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EU: ब्रिटेन के बाद अब ENGLISH के विदाई की बारी, अब लैंग्वेज पर वोटिंग
लंदन: ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन (ईयू) से अलग होने के साथ अब 'इंग्लिश लैंग्वेज' के भी बाहर होने की बात कही जा रही है। इसकी वजह ब्रिटेन ही ही है। उल्लेखनीय है कि यूरोपीय यूनियन में बचे शेष 27 देशों में कोई भी ऐसा नहीं है जिसने इंग्लिश को 'प्राइमरी लैंग्वेज' का दर्जा दिया हुआ है। इसलिए इस बात को बल मिल रहा है कि यूरोपीय यूनियन से इंग्लिश को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
प्राइमरी लैंग्वेज पर होगा मंथन
-ब्रिटेन के ईयू से बाहर होने से पहले इंग्लिश इसकी सबसे पहली पसंद हुआ करती थी।
-चूंकि अब ब्रिटेन इससे बाहर हो गया है तो अनुमान लगाया जा रहा है कि इंग्लिश यहां पर बैन हो सकता है।
-ईयू से जुड़े देश अब इस पर विचार कर रहे हैं कि सदस्य राष्ट्र अपनी प्राइमरी लैंग्वेज के बारे में बताएं।
ब्रिटेन के बिना इंग्लिश अधूरा
-पॉलिश के मैंबर ऑफ पार्लियामेंट डनूटा हबनर के मुताबिक ईयू में आइरिश ने गेलिक और माल्टिज ने माल्टिज लैंग्वेज को अपनी प्राइमरी लैंग्वेज दर्ज कराया है।
-हबनर के मुताबिक ब्रिटेन ने ही केवल यहां इंग्लिश को अपनी प्राइमरी लैंग्वजे का दर्जा दिया था।
-हालांकि उन्होंने यह भी माना कि आयरलैंड और माल्टा में इंग्लिश उनकी रोजमर्रा की भाषा है।
-वहीं र्इयू के अधिकारी भी इसका काफी इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन यदि ब्रिटेन ही नहीं है तो इंग्लिश का यहां क्या काम।
ईयू में चलती है 24 ऑफिशियल लैंग्वेज
-हबनर के मुताबिक, इस लैंग्वेज को ईयू से हटाने और बदलने के लिए सभी 27 सदस्य देशों के बीच वोटिंग करवाई जाएगी।
-ईयू की फिलहाल 24 ऑफिशियल लैंग्वेज हैं, जो उनके रोजाना के काम का हिस्सा बनती हैं।
-ईयू के मंत्री इंग्लिश के साथ-साथ जर्मन और फ्रेंच का इस्तेमाल भी करते हैं।
-इसके अलावा अधिकतर यूरोपियन देशों में इंग्लिश ही बोली जाती है।