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त्रिशंकु विधानसभा का खौफ! BSP ने मोदी के मुकाबले मुलायम को बताया खतरनाक

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Published on: 20 Oct 2016 1:18 AM GMT
त्रिशंकु विधानसभा का खौफ! BSP ने मोदी के मुकाबले मुलायम को बताया खतरनाक
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संभलः यूं तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती हाल के दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर तीखे हमले कर चुकी हैं, लेकिन उनकी पार्टी के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी की जुबान से बुधवार को नया सुर सुनाई दिया। नसीमुद्दीन ने पार्टी की भाईचारा कमेटी की मीटिंग में मोदी के मुकाबले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह को मुसलमानों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया। नसीमुद्दीन के इस बयान से माना जा रहा है कि त्रिशंकु विधानसभा की हालत में यूपी में सरकार बनाने की कवायद के तहत बीएसपी अब बीजेपी के साथ चुनाव के बाद गठजोड़ का रास्ता खोल रही है।

क्या बोले नसीमुद्दीन?

नसीमुद्दीन ने मीटिंग में मुसलमानों से कहा, "आपको मुलायम सिंह यादव से सावधान रहना चाहिए। वह नरेंद्र मोदी से ज्यादा खतरनाक हैं। गुजरात में मोदी के सीएम रहते गोधरा कांड के बाद दंगों में 42 मुसलमानों ने जान गंवाई थी। वहीं, सपा सरकार के दौर में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों में 187 मुसलमान मारे गए। अगर आप मोदी से नफरत करते हैं, तो मुलायम से क्यों नहीं?"

मुलायम पर और क्या बोले?

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि मुलायम तो सिर्फ चुनाव के वक्त ही अल्पसंख्यकों को याद करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चाहे कांग्रेस हो या सपा, दोनों ही मुसलमानों को वोट बैंक की तर्ज पर इस्तेमाल करते हैं।

चुनाव पूर्व सर्वे में बीजेपी को बढ़त से बदले सुर?

बता दें कि हाल में आए कई चुनाव पूर्व सर्वे के नतीजे बताते हैं कि यूपी में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलने जा रही हैं। वहीं, बीएसपी को उससे पीछे बताया गया है। सर्वे नतीजों के मुताबिक यूपी में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति होगी। ऐसे में कयास ये लगाए जा रहे हैं कि बीएसपी अपना सुर बीजेपी की ओर कठोर नहीं रखना चाह रही है। बीजेपी के साथ मिलकर बीएसपी पहले भी यूपी में सरकार बना चुकी है।

आगे की स्‍लाइड में पढ़ें सर्वें के बाद बीएसपी के बदले सुर...

एबीपी के सर्वें ने दिखाई थी यूपी की तस्‍वीर

पिछले दिनों ABP न्यूज ने लोक नीति और सीएसडीएस के साथ मिलकर सर्वे किया था। चैनल ने 403 सीटों पर जनता का मूड जानने की कोशिश की थी।

इस सर्वे के मुताबिक मैजिक फिगर यानी 202 सीटें हासिल कर सरकार बनाती हुई कोई पार्टी नहीं दिख रही है। यानी बगैर गठबंधन कोई भी पार्टी सूबे में सरकार नहीं बना सकेगी। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को पिछली बार के मुकाबले और कम सीटें हासिल होंगी।

किसके खाते में कितने वोट?

एबीपी न्यूज के सर्वे के मुताबिक यूपी में बीजेपी को 27 फीसदी, सपा को 30 फीसदी, बसपा को 26 फीसदी और कांग्रेस को महज 5 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद जताई गई है। यानी 27 साल में यूपी को बेहाल बताने वाली कांग्रेस को शीला दीक्षित, राज बब्बर और गुलाम नबी आजाद तो छोड़ें, पोल स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत किशोर भी उबारते नहीं दिख रहे हैं।

सबसे पसंदीदा सीएम कौन?

सर्वे में 24 फीसदी लोगों ने अखिलेश यादव को बतौर सीएम पहली पसंद बताया है। मायावती के पक्ष में भी इतने ही लोगों ने वोटिंग की है। तीसरे नंबर पर राजनाथ सिंह हैं। उन्हें 7 फीसदी लोग मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। वहीं, योगी आदित्यनाथ को 5 फीसदी लोगों ने पहली पसंद बताया। मुलायम सिंह यादव को 3 फीसदी लोग अपनी पसंद बता रहे हैं।

सवर्णों का वोट किसको?

सर्वे में सामने आया है कि सबसे अधिक सवर्ण वोटर बीजेपी के पक्ष में हैं। 55 फीसदी सवर्ण बीजेपी के साथ जा सकते हैं। सपा को 15 फीसदी, बसपा को नौ फीसदी सवर्ण वोट दे सकते हैं। वहीं, 5 फीसदी सवर्णों के साथ कांग्रेस को सबसे निचले पायदान पर बताया गया है। अन्य को 17 फीसदी सवर्ण वोट मिलने की उम्मीद जताई गई है।

यादव वोट बैंक किसके साथ?

यूपी में 10 फीसदी वोटर यादव हैं। सर्वे में इनमें से 16 फीसदी बीजेपी के साथ जाते हुए दिखाए गए हैं। वहीं, 68 फीसदी सपा को पहली पसंद बता रहे हैं। 5 फीसदी बसपा, 4 फीसदी कांग्रेस और 7 फीसदी अन्य को वोट दे सकते हैं।

ओबीसी वोटर किसे वोट देंगे?

यूपी में 33 फीसदी वोटर ओबीसी हैं। इनमें लोधी, कुर्मी और मौर्य आते हैं। एबीपी न्यूज के सर्वे में बताया गया है कि बीजेपी को 38 फीसदी ओबीसी वोटर चुन सकते हैं। सपा के साथ 19 फीसदी ओबीसी वोटर जा सकते हैं। बसपा को 23 फीसदी, कांग्रेस को 5 फीसदी और अन्य को 15 फीसदी अपनी पसंद बता रहे हैं।

जाटव किसके साथ?

यूपी में 14 फीसदी जाटव वोटर हैं। सर्वे के मुताबिक इस बार 8 फीसीदी जाटव वोटर बीजेपी को चाहते हैं। सपा को 8 फीसदी, बसपा को 75 फीसदी और कांग्रेस को 2 फीसदी जाटव वोटर अपनी पसंद बता रहे हैं।

अन्य दलित किसे चुनेंगे?

16 फीसदी बीजेपी के साथ, 14 फीसदी सपा के साथ, 56 फीसदी बसपा और 3 फीसदी अन्य दलित कांग्रेस के साथ जा सकते हैं।

मुस्लिम वोट बैंक किसके साथ?

यूपी में 18 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। इसमें से 4 फीसदी बीजेपी को वोट कर सकते हैं। सपा को 62 फीसदी, बीएसपी को 18 फीसदी, कांग्रेस को 8 फीसदी और अन्य को 8 फीसदी मुस्लिम वोटर चुन सकते हैं।

किस क्षेत्र में कौन आगे?

सर्वे में बताया गया है कि पश्चिमी यूपी में बीजेपी गठबंधन आगे दिख रहा है। यहां बसपा दूसरे नंबर पर रह सकती है। रुहेलखंड में सपा सबसे आगे रह सकती है। यहां भी बसपा दूसरे स्थान पर ही रहेगी। अवध में सपा और बसपा के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है। यहां बीजेपी को नुकसान होता दिख रहा है। दोआब-बुदंलेखंड में कांटे की टक्कर है। पूर्वी यूपी में बीजेपी गठबंधन सबसे आगे रह सकता है।

किस दल को कितनी सीटें मिलने की संभावना?

सर्वे के मुताबिक, अगर अभी चुनाव हुए तो सपा को 141 से 151 सीटें मिल सकती हैं। बीजेपी 124 से 134 सीटों पर जीत सकती है। बसपा को 103 से 113 सीटें मिलने की संभावना है। कांग्रेस को 8 से 14 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के हिस्से में 6 से 12 सीटें आ सकती हैं।

2012 में किसको कितनी सीटें मिली थीं?

पिछले चुनाव में सपा को 224, बसपा को 80, बीजेपी को 47 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं।

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मायावती ने ओपिनियन पोल पर साधा था निशाना

-मायावती ने एक प्राइवेट चैनल के हालिया ओपिनियन पोल पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि सर्वे एजेंसियां पूंजीपतियों के हिसाब से काम करती हैं।

-उन्इहोंने कहा कि ये लोग सर्वे का इस्तेमाल बसपा का मनोबल गिराने के लिए करेंगे। प्रदेश की जनता को वोट पड़ने तक इनसे सावधान रहना है।

-चुनावी तैयारियों को लेकर पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में मायावती ने आरोप लगाया कि अधिकांश अखबार और टीवी चैनल पूंजीपति और धन्नासेठ चलाते हैं, जो सर्वे का इस्तेमाल कांग्रेस, बीजेपी समेत सभी विरोधी पार्टियों के पक्ष में हवा बनाने के लिये करते हैं। बाद में उन्हीं दलों के हिसाब से काम करते हैं।

-बताते चलें, कि हाल में हुए एक ओपिनियन पोल में बसपा को प्रदेश में 115 से 124 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।

-सर्वे के अनुसार प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरेगी।

बरगला रहे हैं विरोधी दल

-मायावती ने कहा कि सपा, भाजपा और कांग्रेस साम, दाम, दंड भेद अपनाकर धन्नासेठों के धन बल पर लोगों को बरगलाने में माहिर हैं।

-मायावती ने प्रमुख विपक्षी दलों भाजपा, कांग्रेस और सपा पर लोगों को बरगलाने का आरोप लगाया।

-मायावती ने कहा कि बसपा का मुकाबला भाजपा और सपा जैसे दलों से है, जो साम, दाम, दण्ड, भेद और दूसरे हथकण्डों के धुरंधर हैं।

-उन्होंने कहा कि ये दल पूंजीपतियों और धन्नासेठों के धनबल और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के बल पर सत्ता में आते रहे हैं।

-मायावती ने कहा कि बसपा अपनी ’’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’’ की नीतियों पर आधारित सरकार ही चलाती है ।

-भाईचारा संगठन की कमेटी की रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए मायावती ने कहा कि चुनाव तक पार्टी के लोगों को जोश के साथ पूरी समझदारी से काम करना होगा।

सपाई समाजवाद पर सवाल

-बसपा प्रमुख ने अखिलेश सरकार पर गन्ना किसानों के हितों की घोर अनदेखी का आरोप लगाया।

-उन्होंने पूछा, कि चीनी मिल मालिकों का लगभग 900 करोड़ रूपये का ब्याज माफ कर किसान विरोधी सपा सरकार खुद को ’समाजवादी’ होने का दावा कैसे कर सकती है।

-मायावती ने कहा कि सरकार के ग़लत और जनविरोधी फैसले वास्तव में ’लोहियावाद’ और ’समाजवाद’ का मज़ाक उड़ाने वाले फैसले हैं।

-बसपा प्रमुख ने कहा कि सपा सरकार अपने से पूर्व की बसपा सरकार के बनवाए गए स्मारकों व पार्कों को फिजूलख़र्ची बताकर दलितों के महापुरूषों का अपमान कर रही है।

-उन्होंने कहा कि डा. अम्बेडकर ग्रीन गार्डेन का नाम बदलकर जनेश्वर मिश्र पार्क, लोहिया पार्क, समाजवादी संग्रहालय, इटावा में मौज-मस्ती के लिये ’लायन सफारी’ व सैफई महोत्सव पर सरकारी व्यय को सही व उचित ठहरा कर सरकार अपना दोहरा चाल, चरित्र, चेहरा उजागर कर रही है।

-उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने नये जिलों, नये शिक्षण संस्थानों, मेडिकल कालेजों व विश्वविद्यालयों का भी नाम बदला है।

-मायावती ने कहा कि ’समाजवादी पेंशन’ योजना पहले ‘‘महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना‘‘ के रूप में 2010 में शुरू की गई थी।

-इसके तहत 31 लाख परिवारों को आर्थिक मदद दी गई थी। इसका नाम बदलकर अब समाजवादी पेंशन योजना कर दिया गया है।

-उन्होंने सवाल किया कि बसपा सरकार की योजनाओं को बन्द करना या नाम बदलना क्या नया समाजवाद है?

-मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर हुई दुर्घटना के लिए प्रशासनिक मशीनरी को जिम्मेदार ठहराया।

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