक व्यक्ति ने दारूल उलूम के फतवा विभाग को सवाल कर जानकारी मांगी थी कि क्या उसकी पत्नी आइब्रो बनवा सकती है। उस व्यक्ति ने बाल कटवाने को लेकर भी जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में दारूल उलूम के फतवा विभाग ने फतवा जारी करते हुए कहा कि इस्लाम में आइब्रो बनवाने और बाल काटने की इजाजत नहीं है। अगर कोई महिला ऐसा करती है तो वह इस्लाम के खिलाफ है।
फतवा विभाग की ओर से यह तर्क दिया गया है कि महिलाओं के लिए जो दस प्रतिबंध बताए गए हैं, उनमें बाल काटना और आइब्रो बनवाना भी शामिल है। इतना ही नहीं फतवा में यह भी कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं के बाल महिलाओं की खूबसूरती होती है। जब तक कोई बेहद मजबूरी ना हो, तब तक बाल नहीं कटवाने चाहिए। बगैर किसी मजबूरी के बाल कटवाना नाजायज है।
फतवे को ठहराया जायज
मौलाना लुतफुर्रहमान सादिक कासमी मोहतमिम जामिया फातिमा जोहरा एग्लो अरबी ने इस फतवे की पुष्टि की है और फतवे को जायज ठहराया है। उनका कहना था कि दारूल को यह फतवा काफी पहले ही जारी कर देना चाहिए। उनके मुताबिक, मुस्लिम महिलाएं इन दिनों ब्यूटी पार्लर का काफी इस्तेमाल कर रही हैं, जो सही नहीं है। मौलाना ने आगे बताया कि जिस तरह पुरुषों का दाढ़ी कटवाना नाजायज है। उसी तरह महिलाओं का बाल कटवाना और आइब्रो बनवाना भी गलत है।
बता दें कि महिलाओं के आइब्रो बनवाने और बाल कटवाने को लेकर दारूल उलूम से पहले भी फतवे जारी हो चुके है। करीब 3 साल पहले भी इस तरह का एक फतवा जारी हुआ था। देवबंद के मोइन सिद्दकी बताते हैं कि तीन साल पहले भी इस तरह का एक फतवा जारी हुआ था। दरअसल, दारूल उलूम के फतवा विभाग से यदि कोई व्यक्ति अपनी इस्लामिक परेशानी के बारे में हल जानना चाहता है तो उसे इसकी जानकारी प्रदान की जाती है।