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श्री श्री के मेगा शो का आगाज, PM बोले-हम उपनिषद से उपग्रह तक पहुंचे

Admin
Published on: 11 March 2016 1:40 PM GMT
श्री श्री के मेगा शो का आगाज, PM बोले-हम उपनिषद से उपग्रह तक पहुंचे
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नई दिल्ली: दिल्ली में शुक्रवार शाम यमुना किनारे श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) के विश्व सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत हुई। एओएल की 35वीं सालगिरह पर यह भव्य आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया।

पीएम ने कहा...

-भारत कितनी विविधताओं से भरा है। विश्व को देने के लिए भारत के पास क्या कुछ नहीं है।

-दुनिया सिर्फ आर्थिक हितों से जुड़ी है ऐसा नहीं है। दुनिया मानवीय मूल्यों से भी जुड़ सकती है। और जोड़ा जा सकता है। और जोड़ना चाहिए भी।

-भारत के पास वो सांस्कृतिक विरासत है जिसकी तलाश दुनिया को है। हम दुनिया की उस आवश्यकता को परिपूर्ण कर सकते हैं।

-लेकिन ये तब हो सकता है जब हमें अपनी विरासत पर गर्व हो।

-यदि हम ही इसे कोसते रहेंगे हर चीज की बुराई करते रहेंगे तो दुनिया हमारी ओर क्यों देखेगी।

-मैं श्री श्री रविशंकर का अभिनंदन करता हूं कि 35 वर्षों में आपने कई देशों में इस मिशन को फैलाया।

-आर्ट ऑफ लिविंग के जरिए विश्व से भारत की पहचान कराने का बड़ा काम किया।

-कुछ समय पहले जब मंगोलिया गया तो वहां एक स्टेडियम में ऑर्ट ऑफ लिविंग के सदस्यों ने मेरा स्वागत किया। उसमें भारतीय कम और मंगोलिया के लोग अधिक थे। -उन्होंने भारतीय तिरंगा हाथ में लेकर भारतीय संस्कृति का परिचय कराया। यह अपने आप में बहुत प्रेरक था।

भारत में मन को डुलाने वाला संगीत

-आज हम कला के कुंभ मेले का दर्शन कर रहे हैं। भारत के पास ऐसी समृद्धि थी कि यहां कला पुर्नतया विकसित हुई थी।

-यहां सुबह और शाम का संगीत अलग है। इसलिए बाजार में अगर संगीत की दुनिया को खोजने जाएंगे तन को डुलाने वाले संगीत से तो बाजार भरा परा है लेकिन मन को डुलाने वाला संगीत तो हिंदुस्तान में भरा है।

संकटों से जूझने को चाहिए आर्ट ऑफ लिविंग

प्रकृति ने भी कसौटी की, लेकिन यही तो आर्ट ऑफ लिविंग है। सुविधा और सरलता के बीच जी सकते हैं उसमें आर्ट होती है, जब अपने इरादों और सपनों को लेकर चलते हैं तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। संकट और दूसरों के लिए जीने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। हम वो लोग हैं जो अहं ब्रह्मास्मि से शुरू करते हैं वसुधैव कुटुम्बकम तक जाते हैं। यही आर्ट ऑफ लिविंग हैं। हमने उपनिषद से उपग्रह तक यात्रा की है।

श्रीश्री ने किया संबोधि‍त

-कार्यक्रम को संबोधि‍त करते हुए श्रीश्री रविशंकर ने कला और संस्कृति के महत्व की बात की।

-सभी 155 देशों से आए लोगों और राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया।

बारिश के कारण कार्यक्रम देर से हुआ शुरू

हालांकि, दिल्ली में जोरदार बारिश के कारण कार्यक्रम तय समय से शुरू नहीं हो सका। बावजूद इसके कलाकारों में उत्साह बरकार रहा। मुख्य मंच के सामने बड़ी संख्या में देश-दुनिया के कलाकार रंग-बिरंगी प्रस्तुतियां दीं।

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