×

बेमतलब नहीं है मोदी मंत्रिमंडल में विभागों का बदलाव, ये हैं मायने

Rishi
Published on: 5 July 2016 8:04 PM GMT
बेमतलब नहीं है मोदी मंत्रिमंडल में विभागों का बदलाव, ये हैं मायने
X

yogesh-mishra Yogesh Mishra

अगले साल आठ राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट में दूसरे विस्तार ने जो संदेश और संकेत दिए हैं उसमें काम को तरजीह के साथ-साथ चुनावी राज्यों में जातीय कील-कांटे ठीक से दुरुस्त किए हैं। 19 नए मंत्रियों की आमद और विभागों में किए गए बदलाव यह बताते हैं कि नरेंद्र मोदी की नजर सरकार और संगठन पर बराबर है। आधारभूत संरचना वाले विभागों के साथ कोई बदलाव नहीं करना यह बताता है कि मोदी विकास के लंबे हाइवे पर चलने की तैयारी कर चुके हैं। मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी का विभाग बदलना और प्रकाश जावड़ेकर को यह ओहदा मिलना बताता है कि काम को इस बदलाव में खास तवज्जो दी गई है। क्योंकि हाल में आए मोदी मंत्रिमंडल के विभागों के रिपोर्ट कार्ड में स्मृति ईरानी सबसे पीछे और प्रकाश जावडेकर सबसे आगे थे। इस बदलाव में संघ का असर खास तौर पर साफ दिख रहा है।

सरकार और संगठन दोनों पर नजर

केरल, गोवा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, मणिपुर और हिमाचल से जिस तरह मंत्री बनाए गए हैं, उससे यह साफ होता है कि केंद्र सरकार जातीय संतुलन साधने की दिशा में कोई चूक नहीं करना चाहती। यही वजह है कि 14 ब्राह्मण सांसदों वाले उत्तर प्रदेश से महेंद्र नाथ पांडेय को मंत्री बनाया गया है। इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में ब्राह्मण वोटरों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। जबकि कलराज मिश्र, महेश शर्मा पहले से ही मंत्री हैं। मनोज सिन्हा को भी अयाचक ब्राह्मण की कोटि में शुमार किया जाता है। हालांकि महेंद्र पांडेय की एंट्री यह भी चुगली करती है कि यूपी विधानसभा चुनाव के बाद कलराज मिश्र की छुट्टी होनी तय है। वह 75 पार कर चुके हैं। कलराज मिश्र और महेंद्रनाथ पांडेय करीबी रिश्तेदार भी हैं।

दलित राजनीति और महिला

रामशंकर कठेरिया की छुट्टी और कृष्णाराज की एंट्री यह बताती है कि मोदी मायावती के सामने अपनी दलित महिला नेता खड़ी करने की चौसर बिछा चुके हैं। कृष्णाराज जुझारु दलित नेताओं में शुमार की जाती हैं। निरंजन ज्योति और उमा भारती सरीखी आक्रामक महिला नेता नरेंद्र मोदी काबीना में उत्तर प्रदेश से पहले ही हैं।

कुर्मी फैक्टर और अनुप्रिया

अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाकर नरेंद्र मोदी ने यह बताया है कि उनके यहां के कुर्मी नेता बेअसर हो गये हैं। वे नीतीश कुमार के उत्तर प्रदेश में आमद-रफ्त तेज होने और बेनी वर्मा के समाजवादी होने के बाद कुर्मी मतदातों को लेकर खासे चिंतित हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग में यह मतदाता इन दिनों यादव से अलग अपने राजनीतिक मुकाम की तलाश में है, लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र के आसपास के दो नए मंत्री बनाकर मोदी ने अभेद्य किला भले ही तैयार कर लिया हो फिर भी क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से इसे मुफीद नहीं कहा जा सकता। क्योंकि बनारस के ठीक आसपास के क्षेत्र से मनोज सिन्हा पहले ही मंत्री हैं। इस बदलाव में उनकी हैसियत में इजाफा किया गया है। मनोज सिन्हा और महेंद्रनाथ पांडेय दोनों बनारस के बीएचयू की छात्र राजनीति की उपज हैं।

विवाद नहीं बर्दाश्त, काम को इनाम

गौरतलब यह भी है कि विभागों के बंटवारे में काम को भी तरजीह दी गई है। मोदी ने यह भी संदेश दिया कि काम का इनाम मिलेगा। वहीं, कठेरिया की विदाई यह बयां करती है कि मोदी अपने मंत्रियों के विवाद बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है। यह संयोग नहीं कहा जा सकता कि कठेरिया और स्मृति ईरानी दोनों की डिग्रियों को लेकर विवाद हुआ। कठेरिया की छुट्टी हो गई और स्मृति ईरानी के पर कतर दिए गए। स्मृति ईरानी ने विभाग भी ठीक से नहीं चलाया। उनसे नाराज होने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही थी। केंद्रीय विद्यालय में कोटे से कई गुना ज्यादा सिफारिश की गई। ईरानी से संघ भी नाराज था। अरुण जेटली से सूचना प्रसारण मंत्रालय लिया जाना यह बताता है कि मोदी अगर अपने काम पर फोकस करते हैं, तो वह मंत्रियों से भी पूरा फोकस चाहते हैं और वित्त मंत्रालय को काम चलाऊ ढंग से चलाना वह बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसी तरह संसद में फ्लोर मैनेजमेंट में असफल हो रही सरकार के संसदीय कार्यमंत्री का चेहरा बदल कर अनंत कुमार को कर दिया गया है।

सब पर है नजर

अपने गृह राज्य गुजरात में सियासत की धुरी पटेलों में करुवा और पाटीदार दोनों कोटे से मंत्री बनाया है। इनमें पुरुषोत्तम रुपाला और मनसुख भाई दोनों शामिल हैं। मोदी की नजर दलित और जनजातीय वोटों पर ज्यादा है, तभी तो उन्होंने पांच दलित मंत्री बनाए हैं और दो आदिवासी मंत्रियों को जगह दी है। यह मायावती से दो-दो हाथ करने की रणनीति का हिस्सा है कि रामदास अठावले को मंत्री बनाया गया है। हाल में ही अठावले ने यूपी के कई दौरे किए थे।

एमजे अकबर से विदेश में बड़ा संदेश

मंत्रिमंडल के फेरबदल में रविशंकर प्रसाद की मनमांगी मुराद पूरी हुई है, तो एमजे अकबर को विदेश राज्य मंत्री बनाकर खाड़ी देशों में भारत की नई छवि पेश करने की कोशिश की गई है। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने खाड़ी देशों की यात्राएं की और पाकिस्तान की सरजमीं से संचालित होने वाले आंतकवाद के खिलाफ जंग में खाड़ी देशों को अपने पक्ष में खड़ा करने में कामयाबी हासिल की है।

Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story