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यूपी में बढ़ते क्राइम पर बोले DGP- मौसम तो बदला है, पर नए पत्तों के आने में कुछ दिन लगेंगे

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Published on: 14 July 2017 7:59 AM GMT
यूपी में बढ़ते क्राइम पर बोले DGP- मौसम तो बदला है, पर नए पत्तों के आने में कुछ दिन लगेंगे
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शारिब जाफरी

लखनऊ: 'जरा मौसम तो बदला है, मगर पेड़ों की शाखों पर नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगे' जी हां, उत्तर प्रदेश में सत्ता बदली सत्ता का निज़ाम बदला। ऊपर से लेकर नीचे तक यानि पुलिस महानिदेशक से लेकर थानेदार तक बदल दिए गए, लेकिन अगर नहीं बदला कुछ तो वह है अपराधियों का हौसला। आए दिन हो रही अपराध की बड़ी वारदातों से आम लोग दहशत में हैं, तो खाकी पर हुए हमले के चलते पुलिस के हौसले भी पस्त हुए हैं।

सहारनपुर में जातीय हिंसा के बाद रायबरेली कांड पुलिस के लिए नई मुसीबत लिए खड़ा है। इन्ही सब मुद्दों पर हमारे संवाददाता शारिब जाफरी ने यूपी पुलिस के मुखिया सुलखान सिंह से विस्तार से बातचीत की, पेश है पूरी बातचीत।

सवाल: क़ानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार फेल होती नज़र आ रही है? कहां कमियां हैं? अपराधी क्यों बेलगाम हैं?

जवाब: देखिए, उत्तर प्रदेश एक बड़ा प्रदेश है। प्रदेश में कुछ बड़ी घटनाएं हुई है, जिस पर सख्ती से कार्रवाई की गई है। प्रदेश में हर छोटी बड़ी घटना को गंभीरता से लिया जा रहा है और अपराधियों कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है। सभी ज़िलों में पुलिस को फील्ड में दिखने के लिए निर्देशित किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में पुलिस को काम करने की आदत छूट गई थी। सिर्फ ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप के ज़रिये क्राइम कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। पुलिस को डंडा लेकर सड़क पर उतरना पड़ेगा। हम लोग टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके नतीजे जल्द सामने होंगे।

सवाल: अपराधियों में क़ानून का ख़ौफ़ नहीं रहा है। कैसे क्राइम कंट्रोल करेंगे?

जवाब: देखिए, प्रदेश में जहां भी घटना हुई है, ज़्यादातर मामलों में आरोपियों की गिरफ्तार किया गया है। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई इतने सख्त करने को कहा गया है ताकि भविष्य में कोई अपराध करने की जुर्रत नहीं कर सके। हम लोग अपने काम से जनता का विश्वास जीतेंगे। बेसिक पुलिसिंग अपराध रोकने के लिए बहुत ज़रूरी है। मैं खुद लगातार फील्ड में रह कर काम कर रहा हूं। ज़िलों में अफसरों को बंगला छोड़ कर लाठी के साथ फील्ड में उतरना होगा।

सरकार ने ज़ोन में एडीजी रैंक और रेंज में आईजी रैंक के अफसरों को पोस्टिंग दी है, जो ज़्यादा अनुभवी होते हैं। जिन के अनुभव का फायदा लेकर हम लोग ले अपराधियों की कमर तोड़ देंगे। पुलिस जब सड़कों पर दिखेगी तो क्राइम कंट्रोल होगा। हम लोग इसी दिशा में काम कर रहे हैं। मुखबिर तंत्र का बेहतर इस्तेमाल करने की योजना है ताकि अपराध और अपराधियों पर लगाम कसने के साथ लोगों में विश्वास पैदा किया जा सके।

आगे की स्लाइड में पढ़िए इस इंटरव्यू के और भी सवाल-जवाब

सवाल: कई ज़िलों जल्दबाज़ी में फ़र्ज़ी खुलासे के आरोप लगे हैं। कैसे जनता का भरोसा जीतेंगे?

जवाब: देखिए, किसी भी घटना के बाद पुलिस ने तत्तपरता से कार्रवाई की है। जहां कहीं पुलिस की लापरवाही सामने आई है, वहां पर निचले स्तर से लेकर उच्च अधिकारियों तक के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इलाहाबाद में रिश्वत लेते थानाध्यक्ष होलागढ़ आर पी गौरव का वीडियो वायरल हुआ था।

इस मामले में थानेदार को निलंबित कर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है और 45 दिन के अंदर बर्खास्तगी की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। हाल में जो तबादले हुए हैं, उन में भी अच्छे और वरिष्ठ अधिकारियों को तवज्जो दी गई है। जो लापरवाह और निकम्मे अफसर थे उन्हें हटाया गया है। पुलिस अपने काम के दम पर जनता का भरोसा जीतेगी।

सवाल: सीतापुर, मथुरा, रायबरेली, वाराणसी जैसी घटनाएं पुलिस के इक़बाल पर सवाल खड़े कर रही हैं?

जवाब: पुलिस प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रही है। हिस्ट्रीशीटर अपराधियों की गतिविधियों पर निगाह रखी जा रही है। प्रदेश भर में जो गैंग हैं, उसके सक्रिय अपराधियों की तलाश की जा रही है। जेल में बंद अपराधियों के ज़मानत पर रिहा होने पर उन पर लगातार निगाह रखी जा रही है। ज़िलों में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिना किसी भेदभाव के अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है।

मेरिट के आधार पर अफसरों को पोस्टिंग दी गई है, और जहां भी अफसरों की लापरवाही सामने आई है या शिकायत मिली है उन के खिलाफ कार्रवाई हुई है। रायबरेली में घटना में शामिल आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अब तक 9 आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। पुलिस कप्तान को हटाया गया है, बचे हुए आरोपियों की तलाश की जा रही है। पुलिस किसी भी आरोपी को बख्शने वाली नहीं है।

सवाल: सहारनपुर जातीय हिंसा के बाद रायबरेली में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यूपी में ऐसा पहली बार हो रहा है। क्या वजह मानते हैं?

जवाब: देखिए... सहारनपुर में जो कुछ हुआ, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था। विवाद के बाद जिस तरह से पूरे मामले को पुलिस प्रशासन ने नियंत्रित करने को कोशिश की। वह तरीक़ा सही नहीं था। जिस तरह से बार-बार बिना इजाज़त जुलूस निकाले जाते रहे। धरना प्रदर्शन चलता रहा, वह गलत था। हिंसक घटना के बाद मौके पर गृह सचिव और अपर पुलिस महानिदेशक क़ानून व्यवस्था को मौके पर भेजा गया था। जांच के दौरान एसएसपी और डीएम की लापरवाही सामने आई थी जिस की वजह से दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

जहां तक रायबरेली की घटना का सवाल है, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। शुरुआती जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने सख्ती से कार्रवाई की है। घटना में शामिल आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। घटना के बाद पुलिस को एलर्ट किया गया है। पुलिस को विवाद की जड़ तक पहुंचना है दोबारा इस घटना को लेकर कोई और घटना न होने पाए इस के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं। इस लिए इस को सहारनपुर घटना की नज़र से देखना उचित नहीं होगा।

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सवाल: कांवड़ यात्रा बड़ी चुनौती है। कैसे निपटेंगे?

जवाब: पुलिस पूरी तरह से तैयार है। मैंने खुद ज़्यादातर जगहों पर पहुंच कर तैयारियों की समीक्षा कर ली है। जहां कहीं कमी थी, उन कमियों को दूर करने के लिए कहा गया है। पुलिस मिली-जुली आबादी वाले इलाक़ों में खास सतर्कता बरतेगी। कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर ट्रैफिक डायवर्जन कराया गया है, साथ में यात्रा मार्ग की निगरानी के लिए सीटीवी कैमरे के अलावा ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल हो रहा है। ज़िलों में पुलिस अफसरों को कांवड़ यात्रा को लेकर बेहद सतर्क रहने को कहा गया है।

सवाल: आप एक तरफ टेक्नालाजी के इस्तेमाल की बात कर रहे हैं। ट्विटर व्हाट्सएप फेसबुक का विरोध कैसे काम होगा?

जवाब: देखिये हम ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप का बिलकुल विरोध नहीं कर रहे हैं यह सभी सुविधाएं जनता के लिए है इससे जनता को लाभ लाभ होगा। पुलिस इस से मदद ज़रूर ले सकती है लेकिन इस पर निर्भर नहीं रह सकती है। पुलिस चौराहों पर दिखेगी तभी अपराधियों में पकड़े जाने का भय रहेगा। जहां तक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का सवाल है, हम लोगों ने मंदिर, मस्जिद, दरगाह और इमामबाड़ा कमेटी से परिसर और सड़क मार्ग पर सीसीटीवी लगवाने का अनुरोध किया है।

इसी तरह व्यापार मंडल के लोगों से बातचीत कर दुकान के साथ सड़क की और भी एक कैमरे लगाने का अभियान चलाए जाने का निर्णय लिया है। शहर की ऊंची इमारतों में भी सोसाइटी से सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा गया है। सीसीटीवी वीडियो के ज़रिए एक तरह जहां कई घटनाएं खुली हैं, वही आरोपियों को सज़ा दिलाने में भी यह कारगर सिद्ध होगा।

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