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मी टू: ये कहां जा रहे हम

raghvendra
Published on: 12 Oct 2018 12:15 PM IST
मी टू: ये कहां जा रहे हम
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अंशुमान तिवारी

लखनऊ: फिल्म अभिनेता। धनकुबेर। क्रिकेट खिलाड़ी। राजनेता और अब पत्रकार। मीटू कैम्पेन ने अपनी जद में धीरे-धीरे सबको लेना शुरू कर दिया है। हद तो यह हो गई कि केंद्र सरकार के मंत्री और पत्रकार रहे एमजे अकबर पर भी प्रिया रमानी ने संपादक रहने के दौरान यौन शोषण का आरोप जड़ दिया। इसके लिए उन्होंने हैश टैग मीटू का उपयोग किया। एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने जब इस कैंपेन के तहत नाना पाटेकर की दस साल पहले की करतूतों का खुलासा किया था तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि यह अभियान इतनी तेजी पकड़ लेगा। अब तो हालत यह हो गयी है कि सोशल मीडिया पर इसकी आंधी चल रही है। यह ट्रेंड करता है। तभी तो एक दिन में ट्विटर पर हैश टैग के साथ 15 करोड़ 62 लाख से अधिक ट्विट हो जाते हैं। फेसबुक पर यह हैश टैग दो करोड़ 90 लाख से अधिक एक दिन में रीच हासिल कर लेता है। हालांकि इसमें 49 फीसदी लोग मीटू अभियान के खिलाफ होते हैं। सिर्फ 23 फीसदी लोग मीटू अभियान के पक्ष में खड़े दिखते हैं। अब तो इस अभियान का भय आभासी दुनिया से निकलकर असली दुनिया तक पसरने लगा है।

2006 में अमेरिका की तराना बुरके द्वारा शुरू किये गए इस अभियान को उस समय हवा मिली जब 15 अक्टूबर 2017 को अभिनेत्री एलिसा मिलानो ने मीटू अभियान के तहत यौन शोषण की शिकार महिलाओं को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित करने वाला ट्विट किया था। एक दिन में वह पांच लाख बार रिट्विट किया गया। 47 लाख लोगों ने मीटू हैश टैग यूज किया था और फेस बुक पर एक करोड़ 20 लाख लोगों ने 24 घंटे के अंदर इसे पोस्ट किया था। पर आज यह यौन शोषितों की शिकायत का केवल प्लेटफार्म बनकर नहीं रह गया है बल्कि इसे हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल करने का चलन जोर पकड़ता दिख रहा है।

इस अभियान के हालिया शिकार केन्द्रीय मंत्री एमजे अकबर हैं। आभासी दुनिया के किसी भी अभियान में 49 फीसदी लोग कम से कम खिलाफ ट्विट रिट्विट अथवा पोस्ट करते हों तो जायज है कि इस अभियान को लेकर सवाल भी कई खड़े ही हो रहे होंगे। मसलन यह सवाल है कि आखिर इतने दिनों बाद शिकायत का औचित्य क्या है। शिकायत की कोई समय सीमा होनी चाहिए। हालांकि केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी यौन शोषण की शिकायत के लिए समय सीमा के खिलाफ हैं। लेकिन जिस देश में हर 15 मिनट में एक बच्चे का यौन उत्पीड़न होता हो, वहां कई बार ये सवाल बेमानी हो जाते हैं।

कांग्रेस ने बोला सरकार पर हमला

एमजे अकबर पर प्रिया रमानी के आरोप के बाद कई अन्य महिला पत्रकारों ने पत्रकार रहने के दौरान उन पर यौन शोषण का आरोप लगा दिया। इन आरोपों पर विदेश राज्य मंत्री अकबर ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने उनके इस्तीफे की मांग को लेकर दबाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और संबंधित मंत्री को इस पर अपना पक्ष रखना चाहिए। उन्होंने पूरे मामले की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि हम संबंधित मंत्री और प्रधानमंत्री दोनों को इस मुद्दे पर सुनना चाहते हैं। दूसरी ओर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भाजपा के लोकसभा सांसद उदित राज ने अकबर का बचाव किया है।

उन्होंने महिला पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह 10 साल बाद सामने क्यों आई है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इस मुद्दे पर संबंधित व्यक्ति का ख़ुद बोलना ही बेहतर होगा,क्योंकि मैं उस समय वहां मौजूद नहीं थी तो इसपर कुछ नहीं कह सकती। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए अपनी बात रखना काफी मुश्किल होता है। अपनी बात कहने वालों का मज़ाक न उड़ाएं. उन्होंने कहा कि न्याय पाने के कई तरीके मौजूद हैं। महिलाएं काम पर इसलिए नहीं जाती कि वहां उनका उत्पीड़न हो, बल्कि वे अपने सपनों को जीने और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए काम पर जाती हैं। मुझे उम्मीद है कि जिन महिलाओं ने आवाज उठाई है उन्हें न्याय मिलेगा और यह उनका हक है। हालांकि भाजपा के रणनीतिकार इस मसले पर एमजे अकबर के इस्तीफे के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि इस बात का अंदेशा है कि इसे कभी भी किसी के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

कौन हैं एमजे अकबर

अकबर राजनीति में आने से पहले कई बड़े अखबारों और पत्रिकाओं में संपादक रह चुके हैं। वे पत्रकारिता जगत की मशहूर शख्सियत रहे हैं और इसी कारण भाजपा ने उन्हें हाथों हाथ लिया और उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया। उन पर कई महिलाओं ने हमला बोला है। हार्वे विन्सिटन ऑफ द वर्ल्ड नाम से लिखे पोस्ट में कहा गया है कि अकबर ने होटल के एक कमरे में उनका इंटरव्यू लिया था। साथ ही उन्होंने शराब भी ऑफर की। अकबर ने महिला पत्रकार को बिस्तर पर उनके पास बैठने को भी कहा था। महिला का कहना है कि वह अश्लील फोन कॉल्स, मैसेज और असहज टिप्पणी करने में माहिर हैं। महिला का कहना है कि कई युवा महिलाएं उनकी गलत हरकतों की भुक्तभोगी रही हैं। लेख के प्रकाशन के समय आरोपी का नाम नहीं दिया गया था। अब खुलासा किया गया है कि ऐसी हरकतें करने वाले एमजे अकबर हैं।

प्रिया रमानी ने ट्वीट में इस आरोप को प्रमाणित करते हुए कहा है कि वह भी उनकी गलत हरकत की शिकार हुई। मुंबई के एक होटल में उसके साथ आपत्तिजनक हरकत की गई। वहीं शुमा राहा नाम की महिला ने प्रिया की बात का समर्थन किया है। शुमा ने अपने ट्वीट में दावा किया कि अकबर ने उसके साथ 1995 में ताज बंगाल होटल, कोलकाता में गलत हरकत की। उनकी गलत हरकत के विरोध में उसने नौकरी करने से इंकार कर दिया। इस ट्वीट के बाद कई अन्य महिला पत्रकारों ने भी आरोप का समर्थन किया।

तनुश्री दत्ता बोलीं-कपटी बन चुका है समाज

आशिक बनाया आपने,चॉकलेट और ढोल जैसी फिल्मों से सुर्खियों में रहीं अभिनेत्री तनुश्री दत्ता का कहना है कि हमारा देश इस वक्त एक कपटी समाज बन चुका है और लोग लगातार ये पूछते हैं कि आखिर मीटू मुहिम बॉलीवुड में सफल क्यों नहीं हुई? ये मुहिम यहां इसलिए सफल नहीं हुई क्योंकि हमारा समाज कुछ भी सुनने और स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। तनुश्री ने कहा कि मेरे साथ भी 2008 में बहुत बुरी घटना हुई। मैंने इस बाबत खुलकर बोला मगर बॉलीवुड से मेरे सपोर्ट में कोई नहीं आया।

2004 में मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली तनुश्री दत्ता ने 2005 में अपने बॉलीवुड कॅरियर की शुरुआत की थी। 2008 की एक घटना का जिक्र करते हुए तनुश्री ने बताया कि उस समय मैं फिल्म हॉर्न ओके प्लीज के लिए एक डांस नंबर शूट कर रही थी। इसी दौरान नामी एक्टर नाना पाटेकर ने उनके साथ बदसलूकी की। तनुश्री ने बताया कि इस नामी हीरो ने उसका हाथ पकडक़र उसे अपनी ओर खींच लिया। कोरियोग्राफर से कहा कि वो पीछे ही रहे और वो मुझे सिखाने लगा कि डांस कैसे करते हैं। इस दौरान हीरो मुझे गलत इरादे से छू रहा था। साथ ही वह तनुश्री पर इंटीमेट होने के लिए दबाव डाल रहा था। जब तनुश्री ने हीरो की बात नहीं मानी तो इससे परेशान होकर हीरो ने कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के द्वारा तुनश्री दत्ता की कार में तोडफ़ोड़ करा दी थी।

मेनका ने किया कैंपेन का समर्थन

इस बीच केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने मीटू कैंपेन का समर्थन किया है। मेनका गांधी ने कहा कि मुझे खुशी है कि भारत में भी अब इस कैंपेन की शुरुआत हो गई है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस कैंपेन के जरिये पीडि़त महिलाएं जिम्मेदारी से अपनी बात रख पाएंगी। उन्हें किसी भी तरीके से प्रताड़ित किया गया है तो उन्हें खुलकर सामने आना चाहिए क्योंकि यौन शोषण से जुड़ा गुस्सा कभी नहीं जाता है। हमने कानून मंत्रालय को सुझाव दिया है कि बाल शोषण या यौन अपराधों की शिकायतें बिना किसी समय सीमा के होनी चाहिए। अब आप 10-15 साल या उसके बाद शिकायत कर सकते हैं। यदि पीडि़त शिकायत करने का निर्णय लेता है तो उसे पता होना चाहिए कि उसके लिए अभी भी रास्ता खुला हुआ है।

यह एक अजीब संयोग है कि जिस समय देश में मीटू की आंधी चल रही है उस समय देश के घर-घर में मां दुर्गा की पूजा चल रही है। इस परंपरा में हमारी सनातन दृष्टि स्पष्ट है। जन्म ग्रहण करती हुई कन्या शैलपुत्री स्वरूप है। कौमार्य अवस्था तक ब्रह्मचारिणी का रूप है। विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह चंद्रघंटा समान है। नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह कूष्मांडा स्वरूप है। संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री स्कन्दमाता हो जाती है। संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री कात्यायनी रूप है। अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह कालरात्रि जैसी है। संसार का उपकार करने से महागौरी हो जाती है। धरती को छोडक़र स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार में अपनी संतान को सिद्धि का आशीर्वाद देने वाली सिद्धिदात्री हो जाती है। तात्पर्य यह कि यहां की जीवन संस्कृति तो सदा ही मातृपूजक रही है और आगे भी रहेगी।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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