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US में H-1B वीजा पर नया बिल पेश, अमेरिका में भारतीय IT प्रोफेशनल्स की नौकरियों पर खतरा

aman
By aman
Published on: 31 Jan 2017 11:27 AM GMT
US में H-1B वीजा पर नया बिल पेश, अमेरिका में भारतीय IT प्रोफेशनल्स की नौकरियों पर खतरा
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वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताजपोशी के बाद उठाए गए सबसे बड़े कदमों में से एक H-1B वीजा बिल अमेरिकी संसद में पेश कर दिया है। बिल के तहत H-1B वीजा धारकों के न्यूनतम वेतन को दोगुना कर एक लाख 30 हजार अमेरिकी डॉलर करने का प्रस्ताव है।

जानकारों की मानें तो भारतीय आईटी कंपनियों के लिए ये बुरी खबर है। इसी वजह से बिल पेश होने के बाद आईटी शेयर नीचे गिरने शुरू हो गए हैं। बिल में H-1B वीजा होल्डर्स की न्यूनतम सैलरी 60 हजार डॉलर से दोगुनी बढ़ाकर 1.30 लाख डॉलर कर दी गई है।

भारतीय शेयर धड़ाम

शेयर की गिरावट का आलम यह है कि इंफोसिस के शेयर 4.57 फीसदी, विप्रो के 4.11 प्रतिशत तो टीसीएस के शेयर 5.46 फीसदी गिरे। जबकि टेक महिंद्रा के शेयर में 9.68 फीसदी, एचसीएल टैक्नोलॉजी में 6.25 फीसदी की गिरावट देखी गई। इस वजह से बीएसई का आईटी सूचकांक 4.83 फीसदी गिरा।

भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग होगा प्रभावित

गौरतलब है कि अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पेश किए गए इस बिल के कारण अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी मूल के कर्मचारियों की भर्ती करना कठिन हो जाएगा। ट्रंप सरकार के इस फैसले से भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग पर भी खासा असर पड़ेगा।

आगे की स्लाइड में पढ़ें इस बिल से भारतीय प्रोफेशनल्स की नौकरी पर क्या पड़ेगा असर ...

ख़त्म करनी होगी न्यूनतम वेतन श्रेणी

ट्रंप सरकार की ओर से पेश इस बिल का नाम है The High-Skilled Integrity and Fairness Act of 2017। इस विधेयक के पास होने के बाद उन कंपनियों को H-1B वीजा देने में तरजीह मिलेगी, जो ऐसे कर्मचारियों को दोगुना वेतन देने के लिए तैयार होंगे। साथ ही ऐसी कंपनियों को न्यूनतम वेतन श्रेणी भी खत्म करनी होगी। वेतन में प्रस्तावित बढ़ोतरी लागू होने के बाद H-1B वीजा वाले कर्मचारियों को नौकरी देने वाली कंपनियों को भर्ती के लिए जरूरी अटेस्टमेंट प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं होगी।

क्या हो सकता है बदलाव?

ट्रंप सरकार की तरफ से तैयार यह कार्यकारी आदेश न केवल एच1बी और एल1 वीजा नियमों को कड़ा करेगा बल्कि 'इंस्पेक्टर राज' को भी बढ़ावा देगा। इसके साथ ही यह यहां वर्क वीजा पर काम करे रहे पेशेवरों के पति-पत्नी को मिलने वाले रोजगार को अधिकृत करने वाले कार्ड को भी समाप्त करता है। इस सब का भारतीय आईटी कंपनियों पर ज्यादा आसर पड़ेगा।

आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या है H-1B वीजा?...

जानें क्या है H-1B वीजा?

H-1B वीजा एक नॉन-इमीग्रेंट वीजा है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं। H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों की भर्ती करती हैं। H-1B वीजा एक्सपर्ट्स पेशेवरों को दिया जाता है। वहीं L1 वीजा किसी कंपनी के कर्मचारी के अमेरिका ट्रांसफर होने पर दिया जाता है। दोनों ही वीजा का भारतीय कंपनियां जमकर इस्तेमाल करती हैं।

क्या कहती है H-1B वीजा पर रिपोर्ट?

एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 86 फीसदी भारतीयों को H-1B वीजा कंप्यूटर और 46.5 फीसदी को इंजीनियरिंग के लिए दिया गया है।

अमेरिका हर साल 85 हजार लोगों को H-1B वीजा देता है। इनमें से करीब 20 हजार अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में मास्टर्स डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स को जारी किए जाते हैं। 2016 में 2 लाख 36 हजार लोगों ने H-1B वीजा के लिए अप्लाई किया था। इसके चलते लॉटरी से वीजा दिया गया।

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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