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HC ने जल निगम के एक मामले में आजम खान के खिलाफ जारी किया जमानती वारंट

हाईकोर्ट ने बुधवार (01 मार्च) को कैबिनेट मंत्री और जल निगम के चेयरमैन आजम खान के खिलाफ जल निगम के एक मामले में जमानती वारंट जारी किया है।

tiwarishalini
Published on: 1 March 2017 1:39 PM GMT
HC ने जल निगम के एक मामले में आजम खान के खिलाफ जारी किया जमानती वारंट
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लखनऊ: कैबिनेट मंत्री और जल निगम के चेयरमैन आजम खान के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार (01 मार्च) को जल निगम के एक मामले में जमानती वारंट जारी किया है। पूर्व आदेश के अनुपालन में हाजिर न होने पर कोर्ट ने यह आदेश जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी।

यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस आर एन मिश्रा द्वितीय की बेंच ने खुद जल निगम की ओर से साल 2013 में दायर एक सर्विस याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

इस मामले की सुनवाई के दौरान दस्तावेजों में प्रथम दृष्टया हेराफेरी को देखते हुए कोर्ट ने गत 17 फरवरी को जल निगम के चेयरमैन आजम खान समेत जल निगम के एमडी और मुख्य अभियंता के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी।

कोर्ट ने तीनों को बुधवार को व्यक्तिगत रूप से तलब कर पूछा था कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

बुधवार को सुनवाई के दौरान निगम के एमडी और चीफ इंजीनियर हाजिर थे लेकिन आजम खान पेश नहीं हुए। उनकी ओर से अपर महाधिवक्ता और जल निगम के वकील आईपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि मामले में आजम खान का कुछ लेना देना नहीं है।

अतः उनकी हाजिरी माफ कर दी जाए। कोर्ट ने आईपी सिंह के तर्क को दरकिनार कर आजम के खिलाफ जमानती वांरट जारी कर दिया।

क्या है मामला?

-सेवा संबंधी इस मामले में ट्रिब्यूनल ने सहायक अभियंता डी के सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को खारिज कर दिया था।

-ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि डी के सिंह के खिलाफ तैयार आरोप पत्र को सक्षम अधिकारी द्वारा अप्रूव नहीं किया गया है।

-ट्रिब्यूनल के आदेश को साल 2103 में हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी।

-जब याचिका दाखिल की गई तब आरोप पत्र में हस्ताक्षर न होने के ट्रिब्यूनल के फाइंडिंग को चुनौती नहीं दी गई।

-तीन साल बाद याचियों की ओर से एक दस्तावेज प्रस्तुत कर यह दिखाने का प्रयास किया गया कि आरोप पत्र पर हस्ताक्षर मौजूद हैं।

कोर्ट ने क्या कहा था ?

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि यदि यह दस्तावेज याचिका को दाखिल करते समय मौजूद था और इस बिंदु पर ट्रिब्यूनल की फाइंडिंग सही नहीं थी तो यह बात याचिका का पहला आधार होती, लेकिन ऐसा नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि इससे स्पष्ट है कि एक फर्जी और कूट रचित दस्तावेज बाद में तैयार किया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम प्रथम दृष्टया मानते हैं कि दस्तावेज को बाद में तैयार कर इस कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट ने आजम खान समेत सभी याचियों को नोटिस जारी करने का निर्देश देते हुए पूछा था कि वे सभी उपस्थित होकर बताएं कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक अवमानना कारित करने के लिए क्यों न कार्यवाही शुरू की जाए।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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