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जर्मनी में एयरपोर्ट पर भारतीय मूल की महिला से नस्लीय भेदभाव, कपड़े उतारने को कहा

aman
By aman
Published on: 1 April 2017 7:05 PM GMT
जर्मनी में एयरपोर्ट पर भारतीय मूल की महिला से नस्लीय भेदभाव, कपड़े उतारने को कहा
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बर्लिन: भारतीय मूल की एक महिला ने जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर खुद के साथ नस्लीय भेदभाव का आरोप लगाया है। श्रुति बसप्पा आइसलैंड में रहती हैं। श्रुति ने वहीं के एक नागरिक से शादी की है। बीते हफ्ते वह बेंगलुरु से आइसलैंड की यात्रा पर थीं। इसी दौरान उनके साथ ये वाकया हुआ।

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श्रुति बसप्पा ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि 'जर्मनी के फ्रैंकपर्ट एयरपोर्ट पर सुरक्षा अधिकारियों ने उसे कपड़े उतारने को कहा।' इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए जर्मनी में भारतीय दूतावास से मामले पर पूरी रिपोर्ट मांगी है।



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बोला- कपड़े उतारो या उठाओ

श्रुति बसप्पा ने फेसबुक पर लिखा कि वह अपने परिवार के साथ भारत से आइसलैंड वाया फ्रैंकफर्ट की यात्रा पर थीं। श्रुति ने पोस्ट में लिखा है कि 'फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर सुरक्षा अधिकारी उन्हें एक कमरे में ले गए और कपड़ों को ऊपर उठाने या उतराने को कहा, ताकि वे जांच सके कि वह कपड़ों के नीचे छिपाकर कुछ नहीं ले जा रहीं। बसप्पा ने लिखा है कि यह सब कुछ उनकी 4 साल की बेटी की आंखों के सामने हुआ।'

आगे की स्लाइड में पढ़ें श्रुति का फेसबुक पर किया पोस्ट और पूरी खबर ...

जर्मनी में भारतीय मूल की महिला से नस्लीय भेदभाव, कपड़े उतारने को कहा

तस्वीर और पोस्ट श्रुति के फेसबुक वाल से ...

पति को जाने दिया

हालांकि, जब श्रुति के पति सुरक्षा जांच रूम में पहुंचे, तो उन्हें जाने दिया। श्रुति का कहना है कि 'अगर आपका जीवनसाथी कोई यूरोपीय है, तभी आप शक के दायरे से बाहर होते हैं।' पीड़ित महिला ने अपनी दास्तां फेसबुक पर साझा की। यह घटना 29 मार्च की है।

ये रंगभेद का मामला

बता दें, कि श्रुति पेशे से आर्किटेक्ट हैं। बताया, कि फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर सुरक्षाकर्मियों ने उनका बॉडी स्कैन किया। जांच के दौरान सुरक्षाकर्मी उनको लगातार थपकी दे रहे थे। इस पर उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से ऐसा नहीं करने के लिए कहा। श्रुति ने बताया कि उनका हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ है। उन्होंने इसका मेडिकल रिकॉर्ड भी दिखाया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उनकी एक नहीं सुनी। श्रुति का कहना है कि वो पिछले 6 सालों से यूरोप में रह रही हैं लेकिन ये पूरी तरह से रंगभेद का मामला है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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