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UP की अनोखी पंचायतः अब बेटियां संवारेंगी गरीब बच्चों का भविष्य
मेरठ/ मुज़फ्फरनगर: तालिबानी पंचायत के नाम से विख्यात यूपी में शिक्षा व्यवस्था को आइना दिखाने के लिए एक अनोखी पंचायत हुई है। ग्रामीण युवतियों ने एक नई शुरुआत कर उन निर्धन छात्र-छात्राओं के भविष्य को बनाने का संकल्प लिया है जो गरीबी के कारण प्राथमिक शिक्षा से अभी तक वंचित थे। गांव की होनहार 16 युवतियों ने 45 बच्चों को गोद लेकर एक अनोखी मिसाल पेस की है।
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क्या है मामला
-गांव सलेमपुर में बेटियों की पंचायत ने यह फैसला सरकारी स्कूल के बच्चों के भविष्य सवारने के लिए लिया है।
-सरकार की शिक्षा व्यवस्था को आइना दिखाते हुए गांव सलेमपुर की बेटियों ने ये बीड़ा उठाया है।
-इस अनूठी पहल की हर कोई तारीफ कर रहा है। सरकारी स्कूल के दो-दो बच्चों को गांव की इन बेटियों ने गोद लिया है।
-एक तरह से गांव के बच्चों का भविष्य संवारने का जिम्मा इन बेटियों ने अपने हाथों में लिया है।
-सरकारी मशीनरी के सामने इसकी विधिवत घोषणा भी की गई है। जिले में इस तरह का यह पहला कार्यक्रम होगा।
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सामान्य
-केंद्र और प्रदेश सरकार बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है।
-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की तरह और भी कई योजनाएं बालिका शिक्षा पर संचालित की गई हैं।
-शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्कूलों में भरी भरकम बजट भी भेजा गया है।
-विशेषकर गरीब बच्चों के लिए सरकार बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करना चाहती है।
-सरकार की बड़ी जद्दोजहद के बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सामान्य है।
बच्चों का भविष्य संवारेंगी गांव की बेंटियां
डीएम दिनेश कुमार ने बेसिक शिक्षा अधिकारी सतेंदर सिंह को साथ लेकर गांव सलेमपुर के सरकारी स्कूल में जाकर शिक्षा के स्तर का निरीक्षण किया। सलेमपुर की युवा लड़कियों ने शिक्षा का स्तर सुधारने की दिशा में एक पंचायत बुलाई जिसमें यह संकल्प लिया गया कि गांव की ये बेटियां सरकारी स्कूल के बच्चों को शिक्षित करने के लिए उन्हें गोद लेंगी। इतना ही नहीं उनकी देख रेख के साथ साथ उनकी हर गतिविधि पर नज़र रखेंगी और उनका भविष्य संवारने का काम करेंगी।
प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल के साथ की पंचायत
-उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर कोतवाली थाना क्षेत्र का गांव सलेमपुर है।
-यहां की लड़कियों ने गांव के प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल को साथ लेकर एक पंचायत की।
-पंचायत में फैसला लिया गया कि स्कूल के जो स्टूडेंट्स आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित है।
-उन्हें पंचायत में आई ग्रामीण लड़कियां गोद लेकर शिक्षित करेंगी।
-इन 16 लड़कियों ने गोद लिए बच्चों के माथे पर टिका लगाकर उनके हाथ पर कलावा बांधा।
क्या कहती हैं लड़कियां?
-स्टूडेंट्स को गोद लेने वाली प्रिया चौधरी और रश्मि चौधरी ने कहा कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
-इसलिए हम सब लड़कियों ने फैसला लिया है कि हम सभी उनके परिजनों की भूमिका निभाएंगे।
-हम उनके शैक्षिक निगरानी खुद करेंगे। अभी हम 16 लड़कियां इस कार्यक्रम में जुड़ी हैं। हम सभी इस कार्य को लेकर बहुत उत्त्साहित हैं।
-हम ईमानदारी और लगन के साथ काम करेंगे। कोशिश करेंगे की गांव की और लड़कियां भी हमारे साथ जुड़े।
-ये कार्यक्रम सबसे पहले हमारे गांव से शुरू हुआ है और आगे पूरे राज्य में जाए। हम 16 लड़कियों ने 45 बच्चों को गोद लिया है।
क्या कहते हैं प्रिंसीपल विष्णु दत्त शर्मा?
-6 नवंबर को उनकी यहां पोस्टिंग हुई थी उस समय काफी अव्यवस्था थी। यहां के ग्रामीणों का स्कूल के प्रति निगेटिव दृष्टिकोण था।
-गांव में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाने के लिए कई लड़कियों को यहां बुलाया।
-फैसला लिया कि गांव की शिक्षित लड़कियों को मार्च में होने वाले सम्मान समारोह में सम्मानित करेंगे।
-स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
-बच्चा स्कूल जा रहा है या नहीं जा रहा है, जो अभिभावक भूमिका निभाते है वो हम निभाएं।
-हमने सभी लड़कियों को पहले समझाया की आप कैसे इन बच्चों की निगरानी करेंगी।
-हमारे यहां जो बच्चे पढ़ते है वो बहुत ही गरीब परिवार से है।
-किसी लड़की ने दो बच्चे लिए तो किसी ने तीन बच्चों को गोद लिया।
-इन लड़कियों ने बच्चों का तिलक करके कलावा बांधकर बच्चों को गोद लिया।
-एक सपथ भी ली की हम ये कार्य पूरी गुणवत्ता के साथ निभाएंगे।