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NGT सख्त,कहा-सभी राज्य पूरी जानकारी दें नहीं तो CS के खिलाफ वारंट जारी

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Published on: 30 May 2016 11:14 AM GMT
NGT सख्त,कहा-सभी राज्य पूरी जानकारी दें नहीं तो CS के खिलाफ वारंट जारी
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नई दिल्ली: सात राज्यों के 15 शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मामले में दायर अर्जी पर सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सुनवाई हुई। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 15 शहरों के एयर क्वालिटी का डाटा एनजीटी को सौंपा। एनजीटी ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा, 'सभी राज्यों के वकील अगर मंगलवार तक ये नहीं बता पाए कि उनके राज्य का कौन सा शहर सबसे ज्यादा प्रदूषित है, तो राज्य के चीफ सेक्रेटरी के खिलाफ वारंट जारी कर दिया जाएगा।'

एनजीटी ने मांगी ये जानकारी

हैवी इंडस्ट्रीज मिनिस्ट्री ने 11 बड़े शहरों में डीजल गाड़ियों को बैन नहीं किए जाने के लिए एनजीटी में इंटरवेंशन एप्लीकेशन दी थी। इस पर सोमवार को सुनवाई हुई। एनजीटी ने कहा कि मंगलवार तक हर हाल में हर राज्य ये बताएगा की राज्य का सबसे प्रदूषित शहर कौन सा है? उस शहर में कितने वाहन हैं? शहर की कुल आबादी कितनी है? ये आंकड़े इस महीने तक के होने चाहिए। अगर कोई भी वकील गैर मौजूद रहा या फिर पूरी जानकारी के बिना पेश हुआ, तो राज्य के चीफ सेक्रेटरी के खिलाफ वारंट जारी किया जाएगा।

मांगा था 11 शहरों का पॉल्यूशन डाटा

देश के 11 बड़े शहरों में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को आदेश दिया है कि वो 11 बड़े शहरों के एयर क्वालिटी का डाटा एनजीटी को 30 मई तक दे। जिन शहरों का डाटा मांगा गया है उसमें लखनऊ, पटना, पुणे, बंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, कानपुर, जालंधर, वाराणसी, अमृतसर शामिल हैं।

सरकार की उदासीनता आ रही आड़े

दरअसल, इन शहरों के बढ़ते प्रदूषण को लेकर मीडिया में लगातार खबरें आ रही हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जनवरी 2016 में संबंधित सरकार को प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने के निर्देश पहले ही दे चुका है। हालांकि, एजेंसी और सरकार की निष्क्रियता के चलते प्रदूषण कम नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि एनजीटी ने एयर क्वालिटी का ब्योरा सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मांगा है।

ये है सरकार की दलील

सूत्र के मुताबिक, सरकार ने अपनी दलील में कहा है कि 11 शहरों में नई डीजल गाड़ियां बैन न हों। इसके लिए एनजीटी अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करे। सरकार की मानें तो प्रदूषण बढ़ने की कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से करीब 3 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। वहीं इस इंडस्ट्री से 2019 तक 6 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध करने का लक्ष्य है।

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