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इस मोबाइल एप से जानें, पीएम के संसदीय क्षेत्र की हवा है कितनी शुद्ध
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एयर पॉल्यूशन एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। इसी को ध्यान में रखते हुए एक एनजीओ ने गुरुवार को एक एंड्राइड एप लांच किया। यह एप रियल टाइम में वाराणसी की हवा की शुद्धता की जांच कर सभी आंकड़े यूजर को बता देगा।
काशी विद्यापीठ में हुआ लॉन्च
गुरुवार को वाराणसी में एनएसएस, काशी विद्यापीठ और व्हीसल ब्लोअर ट्रस्ट ने एक प्रोग्राम ‘वायु प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य’ का आयोजन किया। इसी प्रोग्राम में 'एयर4केयर' नाम का एप्लीकेशन लांच किया गया। इस एप का लांच काशी विद्यापीठ के पूर्व वीसी प्रो. एस एस कुशवाहा और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी पी सी बी) के पूर्व सदस्य सचिव एवं चर्चित पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. बी सेनगुप्ता द्वारा किया गया । इस एप से वाराणसी के लोगों को हवा की शुद्धता की जानकारी मुफ्त में और आसानी से प्राप्त हो सकेगी। इस एप को जयपुर, राजस्थान के रहने वाले 29 वर्षीय इंजीनियर अविनाश मौर्या ने व्हीसल ब्लोअर ट्रस्ट के लिए डेवलप किया है। यह एप सीधे सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के सर्वर से डेटा यूजर तक पहुंचाएगा । ऐसे में सीपीसीबी के आंकड़ों से वाराणसी के लोग रियल टाइम में एयर पॉल्युशन की जानकारी पा सकेंगे।
वाराणसी के बच्चों पर पड़ा रहा बुरा असर
व्हीसल ब्लोअर ट्रस्ट की एकता सिंह ने बताया कि बच्चे तेज सांस लेते हैं और उनकी रेसिस्टेंट अभी पूरी तरह से डेवलप नहीं होती, इसलिए सांस के साथ अंदर गए पॉल्युटेंट उनके लिए जहर का काम करते हैं। यही कारण है कि आज-कल ज्यादातर बच्चे छोटी उम्र से ही अस्थमा और फेफड़े की बीमारी के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस एप से पेरेंट्स पॉल्युशन लेवल बढ़ने पर अपने बच्चों की सही समय पर देखभाल कर पॉल्युशन के इफ़ेक्ट को कम कर सकेंगे।
बनारस स्मार्ट नहीं सेफ बने
नई दिल्ली से आए एनवायर्नमेंटल साइंटिस्ट और सीपीसीबी के पूर्व सद्स्य सचिव डॉ.बी सेनगुप्ता ने कहा कि बनारस को स्मार्ट बनाने के बजाए सुरक्षित बनाने की पहल होनी चाहिए। जब तक हवा सुरक्षित और स्वच्छ ना हो पाए तब तक किसी भी परिवर्तन को विकास नहीं कहा जा सकता। नई दिल्ली में खतरा केंद्र नामक प्रतिष्ठित शोध आधारित पैरोकारी संगठन के डायरेक्टर दूनू राय ने बनारस के वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज युवाओं की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने आस-पास के समाज में और पर्यावरण के बारे में जो सरकार निर्णय लेती है, उसकी निगरानी करें।
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