मोदी की रैली : BJP दलितों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती

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Published on: 26 May 2016 10:16 AM GMT
मोदी की रैली : BJP दलितों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती
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लखनऊ:पीएम मोदी अपनी सरकार के दो साल पूरा होने पर सहारनपुर में रैली कर एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं। वो रैली के माध्यम से अपनी सरकार के दो साल के काम का ब्योरा देंगे और पश्चिमी यूपी के सबसे बड़े दलित इलाके में उनको अपने पक्ष में भी करने की कोशिश करेंगे ।लोकसभा के पिछले चुनाव में दलितों ने बीजेपी को सपोर्ट कर जीत की राह आसान कर दी थी ।

ये इलाका बसपा का वोट बैंक रहा है क्योंकि दलित अच्छी संख्या में हैं ।खास बात ये कि दलित कहीं भी टुकड़े में नहीं बल्कि एकमुश्त वोट दिया करते हैं ।

बीजेपी मानती है कि यूपी में अगड़ी जाति ठाकुर,ब्राहम्ण कायस्थ पर उसकी अच्छी पकड़ है।पिछड़ी जाति को साधने के लिए उसने केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। दलितों को साधने के लिए पीएम मोदी पहली बार लखनऊ आने पर अंबेडकर स्थल गए थे और वाराणसी में संत रविदास मंदिर जाकर प्रसाद ग्रहण किया था।

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बहराइच में राजा सुहेलदेव की मूर्ति का अनावरण किया था। मोदी 14 अप्रैल बाबा साहब की 125वीं जयंती पर उनके जन्मस्थल मध्यप्रदेश के महू गए थे और अपने भाषण की शुरूआत जय भीम से की थी। उन्होंनें बाबा साहब की तुलना अश्वेत नेता मार्टिन लूथर किंग के साथ भी की थी।मोदी ने तो यहां तक कहा था कि यदि बाबा साहब नहीं होते तो एक चाय बेचने वाला देश का पीएम नहीं हो सकता था।

असम में मिली चुनावी जीत से बीजेपी उत्साहित है और यूपी की जीत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। सहारनपुर में रैली का एक बड़ा कारण इस इलाके का दलित वोट बैंक है।

बीजेपी पहले ही हमले में बीएसपी के इस किले को ध्वस्त करके यह संदेश देना चाहती है, कि दलित उसके साथ हैं। दलित वोट बैंक इतना ताकतवर होता है कि उसका समर्थन सत्ता का रास्ता आसान कर देता है। बसपा प्रमुख मायावती सहारनपुर की हरोड़ा सीट से (अब सहारनपुर देहात) चुनाव लड़ कर सीएम बन चुकी हैं।

राजनाथ सिंह ने भी 2012 के चुनाव में अपने अभियान की शुरूआत यहीं से की थी। पारंपरिक वोट बैंक के साथ बसपा के वोट बैंक में सेंध लगा कर बीजेपी सुरक्षित हो जाना चाहती है।

इसके लिए वार्ड और ग्राम स्तर पर दलित नेताओं को बीजेपी से जोड़ने के प्रयास किए गए हैं ।

पश्चिमी यूपी के दूसरे जिले मेरठ, मुजफ्फरनगर या अन्य शहर जाट बहुल क्षेत्र हैं। यहां जाटों को जुटाया जा सकता है, लेकिन दलितों को जुटाना मुश्किल होता।

वेस्ट यूपी के समीकरण सत्ता के रास्ते आसान कर देते हैं, जबकि वेस्ट यूपी को सहारनपुर के राजनीतिक समीकरण प्रभावित करते हैं।बसपा के सबसे ज्यादा विधायक इसी इलाके से विधानसभा पहुंचते हैं। जबकि, बीजेपी अब तक शहर सीट तक ही सीमित रही है। संभवत यही कारण हैं कि बीजेपी के विकास पर्व की शुरुआत सहारनपुर से हो रही है।

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