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रहस्यमयी बुखर ले रहा लोगों की जान

raghvendra
Published on: 28 Sept 2018 12:37 PM IST
रहस्यमयी बुखर ले रहा लोगों की जान
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लखनऊ: ये डेंगू है या मलेरिया या कोई अनजाना रहस्यमय बुखार, लेकिन है ये मौत का बुखार। ऐसा बुखार जो सीधे लोगों की जान ले ले रहा है। इस ‘बुखार’ से पिछले दो महीनों में उत्तर प्रदेश में एक हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। स्वास्थ्य विभाग अभी तक यह पता नहीं कर पाया है कि ये कौन सा जानलेवा बुखार है। राजधानी लखनऊ से लेकर प्रदेश के आखिरी छोर पर स्थित सोनभद्र तक में बुखार से मरीज तड़प रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है,लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसे बुखार का सीजनल समय बता मामला रफा-दफा कर देना चाहता है।

ये मौसम वैसे भी तरह-तरह के वायरस पनपने का है, लेकिन इस बार स्थिति गंभीर है। असल में ये बुखार मच्छर जनित है और मच्छर पनपने से रोकने के सारे उपाय फेल हो रहे हैं क्योंकि मच्छरमार केमिकल के प्रति मच्छर इम्यून हो चुके हैं। मच्छर से मलेरिया और डेंगू दोनों फैल रहे हैं।

भयानक बात ये है कि अब डेंगू वाला मच्छर जो जहर इंसानों के शरीर मे इंजेक्ट कर रहा है वो सामान्य तकलीफ देने की बजाय सीधे मौत दे रहा है। डेंगू हेमोरेजिक फीवर और डेंगू शॉक के मामले कई गुना बढ़ गए हैं। डेंगू शॉक में तो 100 फीसदी मौत है जबकि हेमोरेजिक फीवर में 44 फीसदी। वैसे, डेंगू का प्रकोप पूरे देश में है। नगालैंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल, दिल्ली, गुजरात, चंडीगढ़, गोवा, हरियाणा, बंगाल में कई जगहों से डेंगू के मामले आ रहे हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान में भी डेंगू का प्रकोप है।

राजधानी में बुखार के मरीजों की बाढ़

राजधानी लखनऊ के सभी अस्पतालों में अब तक 36 डेंगू के मरीज मिले, जिनका इलाज चल रहा है। राजधानी के डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी(सिविल), लोहिया, बलमरामपुर, केजीएमयू में बुखार से पीडि़त मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। एसीएमओ डॉ.केसी त्रिपाठी का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में मरीजों की संख्या कम है। उन्होंने राजधानी में साफ-सफाई पर जोर देते हुए कहा कि मरीजों को स्वयं जागरुक होना होगा।

शाहजहांपुर में 40 से अधिक मौतें

जिले में रहस्यमय बुखार का कहर जारी है जिससे लोगों में दशहत फैली हुई है। यहां पिछले एक महीने में बुखार से चालीस से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। अस्पतालों में बुखार से पीडि़त सैकड़ों मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वायरल बुखार से जनपद में अभी तक सिर्फ तीन बच्चों की जान गई है। बहरहाल, जिला अस्पताल में डेंगू और मलेरिया के विशेष वार्ड बनाए गए हैं। गांवों में कैंप कर रही मेडिकल टीमें मच्छरों पर कंट्रोल के लिए स्प्रे कर रही हैं। सीएमओ आरपी रावत का कहना है कि अभी तक यहां डेंगू और मलेरिया का एक भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन वायरल बुखार को देखते हुए गांवों में टीमें भेजी गईं हैं। ट्रॉमा सेंटर, महिला अस्पताल के अलावा सभी 15 सीएचसी पर पिछले दो दिन में १० हजार से ज्यादा मरीजों की जांच की जा चुकी है जिनमें ११०० से ज्यादा मरीज नार्मल बुखार के पाए गए हैं। बुखार के सबसे ज्यादा मरीज उन गांवों के हैं जहां गंदगी का अंबार है।

डेंगू के डंक से बेहाल हुआ बनारस

बारिश के बाद बनारस में अब बीमारियों की बाढ़ आ गई है। जिले के कई क्षेत्रों के लोग डायरिया, बुखार, डेंगू की चपेट में आने लगे हैं। डेंगू पर नियंत्रण के लिए नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की ओर से किए जा रहे दावों की पोल खुलती जा रही है। तमात तैयारियों के बाद भी प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में डेंगू के लगभग 80 मामले सामने आ चुके हैं। आलम ये है कि जिले के प्रमुख अस्पतालों में बने डेंगू के वार्ड पूरी तरह फुल हैं। हालात को देखते हुए दीनदयाल अस्पताल, कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अलर्ट जारी कर दिया गया है। सीएमओ के मुताबिक नगर के सभी 90 वार्डों में 22 टीम एंटी लार्वा का छिडक़ाव कर रही है। इसके अलावा फॉगिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

स्वास्थ्य महकमे का दावा है कि डेंगू के बढ़ते खतरे को देखते हुए शासन स्तर पर प्लेटलेट्स की विशेष व्यवस्था की गई है ताकि मरीजों को दिक्कत का सामना ना करना पड़े। डेंगू रोग की जांच के लिए एलाइजा रीडर एवं जांच किट उपलब्ध है। इसके अलावा शहर के अस्पतालों में डेंगू रोग के इलाज के लिए आईबी ब्लड, मेडिसिन व प्लेटलेट की कमी नहीं है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। सरकारी अस्पतालों में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए लोग प्राइवेट अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।

बारिश के बाद बीमारियों की बाढ़ है, लेकिन साफ-सफाई को लेकर नगर निगम प्रशासन बेपरवाह बना हुआ है। इसका खामियाजा यहां के लोगों को उठाना पड़ रहा है। गलियों में गंदगी का अंबार है। जगह-जगह कूड़ा जमा है। यही नहीं मच्छरों से निबटने के लिए फॉगिंग की व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं है। वाराणसी के सीएमओ वीबी सिंह के मुताबिक डेंगू से निबटने की पूरी तैयारी है। अस्पतालों को अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है। हमारी 22 टीमें शहर के अलग-अलग वार्डों में हालात पर नजर बनाए हुए हैं। निगर निगम और पंचायतों को फॉगिंग का निर्देश दिया गया है। अस्पतालों में प्लेटलेट्स की कमी नहीं होने दी जा रही है।

मेरठ में रोजाना पांच हजार मरीज पहुंच रहे अस्पताल

मेरठ और आसपास के जिलों में डेंगू तेजी से पांव पसार रहा है। मेरठ के सीएमओ डॉ.राजकुमार का कहना है कि अब तक सिर्फ मेरठ में अधिकारिक तौर पर १० लोगों की डेंगू से मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में सहारनपुर और बागपत के एक-एक मरीज और बुलन्दशहर के दो मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। डॉ.राजकुमार ने बताया कि मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना पांच हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं।

मेडिकल कालेज के कार्यवाहक सीएमओ एस.के.शर्मा के अनुसार लैब में 14 सैंपल आए थे, जिनकी जांच कराई गई। गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की लैब में जांच के बाद ही अधिकारिक तौर पर डेंगू की पुष्टि की जाती है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पिछले साल निजी लैबों में मरीजों की पुष्टि करने से मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई थी। इसके बाद निर्णय लिया गया था कि सरकारी लैब को ही डेंगू की पुष्टि करने का अधिकार होगा।

दहशत में सहारनपुर

मानसून सीजन जैसे-जैसे समाप्ति की ओर जा रहा है, वैसे-वैसे जनपद में मच्छरों की फौज बढ़ती जा रही है। हालांकि जिला मलेरिया विभाग की ओर से निरंतर अभियान भी चलाया जा रहा है। सहारनपुर में अभी तक अज्ञात बुखार से कोई मौत तो नहीं हुई, लेकिन दहशत बनी हुई है। पिछले एक सप्ताह में सहारनपुर जिला अस्पताल में वायरल बुखार के 280 मरीज दर्ज किए गए जबकि टायफाइड के 22 रोगी सामने आए हैं। उल्टी-दस्त के 517 मरीज सामने आए हैं।

जनवरी से अगस्त तक 222 लोगों में मलेरिया पीवी पाया गया। जिला वेक्टर बॉर्न डिसीज की नोडल मलेरिया अधिकारी शिवांका गौड़ बताती हैं कि जनपद में बुखार से मौत का कोई केस सामने नहीं आया है। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर जनपदों में कोई ऐसा वायरस फैल गया, जो पकड़ में नहीं आ रहा है और मौत का कारण बन रहा है।

ग्रामीण इलाकों में काफी मरीज

राजधानी और आसपास तो बुखार के मरीज बढ़े ही हैं मगर ग्रामीण इलाकों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। विभिन्न जिलों के ग्रामीण इलाकों में काफी संख्या में मरीज बुखार से पीडि़त हैं। प्रतापगढ़ जनपद के एडिशनल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहाड़पुर के प्रभारी डॉ.नीरज शुक्ला बताते हैं कि एक सप्ताह में बुखार के लगभग 400 आए हैं। सूबे के अन्य जिलों के ग्रामीण इलाकों में भी काफी संख्या में लोगों के बुखार से पीडि़त होने की खबरें हैं।

रायबरेली : मलेरिया टाइफाइड का प्रकोप

रायबरेली जिला अस्पताल में इन दिनों लगातार मरीजों का जमावड़ा है। जिला अस्पताल में डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड के हर दिन 50-60 मरीज मरीजों की जांच आते हैं। यही स्थिति सीएचसी और पीएचसी की है। लेकिन जिले की प्राइवेट पैथोलॉजी क्लीनिकों में खून की जांच में हर दिन करीब 500 मरीज डेंगू, मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियों से ग्रसित पाए जा रहे हैं। रायबरेली के सीएमओ डॉ. डी.के. सिंह ने बताया कि संक्रामक रोगों के बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित रैपिड एक्शन टीम मुस्तैद है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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