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सेल्फी को लेकर बुलंदशहर में बरपा हंगामा, क्या गाइडलाइन की जरूरत?

Newstrack
Published on: 6 Feb 2016 1:20 PM GMT
सेल्फी को लेकर बुलंदशहर में बरपा हंगामा, क्या गाइडलाइन की जरूरत?
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बुलंदशहर: डीएम बी चंद्रकला के साथ सेल्फी लेने का विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। युवक को जेल भेजने की खबर मीडिया में आने के बाद पूरे मामले को एक नया रंग दे दिया गया है। शहर में शुक्रवार को कुछ लोगों ने कैंडल मार्च निकाला तो शनिवार को स्कूली बच्चों को सड़क पर उतार दिया गया। पुतला फूंका गया, नारेबाजी की गई। शहर में यह चर्चा जोरों पर है कि यह सब डीएम साहिबा के इशारे पर ही हो रहा है। वहीं, सवाल यह भी उठता है कि सेल्फी के बढ़ते क्रेज और इससे जुड़ी घटनाओं को देखते हुए क्या देश में इसको लेकर गाइडलाइन बनाने का समय आ गया है?

उस दिन हुआ क्या? महिला (डीएम) के खिलाफ अपराध या शांतिभंग?

-एक फरवरी को कलक्ट्रेट में डीएम के साथ सेल्फी लेने वाले युवक फराज को शांति भंग के आरोप पकड़ा गया।

-दूसरी तरफ अब इसे महिला के खिलाफ अपराध बताकर विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है।

-ये दोनों ही बातें विरोधाभासी हैं। यदि फराज ने शांति भंग किया था तो अब महिला सशक्तिकरण की बातें कहां से आ गईं?

क्या सेल्फी लेना अपराध है?

-एक फरवरी को कलक्ट्रेट में डीएम के साथ सेल्फी लेने वाले युवक फराज को शांति भंग के आरोप में जेल भेजा गया।

-ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सेल्फी लेना अपराध है?

-साइबर लॉ में सेल्फी का कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन किसी महिला की मर्जी के बिना ऐसा करना ठीक नहीं कहा जा सकता।

क्या स्कूली बच्चों को सड़क पर लाना ठीक?

-परिजनों के माफी मांगने के बाद डीएम ने लड़के को माफ करने की भी बात कही।

-लेकिन अब इस मुद्दे को आगे तूल क्यों दिया जा रहा है? क्यों और किसके कहने पर लोग सड़क पर उतरे?

-स्कूली बच्चों का इससे क्या लेना देना? क्यों उन्हें क्लास से निकालकर सड़कों तक लाया जा रहा है?

-क्या इस मुद्दे को महिला सशक्तिकरण से जोड़ा जा सकता है?

मीडिया निशाना या सुर्खियों की चाह?

-पहला सवाल यह उठता है कि क्या डीएम के इशारे पर मीडिया को निशाना बनाया जा रहा है?

-या फिर बी. चंद्रकला एक बार फिर सुर्खियों में बने रहना चाहती हैं?

-दूसरे सवाल का जवाब अधिकतर लोग हां में दे सकते हैं, क्योंकि वह डीएम साहिबा को पहले भी इस तरह चर्चा में आते हुए देख चुके हैं।

-मीडिया के कैमरों के साथ स्कूलों में छापेमारी या फिर सबके सामने ठेकेदारों को फटकारने की वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो चुकी है।

-सोशल साइट पर भी बी चंद्रकला काफी सक्रिय रहती हैं।

-क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

-पूर्व डीजीपी एमसी द्विवेदी ने newztrack.com से कहा, ''यदि डीएम की मर्जी के खिलाफ फोटो लेने की कोशिश की गई तो यह गलत है। ऐसा नहीं करना चाहिए था। फिर भी मेरा मानना यहै है कि उसे जेल नहीं भेजना चाहिए था। अब प्रदर्शन और कैंडिल मार्च के जरिए इसे मुद्दे पर राजनीति हो रही है। ऐसा करना गलत है।''

-पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं, ''किसी की मर्जी के खिलाफ फोटो लेना अपराध है। पुलिस की कार्रवाई एकदम ठीक है। लेकिन अब बच्चों को सड़क पर लाकर जुलूस निकलवाना गलत है। अब एसएसपी को आगे आना चाहिए। पूरे मामले को शांत करने की जरूरत है। प्रशासन को गंभीरता दिखानी चाहिए। ''

-आईजी नवनीत सिकेड़ा ने से कहा, ''सेल्फी लेना संज्ञेय अपराध तो नहीं है, लेकिन किसी महिला से पूछे बिना उसके साथ सेल्फी लेना गलत है।''

डीएम ने नहीं की बात

newztrack.com ने इस मुद्दे पर डीएम बी चंद्रकला से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन वह बात करने को तैयार नहीं हुईं।

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