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पाक ने UN में उठाया कश्मीर मुद्दा, कहा- मानवाधिकार उल्लंघन पर दें दखल

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Published on: 20 July 2016 1:33 PM GMT
पाक ने UN में उठाया कश्मीर मुद्दा, कहा- मानवाधिकार उल्लंघन पर दें दखल
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नई दिल्ली: हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद पाकिस्तान अब कश्मीर घाटी में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों पर चिंता व्यक्त कर रहा है। पाक ने संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों के सामने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून और सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को चिठ्ठी लिखी है।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने जुलाई के लिए सुरक्षा परिषद अध्यक्ष एवं जापानी राजदूत कोरो बेशो, बान की मून के चीफ ऑफ स्टाफ एवं राजनीतिक मामलों के अवर महासचिव जेफरी फेल्टमैन को कश्मीर की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य में मौलिक मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन हो रहा है।

भारतीय सुरक्षा बल कर रहे कश्मीरियों की हत्या

मलीहा ने विदेश मामलों पर पाक पीएम के सलाहकार सरताज अजीज के लिखे पत्र संयुक्त राष्ट्र महासचिव एवं सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को सौंपे। इसमें कश्मीर में चिंताजनक हालात पर पाकिस्तान की गंभीर चिंता को व्यक्त किया गया है। पत्र में कश्मीर में तैनात भारतीय सुरक्षा बलों की ओर से कश्मीरियों के मौलिक मानवाधिकार हनन और निर्दोष नागरिकों की नृशंस हत्या की ओर ध्यान खींचा गया है।

संरा में उठाया बुरहान की मौत का मुद्दा

मलीहा लोधी ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के साथ बैठकों में भी वानी के मारे जाने का मामला उठाया। उन्होंने इसे कश्मीरी युवा नेता की हत्या बताया। लोधी ने एक बयान में कहा, ‘आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए विरोध कर रहे कश्मीरियों को आतंकवादी करार देना सच्चाई का मजाक उड़ाना है। इससे भावनाएं और भड़क रही हैं।

'बंद हो निर्दोषों का दमन'

संरा के जारी बयान में कहा गया है कि मलीहा ने अपनी बैठकों में जम्मू कश्मीर में तैनात भारतीय बलों द्वारा निर्दोष लोगों के बर्बर दमन को समाप्त किए जाने की अपील की। कश्मीर में ‘न्यायेतर हत्याओं’ की ‘स्वतंत्र एवं पारदर्शी’ जांच की अपील करते हुए मलीहा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों के तहत जम्मू कश्मीर के लोगों के प्रति संयुक्त राष्ट्र की पुरानी प्रतिबद्धताएं हैं।

संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थता के लिए तैयार

पाक राजदूत को सूचित किया गया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव कश्मीर में हालात पर चिंतित हैं। यदि दोनों पड़ोसी देश उसकी मध्यस्थता स्वीकार कर लेते हैं, तो वह भारत-पाक के बीच शांति वार्ताओं की मध्यस्थता के लिए तैयार हैं।

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