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कश्मीर में दंगाइयों को नाकाम करने में सक्षम है पैलेट गन, पाक भी डरा
श्रीनगरः कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के मंसूबों काेे नाकाम करने में पैलेट गन एक कारगर हथियार साबित हुआ है। आतंकी बुरहान वानी की मौत को शहादत का अमलीजामा पहनाने की सियासत को लेकर बढ़ा तनाव इसी गन के चलते ढेर हो गया। इसके साथ ही कश्मीर में पाकिस्तान के मंसूबोंं पर भी पानी फिर गया। यही वजह है कि वह मंगलवार को कालादिवस मनाकर आतंकी बुरहान वानी मौत को सियासी चोला पहनाने की कोशिश में लगा हुआ है।
भीड़ को काबू में करने और दंगाइयों को तितर-बितर करने के लिए पैलेट गन से बेहतर हथियार शायद न हो, लेकिन ये भी सच है कि इसके इस्तेमाल से तमाम कश्मीरी नौजवानों को अपनी आंखें भी गवानी पड़ रही हैं। इस हथियार का नाम है 'पैलेट गन'। इससे एक बार में निकलने वाले सैकड़ों छर्रे पत्थरबाजों के दिल में खौफ पैदा कर देते हैं।
क्या होती है पैलेट गन?
-ये दूसरी तरह की बंदूकों से अलग होती है।
-इससे दागे जाने वाले कारतूसों में सैकड़ों लेड के छर्रे होते हैं।
-भीड़ पर दागे जाने पर कारतूस कुछ दूरी पर फट जाता है और छर्रे तेजी से लोगों के शरीर में जा घुसते हैं।
-कई बार छर्रे लोगों की आंखों में भी लगते हैं और इससे उनकी आंख नष्ट हो जाती है।
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कितने तरह के होते हैं छर्रे?
-सुरक्षाबल कई तरह के छर्रे वाले कारतूस इस्तेमाल करते हैं।
-इनमें गोल, नुकीले या अन्य बनावट के लेड के छर्रे होते हैं।
-ये छर्रे शरीर में जहां भी लगते हैं, वहां असहनीय दर्द होता है।
-इन छर्रों की खास बात ये है कि ये किसी की जान नहीं लेते।
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साल 2010 से हो रहे इस्तेमाल
-जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन का इस्तेमाल साल 2010 से हो रहा है।
-उस साल हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
-पैलेट गन से श्रीनगर में ही बीते पांच दिन में 120 के करीब लोग घायल हुए हैं।
-घायलों में से पांच लोगों की एक आंख की रोशनी पूरी तरह चली गई है।
-जम्मू और कश्मीर के सभी दल पैलेट गन के खिलाफ हैं, लेकिन जिसकी भी सरकार आती है, वह इसका विरोध नहीं करता।