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अब बढ़ती कीमतों का पता लगाएंगी इंटेलिजेंस एजेंसियां, केंद्र सरकार गंभीर
लखनऊ: दाल, चीनी समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हाल ही में हुई वृद्धि को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। कीमतों के बढ़ने में जमाखोरों और मुनाफाखोरों का कोई रोल है या नहीं इसे देखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो और राजस्व इंटेलिजेंस निदेशालय को लगाया गया है।आमतौर पर ये दो एजेंसियां इन चीजों से खुद को दूर रखती हैं।
आवश्यक चीजों की कमी कहीं जानबूझकर तो नहीं
केंद्र सरकार का मानना है कि आमतौर पर चीजों के दाम मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण बढ़ते हैं लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं है। केंद्र सरकार यह पता लगाना चाहती है कि आवश्यक चीजों की कमी कहीं जानबूझकर तो पैदा नहीं की जा रही जिससे सरकार को बदनाम किया जा सके।
दाल लेकर सब्जियों तक के बढ़ रहे भाव
पिछले रबी सीजन में चना दाल की पर्याप्त पैदावार हुई थी लेकिन खुदरा बाजार में इसके दाम अभी भी बढ़े हुए हैं। लखनऊ में चना दाल अभी 110 रुपए प्रति किलो बिक रहा है जबकि पिछले सप्ताह इसका खुदरा भाव 85 रुपए प्रति किलो था ।
इसी तरह उरद दाल के भाव भी बढ़े हुए हैं। यही कहानी अन्य दालों और सब्जियों साथ है। आलू के दाम बढ़ रहे हैं तो टमाटर बेहिसाब लाल हो रहा है। देखते-देखते इसके भाव 100 रुपए प्रति किलो हो गए हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञ इस मामले में सरकार को ही दोषी ठहराते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल खराब मौसम और कम बरसात के कारण दाल की पैदावार कम हुई थी। सरकार ने कम पैदावार की बात जानते हुए भी इसका बफर स्टॉक नहीं रखा।
चीनी पर बढ़ाया 20 फीसदी शुल्क
चीनी की बढ़ती कीमतों पर अंकुश के लिए केंद्र सरकार ने इसका निर्यात तो नहीं रोका लेकिन उस पर 20 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया जिससे निर्यात में कमी आए और देश में इसकी कीमत भी नहीं बढ़े।
दालों का बढ़ेगा बफर स्टॉक
केंद्रीय उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने गुरूवार को बैठक कर निर्णय लिया कि दाल का बफर स्टॉक रखने के लिए 6 लाख 50 हजार टन दाल का आयात किया जाएगा। अभी तक दालों का बफर स्टॉक डेढ़ से दो लाख टन हुआ करता था जिसे बढ़ा कर 8 लाख टन किया जा रहा है।