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दिल्ली HC ने आप को लगाई कड़ी फटकार, कहा- अब तक कहां थे

निर्वाचन आयोग ने लाभ का पद के मामले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (Aap) के 20 विधायकों के भाग्य का फैसला कर लिया और अब आयोग ने इस मामले में अपना फैसला लेने के बाद राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है।

Anoop Ojha
Published on: 19 Jan 2018 6:10 PM IST
दिल्ली HC ने आप को लगाई कड़ी फटकार, कहा- अब तक कहां थे
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दिल्ली HC ने आप को लगाई कड़ी फटकार, कहा अब तक कहां थे

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने आप को लगाई कड़ी फटकार पूछा पहले कहां थे।हाईकोर्ट ने कहा ईसी के नोटिस के बाद आपने जबाब नहीं दिए था। अभी तक कहां थे।वक्त रहते आप ईसी के क्यों नहीं गए।

इसके पहले निर्वाचन आयोग ने लाभ का पद के मामले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (Aap) के 20 विधायकों के भाग्य का फैसला कर लिया और अब आयोग ने इस मामले में अपना फैसला लेने के बाद राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है।

इन विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के बाद से ही इनकी सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है।आयोग इन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की बात कह सकता है क्योंकि आयोग ने इन सदस्यों की सदस्यता को अयोग्य ठहराया है।

मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति अपने रिटायरमेंट से पहले सारे पेंडिंग केस को खत्म करना चाह रहे हैं, इसलिए आयोग फटाफट पुराने मामलों का निपटारा कर रहा है। हालांकि सत्ताधारी पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग इसका फैसला नहीं कर सकता, इसका फैसला अदालत में किया जाना चाहिए।

आप की दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया जिसको लेकर प्रशांत पटेल नाम के वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करते हुए इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। हालांकि विधायक जनरैल सिंह के पिछले साल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस मामले में फंसे विधायकों की संख्या 20 हो गई है।

इस मामले में शिकायत करने वाले प्रशांत पटेल ने कहा कि यह पूरी तरह से साफ है, इन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाएगी। उन्होंने कहा, "मैंने यह मामला 2015 में उठाया था, पूरे केस को देखने पर लगता है कि इन विधायकों की सदस्यता चली जाएगी। चुनाव आयोग ने अपना फैसला राष्ट्रपति के पास भेज दिया है जिस पर राष्ट्रपति अपनी मंजूरी देंगे।

उन्होंने कहा कि आप विधायकों की सदस्यता बचने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि खुद दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने आयोग को दिए अपने हलफनामा में माना है कि विधायकों को मंत्रियों की तरह सुविधा दी गई। दिल्ली में 7 विधायक मंत्री हो सकते हैं, लेकिन इन्होंने 28 बना दिए।

दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई और कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो सीएम के पास होगा। इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।

संविधान के अनुच्‍छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है। यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है।



Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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