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आखिर क्यों! सोशल मीडिया से SDM ने हटाया दर्द भरा पोस्ट
असगर नकी
अमेठी: सोशल मीडिया पर तिलोई के एसडीएम अशोक कुमार शुक्ला ने अपने दर्द को शेयर किया था। जो तेज़ी से वायरल हो रहा था। newstrack.com ने सबसे पहले 'सोशल मीडिया पर अब SDM का दर्द....' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस ख़बर के प्रकाशित होने के बाद सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव एसडीएम ने अपने 'दर्द भरे पोस्ट' को हटा दिया है।
ये था पूरा मामला'
बता दें, कि सोमवार (05 फरवरी) को अपने फेसबुक वाल पर एसडीएम तिलोई ने एक पोस्ट शेयर किया। यह अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। अपनी पोस्ट के जरिए उन्होंंने सरकार के सिस्टम पर तंज़ कसते हुए लिखा, कि 'कल मीटिंग के नाम पर 2 बजे से प्रातः 12:40 तक बैठा रहा। आपके अधिकतर अधिकारी बीमार होते जा रहे हैं योगी जी.!’ एसडीएम तिलोई अशोक कुमार शुक्ला पोस्ट को जहां लोगों ने सराहा और अपने कमेंट्स दिए हैं वहीं, उनका कहना है कि ये उनका दर्द है, पोस्ट नहीं।
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गाड़ी पर लगी बत्ती पर दिया था ये बयान
वैसे तिलोई क्षेत्र के एसडीएम अशोक कुमार से जुड़ा ये कोई पहला मामला नहीं है। 25 अप्रैल 2017 को अपने सरकारी वाहन से नीली बत्ती उतरवाते हुए उन्होंंने कहा था, कि 'इस नीली बत्ती को हासिल करने लिए लोग इलाहाबाद, दिल्ली और लखनऊ में कई वर्षों तक प्रयास करते हैं, तब वह इसे हासिल करते हैं। ये किसी की दी हुई बत्ती नहीं, बल्कि उनके द्वारा हासिल की गई है।' उन्होंने कहा, कि लाल-नीली बत्ती प्रतिष्ठा का प्रतीक है। उन्होंने सरकार से इस मामले पर पुनर्विचार करने की मांग भी की थी।
अधिकारी किससे कहें 'मन की बात'?
आखिर अब ये सवाल आम जन के मन में उठना लाजिमी है कि आखिर किसके दबाव में एसडीएम ने ये पोस्ट हटाया। जब एक अधिकारी ये सवाल उठा रहा है कि आखिर क्यों उसे मीटिंग के नाम पर दोपहर 2 बजे से रात 12:40 बजे तक बैठाया गया था, तो इसमें गलत क्या है। आखिर जो अधिकारी इतने लंबे समय तक मीटिंग का इंतजार करता रहा है वो अपने दर्द को कहां और किससे कहे। इसके लिए अगर उसने सोशल मीडिया का रास्ता चुना तो इसमें गलत क्या है?
बैनरों तक ही सीमित हैं 'अच्छे दिन' और 'सबका विकास का नारा'!
वैसे हाल के दिनों में जिस तरह से नौकरशाह सोशल मीडिया को अपने दर्द बयां करने का माध्यम बना रखा है उससे ऐसा महसूस हो रहा है कि प्रदेश में 'अच्छे दिन' और 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा बैनरों तक ही सीमित है। 30 जनवरी को बरेली के डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह उसके बाद सहारनपुर की डिप्टी डायरेक्टर सांख्यिकी रशिम वरुण और अब एसडीएम अशोक कुमार शुक्ला का दर्द और बयान इस बात का सार्थक है।