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मोदी रंग चोखा-अखिलेश का पक्का, सोच कर खरीदें, रह जाएंगे हक्का-बक्का

Admin
Published on: 22 March 2016 2:21 PM GMT
मोदी रंग चोखा-अखिलेश का पक्का, सोच कर खरीदें, रह जाएंगे हक्का-बक्का
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लखनऊ: होली का मौका है और ऐसे में नेता सियासी रंग से होली न खेलें। यह कैसे हो सकता है। इस समय सियासी ब्रांडों के पिचकारी और रंगों का बाजार भी गरम है। पर इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यानि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की पिचकारी ओवैसी को सबसे ज्यादा भा रही है। वामपंथी भी इसमें पीछे नहीं हैं तो भाजपा पीएम मोदी के साथ राष्ट्रवाद के रंग से पूरे देश को सराबोर करने में जुटी है।

बाजार में बिक रहे इन ब्रांड के रंगों की क्वालिटी से न रहें अनजान

मुलायम रंग: यह रंग लगाने के बाद किसी भी रंग में बदल सकता है। इसलिए आप सामने वाले को रंग लगाते समय यह मत तय करें कि उसे आप कौन सा रंग लगा रहे हैं यह उस कलर पर ही छोड़ दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

अखिलेश रंग: इस रंग की खासियत है 'डबल द स्पीड, ट्रिपल द इकनॉमी'। इसे विकास रंग के नाम से भी जाना जाता है। यह रंग लगाने के बाद ही तेजी से विकास करता है। इसलिए इस रंग से भी सावधानी के साथ खेलें। घर के अंदर इस रंग से खेलने में सतर्कता बरतें।

शिवपाल रंग: यह रंग खासकर किसानों और खेती से जुड़े लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय है। यह रंग वाटर फ्रेंडली है। आसानी से पानी में मिल जाता है और इससे पानी भी खूब छूटता है।

राजनाथ रंग : इसे बिल्कुल देशी रंग के तौर पर जाना जाता है। घर में इस रंग से खेला जा सकता है।

मोदी रंग : यह रंग राष्ट्रवाद रंग के रूप में विख्यात है। यह अन्य रंगों से बिल्कुल अलग है। इसे लगाने के बाद लोग बहुत बोलने लगते हैं।

मायावती रंग: इस रंग की भी लोगों में खासी डिमांड है। यह कलर बहुत ही पक्का होता है और बाजार में इसका रेट भी काफी हाई है। इसकी खासियत है कि एक बार यह लगने के बाद आसानी से नहीं छूटता।

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अजित रंग: मुजफ्फरनगर दंगों के बाद यह रंग फीका पड़ गया। इसका दूसरा नाम पानी कलर भी है। इसलिए पश्चिमी यूपी में भी लोग इसे सोच-समझकर प्रयोग कर रहे हैं।

केजरीवाल रंग: जब किसी को कोई रंग नहीं मिलता है तो वह केजरी रंग का प्रयोग करते हैं। नमक के अनुसार लोग इसे जरूरत के अनुसार प्रयोग कर सकते हैं।

प्रियंका रंग: इस ब्रांड के रंग का अभी लोगों को इंतजार है। बताया जा रहा है कि यह रंग काफी चटखदार है और अन्य रंगों की अपेक्षा यह रंग बड़ी ही तेजी से चढ़ता है। पर अभी तक यह रंग मार्केट में नहीं आ पाया है।

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राहुल रंग: होली में यह रंग बेअसर साबित हो रहा है। पीके भी इसी रंग से इस बार होली खेलने की कोशिश में हैं। हालांकि यूपी में इसका विरोध हो रहा है। पीके को समझाया जा रहा है कि यह ऐसा रंग है कि रंग लगाने के बाद भी लगता है कि जैसे रंग लगाया ही न गया हो।

कन्हैया रंग: इस रंग को लेकर खासा विवाद है। अभी यह तय नहीं हो पाया है कि यह रंग फायदेमंद है या नुकसानदायक। सियासी रंग खेलने वाले कई महारथी इसकी टेस्टिंग में लगे हैं। कोई इसे इको फ्रेंडली तो कोई क्रांति रंग कह रहा है।

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