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मणिकर्णिका घाट सहित कई धरोहर अवैध घोषित, हाईकोर्ट को सौंपी गई सूची
वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में वाराणसी विकास प्राधिकरण ने शहर की तमाम ऐतिहासिक धरोहरों को अवैध घोषित कर दिया है। ऐसा करते हुए प्राधिकरण ने बकायदा नोटिस जारी की है। इसमें काशी का महाश्मशान मणिकर्णिका घाट और बिंदु माधव मंदिर भी शामिल हैं। इस सूची को लेकर तमाम चर्चाएं हो रही है।
प्राधिकरण ने हाईकोर्ट को सौंपी सूची
प्राधिकरण ने इसकी जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालते हुए सूची हाई कोर्ट को सौंपी है। हालांकि इस संबंध में वीडीए के सचिव एमपी सिंह से जब मीडियाकर्मियों ने सवाल किया तो उनका कहना था कि ऐसा कुछ भी नहीं है। जबकि जो सूची सार्वजनिक की गई है उस पर वीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सर्वज्ञ राम मिश्र, सचिव एमपी सिंह और दो जोनल अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। इस सूची को वीडीए की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
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वीडीए की इस सूची में गंगा तट और उसके किनारे के 579 स्थल शामिल
-वीडीए ने गंगा तट और उसके किनारे के 579 स्थलों को अवैध घोषित किया है।
सूची में शामिल प्रमुख स्थल
-महाश्मशान मणिकर्णिका घाट व मंदिर।
-काशी के डोम राजा जगदीश चौधरी का आवास।
-रामघाट स्थित प्राचीन मेहता अस्पताल।
-बाला जी मंदिर, बिंदु माधव मंदिर।
-राजा चौहट्टा लाल खां का मकबरा।
-संत रविदास मंदिर।
-स्वामी करपात्री जी द्वारा मीरघाट क्षेत्र में स्थापित नया विश्वनाथ मंदिर।
-भदैनी स्थित माता आनंद मयी आश्रम।
-प्राचीन चेतसिंह किला।
-मदर टेरेसा द्वारा स्थापित दीनहीन सद्गति स्थल।
-प्राचीन केदारेश्वर मंदिर।
-ज्योतिष एवं शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का विद्या मठ।
-तुलसी घाट स्थित संकट मोचन के महंत प्रो। विश्वंभर नाथ मिश्र का आवास।
-भदैनी स्थित वाटर पंप स्टेशन।
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महाश्मशान का इतिहास
काशी का महाश्मशान मणिकर्णिका घाट जिसके बारे में पुराणों में वर्णित है कि भगवान शंकर और पार्वती जब घूमने निकले थे तो माता पार्वती के कान की मणि यहां गिरी थी। तभी से इसका नाम मणिकर्णिका पड़ा। मान्यता है कि यहां जिस शव की अंत्येष्टी होती है, उसे मोक्ष मिलता है।
काशी के प्रबुद्ध लोगों को जारी किया गया नोटिस
वीडीए ने काशी के जिन मानिंदों के नाम नोटिस जारी किया है उसमें पूर्व काशीराज, काशी के मेयर रहे बृजपाल दास, बीडी सुब्रमण्यम शंकराचार्य, आशुतोष भट्टाचार्य आदि शामिल हैं। ये ऐसे नाम हैं जो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं। इन सभी से 27 जून तक जवाब मांगा गया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या ये पुरखे जिनके नाम से काशी को जाना जाता है वो क्या स्वर्ग से आकर वीडिए को जवाब देंगे?
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