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भारत लाया गया कृपाल सिंह का शव, दिल और लीवर अभी भी पाकिस्तान में
नई दिल्ली: पिछले 25 सालों से कृपाल सिंह को देखने के लिए तरस रहे उनके घर वालों को अब उनकी लाश देखने को मिली है। कई वर्षों से पाकिस्तान की जेल में बंद कृपाल सिंह की लाश मंगलवार को वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत लाई गई। बताया जा रहा है कि उनकी डेडबॉडी में न तो दिल था और न ही लीवर, शरीर के इन दोनों ही पार्ट को मौत के बाद लाहौर के हॉस्पिटल में हुए पोस्टमार्टम में निकाल लिया गया था।
पंजाब के रहने वाले कृपाल सिंह की डेडबॉडी के साथ पाकिस्तानी सेना ने उनके कुछ पत्र भी सौंपे हैं जिन्हें कृपाल ने मौत के पहले पारी परिवार वालों को लिखा था।
कौन थे किरपाल
गुरदासपुर के गांव मुस्तफाबाद सैंदा निवासी कृपाल सिंह 1991 में अचानक घर से लापता हो गए। दोबारा लौटकर नहीं आए। कुछ अर्से बाद उनका खत मिला था कि वे पाकिस्तान की जेल में हैं। उनके भतीजे अश्विनी कुमार ने बताया कि उसके चाचा 13 साल तक आर्मी में रहे थे। गरीबी के कारण फैमिली उनकी रिहाई की पैरवी नहीं कर सकी।
जासूसी के आरोप में जेल में बंद थे कृपाल
54 साल के कृपाल सिंह को 1992 में भारत के लिए जासूसी करने के आरोप में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। वो साल 1992 में वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान में दाखिल हो गए थे। जहां उन्हें गिरफ्तार किया गया। बाद में उनपर पंजाब प्रांत के सीरियल ब्लास्ट का आरोप भी लगा दिया गया और उन्हें मौत की सजा सुना दी गई। हालांकि बाद में लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें बम धमाकों के आरोप से बरी कर दिया था।
क्या लिखा था कृपाल के लेटर में
इन खतों में उन्होंने उस सभी बातों का जिक्र किया जिसे उन्होंने पाकिस्तानी जेल में झेला या सहा था। एक ख़त में उन्होंने लिखा था कि मिलने आओ या यहां से निकालने के लिए कोई वकील करो। वह बेकसूर हैं और उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है। बड़ी मुश्किल से जेल में वक्त कट रहा है। उन्होंने लिखा, वह ठीक-ठाक है। कई खत भेजे पर जवाब नहीं आ रहा। ना ही कोई पार्सल मिल रहा है।
वहीं एक अन्य ख़त में कृपाल ने जफर और अशफाक का जिक्र करते हुए आपबीती उजागर की। उन्होंने लिखा कि जफर तो उनका ख्याल रखता है और उनके साथ ही वक्त बिताना पसंद करता है, लेकिन अशफाक उनके साथ-साथ जफर को भी बुरा-भला कहता है और उनकी कब्र इसी जेल में बनवाने की बात करता है।
कृपाल के परिवार वाले लगा रहे हत्या का आरोप
मंगलवार को कृपाल की डेडबॉडी पंजाब के गुरदासपुर स्थित मुस्तफाबाद में लाया गया है। यहां आस-पास के कई गांवों से लोग जुटे हुए हैं। उनके परिजनों का कहना है कि सरबजीत और कृपाल दोनों को ही साजिश के तहत मारा गया है। हालांकि पाकिस्तान का कहना है कि कृपाल सिंह का निधन जेल में ही दिल का दौरा पड़ने की वजह से हो गया था। 11 अप्रैल को उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर के भारत आने का इंतजार किया जा रहा था।