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उत्तराखंड में 10 को फ्लोर टेस्‍ट, बागी नहीं दे सकेंगे वोट

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Published on: 6 May 2016 8:04 AM GMT
उत्तराखंड में 10 को फ्लोर टेस्‍ट, बागी नहीं दे सकेंगे वोट
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड में प्रेसिडेंट रूल लगाने को लेकर शुक्रवार को भी सुनवाई चल रही है। अटॉर्नी जरनल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है। इसके बाद कोर्ट ने 10 मई को फ्लोर टेस्‍ट का आदेश दिया है। इससे पूर्व की सुनवाई में केंद्र ने जवाब दाखिल करके कहा था कि वह फ्लोर टेस्ट पर गंभीरता से विचार कर रहा है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में प्रेसिडेंट रूल हटाने का फैसला दिया था जिसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। कोर्ट ने 3 मई को केंद्र से पूछा था कि क्यों न पहले कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट कराया जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामेश्वर जजमेंट का हवाला भी दिया था।

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हाईकोर्ट के आदेश पर रोक

इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रेसिडेंट रूल हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के सीएम बन गए थे और उन्हें 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी और राज्य में प्रेसिडेंट रूल फिर लागू हो गया था।

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क्या है पूरा मामला

18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की बीजेपी की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था, जिसके बाद प्रदेश में सियासी तूफान पैदा हो गया और उसका नतीजा ये हुआ कि 27 मार्च को प्रेसिडेंट रूल लग गया था।

उत्तराखंड के चल रहे सियासी संकट के बीच पूर्व सीएम हरीश रावत को सीबीआई ने स्टिंग मामले की जांच के सिलसिले में पेश होने का समन जारी किया है। इस स्टिंग के कथित तौर पर उन्हें एक पत्रकार से बागी विधायकों का फिर से समर्थन हासिल करने के लिए डील करते हुए दिखाया गया है। रावत से सोमवार 9 मई को पूछताछ होगी।

हरीश रावत ने वीडियो में मौजूद होने की बात स्वीकार की थी और कहा था कि एक पत्रकार से मिलना अपराध नहीं है। हालां‍कि अब तक वे इस सीडी को फर्जी बताते हुए इसकी वैधता को चुनौती देते रहे हैं। रावत ने देहरादून में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से एक बातचीत में कहा था, 'क्या किसी पत्रकार से मिलना कोई अपराध है? तब तक तकनीकी रूप से अयोग्य घोषित नहीं हुए विधायकों में से किसी ने भी मुझसे बातचीत की तो इससे क्या फर्क पड़ता है? राजनीति में क्या किसी चैनल को हम बंद कर सकते हैं?

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि फ्लोर टेस्‍ट में कांग्रेस के 9 बागी एमएलए वोट नहीं दे सकते। कोर्ट ने बागी एमएलए की वोट देने की याचिका खारिज कर दी।

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