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अलग आतंकी गुट बना रहे थे सैफुल्ला और साथी, ट्रेन ब्लास्ट समेत कई वारदातों में था हाथ

एडीजी दलजीत चौधरी ने कहा कि ये आतंकी बेहतरीन कोऑर्डिनेशन के साथ काम कर रहे थे और अपनी अलग पहचान बना रहे थे। हालांकि हमारे पास अभी इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि इनका टारगेट क्या था, लेकिन इन्हें कहीं से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है।

zafar
Published on: 8 March 2017 6:52 PM IST
अलग आतंकी गुट बना रहे थे सैफुल्ला और साथी, ट्रेन ब्लास्ट समेत कई वारदातों में था हाथ
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लखनऊ: यूपी एटीएस और पुलिस के आला अधिकारियों ने कहा है कि मारा गया आतंकी सैफुल्ला और उसके गिरफ्तार साथी कई छोटी छोटी वारदातों में शामिल थे। अधिकारियों ने कहा कि भौपाल-उज्जैन पैसेंजर में ब्लास्ट इसी संगठन ने किया था। ब्लास्ट के बाद ही तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सैफुल्ला के सरेंडर के लिए काफी प्रयास किये गये, लेकिन आखिर में उसे मुठभेड़ में मार गिराया गया।

ट्रेन ब्लास्ट ने दिया सुराग

एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर दलजीत चौधरी ने बताया कि सैफुल्ला खुद को आईएसआईएस आतंकी बता रहा था।

आतंकी को सरेंडर कराने के लिये परिजनों और पड़ोसियों से बात कराई गई। बड़े भाई और एक पड़ोसी मौलाना ने भी समझाने की कोशिश की।

इसके बाद पुलिस ने टिअर गैस वगैरह का प्रयोग करके उसे निकालने की कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं निकला और मुठभेड़ में मारा गया।

सैफुल्ला के पास से ऑपरेशन टीम को 8 पिस्टल, 600 कारतूस, 62 खोखे, टाइमर, तार और छर्रे बरामद हुए हैं।

इसके अलावा मारे गये आतंकी के पास से कैश, गोल्ड और 3 पासपोर्ट बरामद हुए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि जिस मकान में सैफुल्ला मारा गया, उसमें 4 लोग किराये पर रहते थे।

मंगलवार सुबह ही इन लोगों ने शाजापुर में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में लो इंटेंसिटी बम से ब्लास्ट कराया था।

ब्लास्ट के बाद मिली सूचनाओं के आधार पर आतिफ मुज़फर, दानिश अख्तर और एक अन्य समेत तीन लोग गिरफ्तार हुए थे।

इनकी गिरफ्तारी के लिये औरैया, इटावा, कानपुर और लखनऊ में दबिश दी गई थी। इसी दौरान लखनऊ में मुठभेड़ हुई थी।

कई वारदातों में हाथ

एडीजी चौधरी ने बताया कि ये आतंकी युवक वेबसाइट और सोशल मीडिया पर आतंकी लिटरेचर पढ़ते थे।

इसी सोच के तहत इन्होंने कई छोटी छोटी घटनाएं अंजाम दीं, जिसका खुलासा मध्य प्रदेश में ब्लास्ट के बाद हुआ।

एडीजी ने बताया कि 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 2 अन्य की तलाश जारी है।

इन पर एटीएस द्वारा लखनऊ में मुक़दमे दर्ज किये जा रहे हैं।

एटीएस ने आतंकियों के पास से 6 मोबाइल फोन, 4 सिम, चेकबुक, नक्शे और डिग्रियां बरामद की हैं।

कानपुर और इटावा में छापेमारी के दौरान लैपटॉप मिला है। लैपटॉप से इनके आतंकी लिटरेचर पढ़ने का पता चला है।

इटावा से फख्रे आलम और कानपुर से फैजल की गिरफ्तारी हुई है।

बना रहे थे अलग आतंकी गुट

एडीजी दलजीत चौधरी ने कहा कि ये आतंकी बेहतरीन कोऑर्डिनेशन के साथ काम कर रहे थे और अपनी अलग पहचान बना रहे थे।

हालांकि हमारे पास अभी इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि इनका टारगेट क्या था, लेकिन इन्हें कहीं से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है।

इसका सरगना अतीक़ मुज़फ्फर था।

उन्होंने कहा कि एमपी की तस्वीरें सीरिया भेजने की जानकारी वहां की पुलिस को मिली होगी, हमें इसकी जानकारी नहीं है।

इनमें इमरान और पैजल भाई हैं। इमरान की भूमिका नहीं मिली है। कानपुर में इनके कुछ रिश्तेदार और मित्र हैं।

एडीजी ने कहा कि कुछ लापरवाही हुई थी, लेकिन सूचना मिलने के बाद कार्रवाई हुई और पुलिस कार्रवाई से बड़ी घटनाएं टल गईं।

एडीजी ने कहा कि पुलिस भटके युवकों को वापस मुख्यधारा में ला रही है।

एडीजी लखनऊ में संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उनके साथ आईजी एटीएस असीम अरुण और आईजी लखनऊ ए सतीश गणेश भी मौजूद थे।



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