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अब जल्द ही खादी पर दिखेगी योगी सरकार की मेहरबानी, होंगे कई बदलाव
योगेश मिश्र
लखनऊ। जल्द ही राज्य सरकार की मेहरबानी खादी पर दिखने वाली है। खादी के कपड़ो से लेकर ग्रामोद्योग तक के सामानो पर सरकार अपनी नीति में बड़े बदलाव की तैयारी में है। इसके तहत एक ओर जहाँ छूट के दौरान फ़र्ज़ी बिलों के मार्फ़त लेनदेन पर लगाम लगाई जाएगी वही खादी का बाजार बढाए जाने लिए स्कूली बच्चो को ड्रेस खादी की ही दिए जाने का फैसला सरकार लेनी वाली है।
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सरकारी गेस्ट हाउस में भी अब खादी के पर्दे, कम्बल, तौलिया और चादर आदि मिला करेंगे। छूट की समयावधि भी कम की जाएगी।
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खादी का बाज़ार बढ़ाने के लिए कराये गए सर्वे में राज्य सरकार को यह तथ्य हाथ लगा है की 2 अक्टूबर से 30 जनवरी के बीच जो छूट दी जाती है, उसमे बड़ा फर्जीवाड़ा होता है। चार महीने के इस कालखंड में ही साल भर से ज्यादा बिक्री होती है। छूट का यह माया जाल इतना आकर्षक है की खादी आयोग से सेवानिवृत्त होने वाले पिछले दो तीन आईएएस अफसरों ने खादी आयोग से जुडी कोई न कोई संस्था खोल ली है। अभी तक तमाम ऐसे उत्पादों पर छूट मिल रही थी जो उतरप्रदेश के बाहर निर्मित किये गए थे।
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सरकार जल्द ही उत्तर प्रदेश में ही निर्मित उत्पादों पर छूट का प्रावधान तय करने वाली है। सरकार इस मसविदे पर भी काम कर रही है ताकि छूट का कुछ लाभ उत्पादन इकाइयों को भी मिले। अभी तक यह सिर्फ खरीददार के हिस्से जाता है। बच्चो को खादी की ड्रेस देने का सरकारी फैसला आर्थिक रूप से बोझ बढ़ने वाला जरूर है। पर सरकार ने इस पर आगे बढ़ने का मन बनाया है। अभी तक बच्चो को जो ड्रेस दी जाती है वह तकरीबन 400 रुपये की पड़ती है जबकि खादी की ड्रेस पर तकरीबन 1000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। लेकिन सरकार अगर इस फैसले पर अमल करती है तो उत्पादन इकाइयों को अधिक आर्डर मिलेगा और वे मजबूत होंगी।
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राज्य सरकार छूट के चार महीनो के काल खंड को भी कम करना चाहती है। राष्ट्रपिता महात्मागांधी के जनदिन से पुण्यतिथि तक के लगातार छूट के कालखंड को दो हिस्सों में अलग अलग करना चाहती है , जो दो अक्टूबर और 30 जनवरी के पास के दो खंडो में होगा। सरकार ने खादी के कपड़ो को बड़ा बाज़ार दिलाने के लिए डिजाइनर रेडीमेड कपड़ो की एक नयी रेंज बाज़ार में उतारने को तैयार है।