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जनहित में धार्मिक स्थल की जमीन का भी अधिग्रहण कर सकती है सरकार-High Court

कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991 के तहत धार्मिक स्थल की जमीन की प्रकृति परिवर्तन पर लगी रोक राज्य या केन्द्र सरकार पर लागू नहीं होगी। सरकार को किसी भी जमीन का जनहित में अधिग्रहण करने का अधिकार है

zafar
Published on: 23 Dec 2016 2:35 PM GMT
जनहित में धार्मिक स्थल की जमीन का भी अधिग्रहण कर सकती है सरकार-High Court
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हाईकोर्ट में उठा मुद्दा, क्या यूपी सरकार पानी पर टैक्स लगा सकती है?

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत सरकार को किसी भी जमीन का जनहित में अधिग्रहण करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991 के तहत धार्मिक स्थल की जमीन की प्रकृति परिवर्तन पर लगी रोक राज्य या केन्द्र सरकार पर लागू नहीं होगी। यह उपबंध धर्मिक ग्रुपों पर साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लिए लागू होगा ताकि कोई धार्मिक स्थल की जमीन का दुरूपयेाग न कर सके।

सरकार को अधिकार

-कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जरूरी जमीन का अधिग्रहण करने पर केन्द्र सरकार पर कोई रोक नहीं है।

-कोर्ट ने आगरा-इटावा बाईपास को 6 लेन बनाने तथा मूर मेमोरियल चर्च शिकोहाबाद, फिरोजाबाद सुभाष तिराहे पर फ्लाई ओवर के लिए अधिग्रहीत भूमि के अधिग्रहण की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका निस्तारित कर दी।

-फ्लाई ओवर के नीचे आने वाले चर्च के ध्वस्तीकरण को एक माह के लिए टालने का कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा है कि चर्च व ग्रेवयार्ड को शिफ्ट करने पर अथॉरिटी विचार करे।

अधिग्रहण पर रोक नहीं

-यह आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ला तथा न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खण्डपीठ ने चर्च ऑफ नार्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन आगरा की याचिका पर दिया है।

-केन्द्र सरकार ने 17 अगस्त 12 को 4 लेन बाईपास को 6 लेन बनाने तथा फ्लाई ओवर के लिए चर्च की जमीन अधिग्रहीत की थी।

-इसे यह कहते हुए चुनौती दी गयी थी कि धार्मिक स्थल का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसी जमीन की प्रकृति परिवर्तित नहीं की जा सकती।

-कहा गया था कि यह अधिग्रहण अधिनियम तथा संविधान के अनुच्छेद 25 व 30 के खिलाफ है।

-राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत अथॉरिटी के अधिवक्ता का कहना था कि केन्द्र सरकार को जनहित में धार्मिक सहित किसी भी जमीन को अधिग्रहीत करने का अधिकार है।

-अथॉरिटी की दलील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया है।

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