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QED से विलय पर अखिलेश तो मौर्या की BSP में पैठ का आज लिटमस टेस्ट
लखनऊः सीएम और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीएसपी से बगावत करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या के लिए आज का दिन किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है। सपा के पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल (क्यूईडी) के उस विलय पर आखिरी फैसला होना है, जिसके विरोध में अखिलेश हैं। वहीं, बीएसपी के विधानमंडल दल की बैठक में तय होगा कि पार्टी से बगावत करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या की उसके विधायकों पर कितनी पैठ है।
अखिलेश के लिए क्यों है लिटमस टेस्ट?
-सीएम और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव क्यूईडी से विलय का विरोध कर चुके हैं।
-नाराज अखिलेश ने विलय में अहम भूमिका निभाने वाले मंत्री बलराम यादव को बर्खास्त कर दिया था।
-सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अपने चाचा शिवपाल की शिकायत पिता और राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह से की थी।
-अखिलेश की नाराजगी के बाद शिवपाल ने कहा था कि विलय मुलायम की मर्जी से हुआ और अंतिम फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा।
-पार्लियामेंट्री बोर्ड बैठक में तय होगा कि अखिलेश को मुलायम तरजीह देते हैं या अपने भाई शिवपाल के साथ खड़े होते हैं।
स्वामी प्रसाद के लिए क्यों है लिटमस टेस्ट?
-स्वामी प्रसाद मौर्या ने दावा किया है कि पार्टी के ज्यादातर विधायक उनके साथ हैं। उन्होंने नेता विपक्ष का पद भी नहीं छोड़ा है।
-विधानसभा अध्यक्ष को लिखकर दिया है कि अगर नेता विपक्ष के तौर पर कोई नया नाम बीएसपी भेजती है तो मंजूरी देने से पहले उनसे भी पूछा जाए।
-मौर्या के पार्टी से बगावत के बाद मायावती ने विधानमंडल दल की बैठक बुलाने के निर्देश दिए थे।
-बैठक में विधायकों के रुख से ही तय होगा कि बगावत के बावजूद मौर्या की कितनी पैठ पार्टी में बची हुई है।
-इंद्रजीत सरोज, धर्म सिंह सैनी और राम प्रसाद चौधरी नेता विपक्ष बनने वाले नामों में टॉप पर हैं।