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नोटबंदी के मुद्दे पर मायावती ने कहा- देश की जनता को इमोशनल ब्लैकमेल न करें मोदी
बसपा मुखिया मायावती ने पीएम नरेंद्र मोदी पर 500 और 1000 रुपए के नोटों पर अचानक पाबंदी के मुद्दे पर लोगों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर उन्होंने अपना घर-परिवार सब कुछ देश के लिये छोड़ा है तो इसका यह मतलब नहीं है कि वे जनहित से खिलवाड़ करते हुए देश की समस्त जनता को दुःख और गंभीर पीड़ा पहुंचाने वाले अपरिपक्व फैसले लें और उस पर अडिग रहने की हठ करें।
लखनऊ: बसपा मुखिया मायावती ने पीएम नरेंद्र मोदी पर 500 और 1000 रुपए के नोटों पर अचानक पाबंदी के मुद्दे पर लोगों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर उन्होंने अपना घर-परिवार सब कुछ देश के लिये छोड़ा है तो इसका यह मतलब नहीं है कि वे जनहित से खिलवाड़ करते हुए देश की समस्त जनता को दुःख और गंभीर पीड़ा पहुंचाने वाले अपरिपक्व फैसले लें और उस पर अडिग रहने की हठ करें।
पीएम मोदी द्वारा रविवार को गोवा में दी गए भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मायावती ने कहा है कि मोदी बात-बात पर भावुक होकर लोगों को भावनात्मक तौर पर ब्लैकमेल करने का प्रयास करते रहते हैं।
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इससे पहले दलित बर्बर ऊना कांड के मामले में भी काफी भावुक होकर उन्होंने बहुत कुछ आश्वासन दिया था, लेकिन उससे भी दलित उत्पीड़न का कोई समाधान नहीं निकल पाया। ठीक उसी प्रकार मोदी द्वारा 500 और 1000 के नोटों पर अचानक पाबंदी लगाने के फैसले से देश की जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई है। उसे उसकी ईमानदारी की सजा क्यों दी जा रही है।
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बसपा सुप्रीमों ने आगे कहा है कि अगर पीएम मोदी ने उन लोगों को होने वाली दिन-प्रतिदिन की पीड़ा को थोड़ा भी समझ लिया होता तो फिर इस प्रकार की आपाधापी और जल्दबाजी में इतना अपरिपक्व फैसला कभी भी नहीं लिया गया होता और कम-से-कम अब वर्तमान परिस्थिति में कुछ आवश्यक सुधार करने की कोशिश जरूर की गई होती।
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पीएम का यह कहना कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर वे सत्ता में आए हैं तो उन्हें अपने चुनावी वायदा पूरा करने के लिये विदेशों से कालाधन वापस लाना होगा। देश के हर गरीब परिवार के सदस्य को 15 से 20 लाख रुपए देने को कदम उठाना चाहिये था। ढाई साल बीत जाने के बावजूद कुछ भी ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
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पीएम मोदी द्वारा कुछ भी ठोस बात नहीं बोलना क्या नैतिक भ्रष्टाचार नहीं है। देश में कालाधन को सफेद बनाने के लिये जो योजनाएं उनकी सरकार द्वारा लागू की गई हैं और जिनमें लगभग 66,000 करोड़ रुपया जमा कराया गया। सरकार उनमें से भी किसी का नाम देश की जनता को क्यों नहीं बता रही है।
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मोदी सरकार ने ढाई सालों के कार्यकाल में चुनावी वादों का एक-चौथाई हिस्सा भी पूरा नहीं किया। मोदी सरकार आम जनता के विश्वास पर थोड़ा भी खरा नहीं उतर पाई है। यूपी, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में चुनाव से पहले जनता का ध्यान बांटने के लिए ही देशभर की जनता को जानबूझ कर एक बहुत बड़े जंजाल में फंसा दिया गया है।