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कबीर बहाना, दलित वोट पर मोदी का निशाना

Manali Rastogi
Published on: 28 Jun 2018 12:51 PM IST
कबीर बहाना, दलित वोट पर मोदी का निशाना
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मगहर, यूपी: पीएम नरेंद्र मोदी गुरूवार को संत कबीर की निर्वाण स्थली मगहर में उनकी मजार पर चादर चढाई और संत कबीर अकादमी की आधारशिला रखी। उन्होंने जनसभा में अपनी भाषण की शुरूआत भोजपुरी से की और कहा कि कबीर विचार बनकर आए और व्यवहार बनकर अमर हो गए।

संत कबीर भीतर से कोमल और बाहर से कठोर थे। वे जन्म से नहीं अपने कर्म से वंदनीय हो गए, समाज जागरण के लिए कबीर काशी से मगहर आए। पीएम ने कहा कि मगहर की पावन धरती पर आकर मुझे संतोष मिला, संपूर्ण मानवता के लिए कबीर दास उम्दा संपत्ति छोड़ गए हैं।

तीन तलाक से मुक्ति चाह रही हैं मुस्लिम महिलाएं

उन्होंने कहा कि समाज को सदियों से दिशा दे रहे मार्गदर्शक, समभाव और समरसता के प्रतिबिम्ब महात्मा कबीर को उनकी ही निर्वाण भूमि से मैं उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं।

उन्होंने अपने भाषण में विरोधियों को निशाने पर रखा और कहा कि अपने परिवार को बचाने के लिए आपातकाल के समर्थक और विरोधी एक हो गए हैं। आज देश की मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक से मुक्ति चाह रही हैं लेकिन पूरा देश देख रहा है कि इसके रास्ते में किस तरह से रोड़े अटकाए जा रहे हैं।

मुस्लिम महिलाओं के हितों की बात करने वाली पार्टियां किस तरह इसके विरोध में खड़ी हो गई हैं इसे मुस्लिम महिलाओं के साथ सभी लोग देख रहे हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि उनका बंगला प्रेम दिखाई दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्होंने सरकारी बंगला छोड़ने में जिसतरह आनाकानी की और छोड़ते वक्त उस बंगले के साथ क्या किया इसे पूरे देश ने देखा।

आज दोगुनी गति से काम हो रहा है

उन्होंने कहा कि आज दोगुनी गति से काम हो रहा है, सरकार सबका साथ सबका विकास की भावना से काम कर रही है। समाजवाद और बहुजन की बात करने वालों का सत्ता के प्रति लालच आप देख रहे हैं। दो दिन पहले देश में आपातकाल को 43 साल हुए हैं। सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और उस समय आपातकाल का विरोध करने वाले एक साथ आ गए हैं।

ये समाज नहीं, सिर्फ अपने और अपने परिवार का हित देखते हैं। कुछ दल बस कलह और राजनीति चाहते हैं, ये दल समाजवाद और बहुजन वाद के नाम पर ढोंग कर रहे हैं, ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने लिए करोड़ों के बंगले बनवाए हैं, ऐसे लोगों से यूपी के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।

जमीन से कट चुके हैं लोग

उन्होंने कहा आज महापुरुषों के नाम पर राजनीति हो रही है। ऐसे लोग जमीन से कट चुके हैं। कुछ दलों को शांति और विकास नहीं, कलह और अशांति चाहिए। उनको लगता है जितना असंतोष और अशांति का वातावरण बनाएंगे उतना राजनीतिक लाभ होगा। सच्चाई ये है ऐसे लोग जमीन से कट चुके हैं। इन्हें अंदाजा नहीं कि संत कबीर, महात्मा गांधी, बाबा साहेब को मानने वाले हमारे देश का स्वभाव क्या है।

उन्होंने कहा कि ये हमारे देश की महान धरती का तप है, उसकी पुण्यता है कि समय के साथ, समाज में आने वाली आंतरिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए समय-समय पर ऋषियों, मुनियों, संतों का मार्गदर्शन मिला। सैकड़ों वर्षों की गुलामी के कालखंड में अगर देश की आत्मा बची रही, तो वो ऐसे संतों की वजह से ही हुआ।

'नरक के प्रवेश द्वार' के रूप में भी जाना जाता है शहर

माना जा रहा है कि यहां रैली के जरिए मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तरप्रदेश में बीजेपी का मिशन शुरू कर दिया है। कबीरपंथियों में मुख्य रूप से दलित और पिछड़ी हिंदू जातियों के लोग हैं। गोरखपुर से वाराणसी तक कबीर के अनुयायियों की बड़ी संख्या है। मोदी के इस दौरे को बीजेपी के प्रति दलितों की बढ़ती नाराजगी का डैमेज कंट्रोल भी माना जा रहा है।

इस शहर को 'नरक के प्रवेश द्वार' के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी धारणा है कि मगहर में जिसकी मृत्यु होती है, वह स्वर्ग नहीं जाता। वहीं, काशी में जो शरीर त्यागता है, वो स्वर्ग जाता है। संत कबीरदास इस अंधविश्वास को तोड़ने के लिए मगहर गए थे और वहीं समाधि ली थी।

मगहर के जरिये मोदी ने गैर बीजेपी दलों पर निशाना साधा

मोदी का यह दौरा एक तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को सियासी संदेश देने के साथ दलितों और पिछड़ों को बीजेपी के पक्ष में लामबंद करके सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश का हिस्सा भी नजर आता है। मगहर के जरिये मोदी ने मायावती,अखिलेश समेत अन्य गैर बीजेपी दलों पर निशाना साधा।

बीजेपी सरकार पहले ही मगहर को महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा कर चुकी है। अकादमी के शिलान्यास के अलावा मगहर में कबीर शोध संस्थान, पार्क और पुस्तकालय जैसे कामों की शुरुआत भी होगी।

दरअसल, यूपी ही नहीं देश के कई राज्यों में कबीर पंथियों की अच्छी तादाद है। इनमें ज्यादातर पिछड़े और दलित हैं। मुस्लिमों के भी एक तबके में कबीर की काफी स्वीकार्यता और मान्यता है। बीजेपी की रणनीति गैर बीजेपी सरकारों की मगहर की अनदेखी को धार देने की है।

खासतौर से दलितों और पिछड़ों को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कबीर के अनुयाइयों के वोट लेने वाले गैर बीजेपी दलों ने कबीर की निर्वाण स्थली की सुध न लेकर यह साबित कर दिया कि उन्हें सिर्फ वोट लेना आता है, काम करना नहीं।



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