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सिक्के और नोट सब हैं बीमारियों के स्रोत

raghvendra
Published on: 10 Sep 2018 10:17 AM GMT
सिक्के और नोट सब हैं बीमारियों के स्रोत
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अंशुमान तिवारी

नयी दिल्ली: रुपया यानी करेंसी नोट लोगों को गंभीर रूप से बीमार बना रहा है। इस मामले की जांच के लिए व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सरकार से मांग की है कि वह करेंसी नोट के नकारात्मक प्रभावों की जांच करवाए। वित्त मंत्री अरुण जेटली को भेजे पत्र में संगठन ने वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि इसकी रोकथाम के लिए जरूरी उपाए किए जाने चाहिए ताकि लोगों को इसके संपर्क में आने से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके। पत्र में नोटों से लोगों की सेहत पर खतरे की आशंका को लेकर आगाह किया गया है। कैट ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन को भी यह पत्र भेजा है।

व्यापारी संगठन ने अलग-अलग अध्ययनों से मिली जानकारी का हवाला देते हुए दावा किया है कि रोगाणु से दूषित नोटों से कई गंभीर बीमारियों के फैलने की आशंका है। इन बीमारियों में मूत्र और सांस की नली के संक्रमण, सेप्टिसीमिया, त्वचा रोग, दिमागी बुखार, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम और कई तरीकों के गैस्ट्रो-इंटेस्टिनल शामिल हैं।कैट के सचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि साइंस जर्नल इन चौंकाने वाली सच्चाइयों को हर साल छापते हैं मगर सरकार ने इस पर अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि करेंसी नोट का सबसे अधिक इस्तेमाल व्यापारियों द्वारा किया जाता है और इन नोटों से होने वाली गंभीर बीमारियों का सबसे अधिक असर भी उन पर ही होगा।

कैट ने दिया कई रिपोर्ट्स का हवाला

कैट ने अपने पत्र में कई खोज और मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए सरकार से इस मामले को जल्द से जल्द संज्ञान में लेने का आग्रह किया। कैट ने जिन शोध रिपोर्ट का उल्लेख किया है, उनमें खास तौर पर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के अंतर्गत काम करने वाले संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी की शोध रिपोर्ट का जिक्र है। इस शोध के अनुसार करेंसी नोटों में ऐसे 78 प्रकार के बैक्टीरिया पाए गए हैं, जो बीमारियां फैलाते हैं। अधिकांश नोटों में पेट खराब होने, टीबीऔर अल्सर जैसी अन्य बीमारियां फैलाने के लक्षण मिले हैं। शोध में कहा गया है कि करेंसी नोटों से बीमारियां फैलने का खतरा सदा बना रहता है।

इसी प्रकार जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंस ने तमिलनाडु के तिरुनवेली मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2016 में किए अपने एक शोध में पाया था कि उन्होंने जिन 120 करेंसी नोट पर शोध किया उनमें से 86.4 प्रतिशत नोट कई प्रकार की बीमारियां फैलाने वाले थे। ये नोट डॉक्टरों, बैंक, स्थानीय बाजार, कसाई, स्टूडेंट्स और गृहणियों से लिए गए थे। डॉक्टरों से लिए गए नोटों में मूत्र संबंधी, सांस लेने में परेशानी, सेप्टिसीमिया, स्किन इन्फेक्शन, मेनिनजाइटिस आदि बीमारी फैलाने के कीटाणु भी थे।

क्या कहते हैं शोध

बेल्लारी (कर्नाटक) स्थित बल्लारी इंस्टीट्यूट आफ टेक्रोलॉजी एंड मैनेजमेंट ने पेपर करेंसी नोट के जरिए होने वाले माइक्रोबियल संक्रमण पर एक शोध किया जिसमें बैंकों, नगर निगम दफ्तर, खान-पान विक्रेताओं, मांस विक्रेताओं और अस्पताल से दस, पचास और पांच सौ रुपए के करेंसी नोट एकत्र किए गए और उन नोटों का लैब में परीक्षण किया गया।

पता चला कि जितने भी नोट एकत्र किए गए थे उन सबमें माइक्रो आर्गनिज्म यानी सूक्ष्म विषाणु मौजूद थे। जो विषाणु पाए गए उनमें ई कोली, निमोनिया, स्किन की बीमारियां फैलाने वाला स्यूडोमोनस, गले-मस्तिष्क में संक्रमण फैलाने वाला स्टेफिलोकस शामिल थे जो घातक संक्रमण पैदा करते हैं। सबसे ज्यादा संक्रमित नोट बैंक, अस्पताल और नगर निगम दफ्तरों वाले थे। इसके बाद मीट विक्रेता और खान-पान विक्रेताओं के नोट थे। सूक्ष्म विषाणु वायु, जल, खाने आदि से फैलते हैं।

पेपर करेंसी

पेपर करेंसी का इस्तेमाल दुनिया भर में किया जाता है। सिक्कों और करेंसी नोट पर सूक्ष्म विषाणुओं के टिकने व पनपने को लेकर की गई तमाम रिसर्च का निष्कर्ष है कि खान-पान से होने वाली बीमारियों का ये प्रमुख कारक हो सकता है। कागज और पॉलीमर से बने नोटों पर बहुत घातक विषाणुओं का घर होता है। कारण ये है कि यदि कोई व्यक्ति नोट गिनने के लिए लार का इस्तेमाल करता है तो उसके मुंह से बैक्टीरिया नोटों पर घर कर जाते हैं और फिर किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। इसके अलावा नोटों को जूतों, ब्लाउज, कमर आदि में छिपाकर रखने की भी आदत बहुत लोगों में होती है।

सत्तर के ही दशक में कुछ रिसर्च में पाया गया था कि करेंसी नोट पर जमे विषाणुओं से निमोनिया, गले के संक्रमण, टांन्सिलाइटिस, पेप्टिक अल्सर, यूरीन संक्रमण, गैस्ट्रोइन्ट्राइटिस और फेफड़े में सूजन पैदा हो सकती है। शिलांग स्थित नार्थ इस्टर्न यूनिवर्सिटी द्वारा करेंसी नोटों की जांच में पाया गया था कि इनमें मौजूद विषाणु टीबी, मेनेंजाईटिस, तक फैला सकते हैं।

करेंसी पर खूब पनपते हैं कीटाणु

शोध रिपोर्टों के मुताबिक पेपर करेंसी हजारों प्रकार के कीटाणुओं के संपर्क में आती है चाहे वो किसी की अंगुली हो, वेटर के कपड़े हो, वेंडिंग मशीन हो या गद्दों के नीचे रखे गए नोट हो। करेंसी हजारों लोगों के हाथों से होकर गुजरती है जिनमें गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोग भी शामिल हैं।कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि प्रतिवर्ष इस प्रकार की रिपोर्ट मेडिकल एवं साइंटिफिक जर्नल एवं अन्य स्थानों पर प्रकाशित होती रही है, किन्तु किसी ने कभी भी लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित इस गंभीर विषय पर ध्यान ही नहीं दिया और न ही कोई व्यापक शोध करने की कोशिश ही की।उन्होंने कहा कि देश में व्यापारी वर्ग करेंसी नोट का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करता है क्योंकि अंतिम उपभोक्ता से उसका सीधा संपर्क होता है और यदि ये शोध रिपोर्ट सत्य है तो यह व्यापारियों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक घातक है। हालांकि यह मुद्दा हर उस व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है जो करेंसी नोट का लेन-देन करता है।

नोट ले सकते हैं जान

विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर बैक्टीरिया गर्भवती महिलाओं व छोटे बच्चों पर अटैक कर उन्हें कई प्रकार की भयानक बीमारियों की चपेट में ले लेता है। इससे उनमें इन्फैक्शन, वायरस, वायरल व सांस की बीमारियों की आशंका कई गुना तक बढ़ जाती हैं। वहीं सिक्के मुंह में डालने की आदत से बच्चों की जान पर बन आती है तो सिक्के पर जमे कीटाणु सीधे बच्चे के मुंह में प्रवेश करने से गले की नसों में सूजन, पेट में इन्फैक्शन व मुंह में छाले आदि कई भयानक बीमारियां पैदा करते हैं। नोट पर जमे कीटाणु से गर्भवती महिलाओं को जुकाम व इन्फैक्शन बड़ी आसानी से होने का खतरा बना रहता है।

कहां-कहां नोट पर कीटाणु पनपने की आशंकाएं

सिक्के घरों व अन्य स्थानों पर लंबे समय तक एक ही जगह पर पड़े रहने के कारण बैक्टीरिया फैलने का खतरा बना रहता है, जबकि अधिकतर लोग भिखारियों के दान में छोटे-बड़े सिक्के देने के आदी होते हैं, जोकि ज्यादातर कई-कई दिन नहाए बिना ही गुजार देते हैं और साफ-सफाई का ध्यान भी कम ही रखते हैं। इस प्रकार सिक्कों में कीटाणु फैलने की कहीं अधिक आशंकाएं होना स्वाभाविक है, जबकि पब्लिक टॉयलैट पर भी कागज के रुपए के मुकाबले सिक्कों की आमद कहीं अधिक होती है। अधिकतर ढाबों, मीट-मछली की दुकानों, सब्जी मंडी, शराब के ठेेके-अहाते, दवाई की दुकानों व पब्लिक टॉयलैट्स आदि पर कागजी रुपए के नोटों व सिक्कों में बीमारियों के लक्षण कई गुना ज्यादा बढऩे की संभावनाओं को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।

फंगस लगे नोट से ज्यादा बीमारियां

अधिकतर घरों व व्यापारिक संस्थानों में कई वर्षों तक तिजोरियों, अटैचियों व अन्य स्थानों में दबाकर रखे गए नोटों में लगी फंगस कहीं अधिक खतरनाक बीमारियों को जन्म देती हैं, जिसकी जीती-जागती मिसाल कुछ समय पहले देश में हुई नोटबंदी से मिलती है। इसमें लोगों द्वारा पिछले कई साल से दबाकर रखी नोटों की बड़ी-बड़ी गड्डियों व फंगस से ज्यादातर बैंकों में कैशियर बीमारियों की चपेट में आने की बातें सामने आई हैं, जिनमें अधिकतर संख्या महिला कर्मचारियों की बताई जा रही है।

कागज है खतरनाक

पेपर करेंसी बनाने में जिस कच्चे माल का इस्तेमाल किया जाता है वह भी विषाणु को पनपने में सहायक होता है। पेपर करेंसी कॉटन और लिनेन के मिक्सचर से बनायी जाती हैं। इससे सूक्षम विषाणुओं को करेंसी के दोनों ओर पनपने का एरिया मिल जाता है। नोट जितना अधिक समय तक सर्कुलेशन में रहते हैं उतना ही संक्रमण का खतना ज्यादा होता है। इसके अलावा छोटे नोटों में ज्यादा खतरा होता है क्योंकि इनका आदान-प्रदान कहीं ज्यादा होता है।

विदेशों में भी हुई है रिसर्च

करेंसी नोटों पर कैसे कैसे विषाणु जमा रहते हैं इस पर नेपाल, बांग्लादेश, मिस्र, इथियोपिया, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, आस्ट्रेलिया आदि देशों में भी रिसर्च की जा चुकी है। पाया गया है कि ये समस्या सभी जगह है। अमेरिका में सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एड प्रिवेन्शन का अनुमान है कि हर साल अमेरिका में फ्लू संबंधित कारणों से ३६ हजार मौतें होती हैं। इनमें से दस फीसदी को संक्रमण पेपर करेंसी से हुआ होता है। १९९७ में साउथ अफ्रीका में हुई रिसर्च में ९० फीसदी करेंसी नोट संक्रमित पाए गए थे।

एंटीबायोटिक भी बेअसर

करेंसी नोटों पर मौजूद विषाणुओं पर एंटीबायोटिक टेस्टिंग से पता चला है कि सभी बैक्टीरिया एम्पीसिलिन, क्लोक्सासिलिन, पेनसिलिन और सेफ्यूरोक्साइम जैसे एंटीबायोटिक पूरी तरह बेअसर हैं। सेफ्किसाइम, टेट्रासाइक्लिन और इरोथ्रोमाइसिन ८० से ८८ फीसदी बेअसर पाए गए।

बचाव के उपाय

  • गंदे नोट और सिक्कों का कम से कम इस्तेमाल करें।
  • नोट या सिक्कों को साफ जगह पर रखें।
  • करेंसी नोट को सावधानी से रखें व इस्तेमाल करें। खास तौर जो लोग भोजन बनाते हैं उन्हें काम करते समय नोट नहीं छूना चाहिए।
  • कुछ भी खाने से पहले हाथ अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
  • नोट गिनने की मशीनों में भी नोटों से निकलकर विषाणु घर कर जाते हैं। इसलिए बैंकों में ऐसी मशीनों को ऑपरेट करने वालों के लिए काफी जोखिम रहता है।
  • नोट या सिक्कों को भूलकर भी खुले में न रखें।
  • सिक्कों का कम से कम इस्तेमाल करें।
  • नोट या सिक्कों को जेब में न रखे।
  • पर्स को समय-समय पर बदलते रहे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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