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ग्रीन कॉरीडोर बनाकर KGMU से अमौसी एयरपोर्ट पहुंचा लीवर, दिल्‍ली रवाना

Newstrack
Published on: 28 July 2016 9:52 AM IST
ग्रीन कॉरीडोर बनाकर KGMU से अमौसी एयरपोर्ट पहुंचा लीवर, दिल्‍ली रवाना
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लखनऊः केजीएमयू से गुरुवार 10 बजे एक लीवर को ग्रीन कॉरीडोर बनाकर अमौसी एयरपोर्ट तक भेजा गया है। अमौसी से यह लीवर दिल्‍ली के लिए रवाना हुआ है। केजीएमयू से अमौसी एयरपोर्ट के लिए एंबुलेस द्वारा लीवर को भेजा गया। इस दौरान यातायात पुलिस ने ग्रीन कॉरीडोर बनाया। यह एबुलेंस हजरतगंज, कटाईपुल, अर्जुनगंज, अहमामऊ, शहीदपथ, से होते हुए अमौसी एयरपोर्ट तक 23 मिनट में पहुंची। एक मरीज का लीवर दिल्‍ली जाना है इसलिए ग्रीन कॉरीडोर की जरूरत पड़ी है। यातायात पुलिस ने इस दौरान अपील की है कि इस एंबुलेंस को जाने में सभी सहयोग करेंं।

गोरखपुर के हैं डोनर एक्सीडेंट में हुई थी मौत

-केजीएमयू के डॉक्टर्स के मुताबिक़ गोरखपुर के रहने वाले सुंदर सिंह की रोड एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल हो गए थे. इलाज के दौरान डॉक्टर्स ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

- डॉक्टर्स ने परिजनों की काऊन्सिलिंग की इसके बाद उनके परिवार ने उनका अंगदान करने की ठानी।

- मेडिकल कालेज की तरफ से डॉ. अभिजीत चंद्र के नेतृत्व मे डॉक्टर्स की टीम ने किडनी लीवर को सुरक्षित निकाला और केजीएमयू से एअरपोर्ट के लिए भेज दिया।

-इन सभी अंगों का इस्तेमाल दिल्ली में जरुरत के लिए किया जाएगा।

-डॉ अभिजीत चन्द्र के मुताबिक़ दिल्ली के डॉक्टर्स पूरी तरह अलर्ट हैं, जैसे ही ऑर्गन पहुंचेगा वहां पर ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

लीवर को छ घंटे और किडनी 12 घंटे घंटे रखी जा सकती है

- लीवर नि‍कालने के बाद उसे एक लाल रंग के वि‍शेष बॉक्‍स में रखा गया।

- इस बॉक्‍स में ऑर्गन प्रिजर्वेटि‍व सॉल्‍यूशन और बर्फ के मि‍श्रण में लीवर को रखा गया।

- डॉ अभिजीत चन्द्र ने बताया कि ऑर्गन डोनेट के बाद लीवर की 6 घंटे और कि‍डनी की 24 घंटे की लाइफ होती है। इतने समय के अन्दर इन्हें बॉडी में ट्रांसप्लांट करना होता हैं.

क्या है ग्रीन कॉरिडोर

-ग्रीन काॅरिडोर (Green corridor) असल में हॉस्पिटल प्रबंधन और यातायात पुलिस तथा पुलिस के आपसी सहयोग से अस्थायी रूप से तैयार किया जाना वाला एक rout होता है।

-इसमें ट्रैफिक पुलिस के सहयोग से निर्धारित मार्ग पर कुछ देर के लिए यातायात रोक दिया जाता है या नियमित कर दिया जाता है।

-इससे pilot vehicle या एम्बुलेंस को एक से दूसरी जगह जाने के लिए कम से कम समय लगे।

-ऐसे में एम्बुलेंस का ड्राइवर अनुभवी और प्रशिक्षित होता है।

-कम से कम समय में मरीज को चिकित्सा सेवा मुहैया करवा दी जाती है जिसकी वजह से जिन्दगी बचाना आसान होता है।

क्‍यो पड़ती है ग्रीन कॉरीडोर की जरूरत

-ग्रीन कॉरिडोर की जरूरत तब होती है जब किसी मरीज को तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध करवानी हो ।

-या फिर किसी सवेदनशील अंग जैसे कि दिल या लीवर को एक से दूसरी जगह में कम समय में पहुंचाना हो।

-ऐसे में मरीज के लिए एक–एक पल बहुत कीमती होता है।

-दिल और कुछ सवेदनशील अंगों को जब एक से दूसरे शरीर में ट्रान्सफर करना होता है तो उसके लिए ‘समयसीमा’ बहुत कम होती है।

-उस से अधिक समय लगने पर वो निष्क्रिय हो जाते हैं और दूसरे शरीर में काम नहीं करते ।

-अगर मरीज को समय रहने हुए मेडिकल सुविधा मिल जाये तो उसे नया जीवन मिल जाता है ।



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