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डेंगू: HC ने UP सरकार को जमकर लताड़ा, कहा- ऐसी रिपोर्ट कैसे बना सकते हैं आप
लखनऊ: हाईकोर्ट ने शहर में डेंगू के प्रकोप के चलते अब तक केवल एक मौत होने के सरकारी आंकड़े पर बुधवार को राज्य सरकार को लताड़ा। जस्टिस एपी साही और जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
दोनों जजों ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा और नगर विकास विकास के प्रमुख सचिवों का बचाव कर रही अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल को निशाने पर लेते हुए कहा कि डेंगू से दो वकीलों की मौत पर अभी कुछ दिन पूर्व ही इस अदालत में फुल कोर्ट रेफरेंस में शोक प्रकट किया गया है। सरकार के आंकड़े बता रहे हैं कि अभी केवल एक मौत हुई है।
मीडिया खबरों का दिया हवाला
कोर्ट ने अख़बारों और मीडिया में आए दिन डेंगू से आम मरीजों की होने वाली मौतों के समाचार पर सरकार से सफाई मांगी। कोर्ट ने कहा कि 'आखिर जनता की बेहतरी की अनदेखी कर इस प्रकार की रिपेार्ट कैसे बना सकती है।'
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पूछा- बताएं सरकारी प्रयास
पूर्व आदेश के बाद कोर्ट में पेश दोनों प्रमुख सचिवों के हलफनामों पर कोर्ट ने असंतोष जाहिर किया। कोर्ट ने ने उनसे पूछा कि आप बताइये कि आखिर सरकार ने डेंगू की रोकथाम के लिए क्या ठोस प्रयास किए हैं।
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डेंगू की रोकथाम के लिए महज खानापूरी हो रही
सचिवों की ओर से पेश सैकड़ों पन्नों के हलफनामा देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह महज खानापूरी है। इसे देखने से लगता है कि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। डेंगू की रोकथाम के लिए महज खानापूरी हो रही है। कोर्ट ने मुख्य सचिव द्वारा इस संबध में बैठक कर कार्यवाही किए जाने की बात बताने पर बेंच ने कहा कि मात्र बैठकों में आदेश देने से कुछ नहीं होता।
'क्या मजबूत मैकेनिज्म बनाया'
कोर्ट ने पूछा, क्या उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि आदेश के क्रियावन्यवन के लिए मजबूत मैकेनिज्म बनाया गया है या नहीं। कोर्ट ने कहा, 'क्या किसी आला सरकारी अफसर ने अस्पतालों में जाकर यह देखने की कोशिश की, कि आखिर अचानक वहां बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या में एकदम से इजाफा कैसे हो गया।
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..तो क्यों न अस्पतालों में बढ़ाई जाए सुविधाएं
डेंगू को रोकने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग वाली कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को फटकारा। कहा, सब कागजों पर चल रहा है। सरकारी अफसर यह नहीं देखते कि सरकारी अस्पतालों से लोग निजी अस्पतालों में जाकर वहां शोषण का शिकार क्यों हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि सरकारी अस्पतालों में कम मरीजों के देखने की व्यवस्था है तो क्या वहां सुविधाएं बढ़ाना नहीं चाहिए।
निजी अस्पताल ले रहे ज्यादा फ़ीस, आपने क्या किया
कोर्ट ने प्रमुख सचिवों से पूछा कि आखिर ऐसी शिकायते क्यों आ रही है कि निजी अस्पताल प्लेटलेटस चढ़ाने के नाम पर मरीजों का शोषण कर रही है। कोर्ट ने पूछा कि क्या किसी ने निजी अस्पताल की इस विषय में जांच करवाई। कोर्ट ने दोनों प्रमुख सचिवों को ठोस कार्यवाही कर 7 अक्टूबर को फिर हाजिर होने का आदेश दिया है।
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चिट्ठी-पत्री कर पल्ला झाड़ लिया
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार के इस तर्क की तीखी आलोचना की, कि उसने केंद्र सरकार से 60 हजार मच्छरदानियां मंगाई है। कोर्ट ने कहा, 'बस चिट्ठी-पत्री कर अपना पल्ला झाड़ लिया गया। क्या राज्य सरकार यह बताएगी कि आखिर उसने अपने स्तर से डेंगू की रोकथाम और इससे होने वाली मौतों को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर क्या प्रयास किए हैं।
दी सख्त चेतावनी
कोर्ट ने दोनों प्रमुख सचिवों को सख्त चेतावनी दी है कि यदि अगली तारीख पर सरकार की ओर से ठोस कार्यवाही की रिपोर्ट ना आई तो फिर कोर्ट कठोर आदेश पारित करेगी।