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सिपाहियों ने लगाई जान की बाजी, राष्ट्रपति पुरस्कार के दावेदार बने अफसर

Newstrack
Published on: 2 April 2016 6:28 PM IST
सिपाहियों ने लगाई जान की बाजी, राष्ट्रपति पुरस्कार के दावेदार बने अफसर
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लखनऊ: अपराधियों को पकड़ने के लिए अपने जान की परवाह न करते हुए सिपाही मोर्चा संभालते हैं पर जब वीरता पुरस्कारों की बात आती है तो सत्ता के गलियारों में पकड़ रखने वाले पुलिस अफसर इसके दावेदार बन जाते हैं।

ऐसे ही एक मामले में 5 सितम्बर 2014 को दिल्ली और हरियाणा के 16 मामलों में वांछित 1 लाख रूपये के इनामी अपराधी पारस उर्फ विक्रम गोल्डी उर्फ प्रधान उर्फ प्रेम सिंह को उसके 7 साथियों सहित एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। इसी को आधार बनाकर कई पुलिस अफसरों को राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार के लिए चयनित किया गया।

अब इसी ऑपरेशन में शामिल कुछ कांस्टेबलों ने इस पर सवाल उठाए हैं।

सच को नजरअंदाज करते हुए किया गया भेदभाव

-ऑपरेशन में शामिल सिपाहियों ने इस प्रकरण की शिकायत केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से की है

-सिपाहियों ने कहा है कि जिस तरह अफसरों ने इस अपराधी की गिरफ्तारी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

-और पूरी घटना के वास्तविक तथ्यों और सत्यता को नजरअंदाज किया गया है।

-यह उन एसआई, एचसी, कमांडो, कांस्टेबल और आरक्षी चालकों के साथ अन्याय और भेदभाव है, जो अदम्य साहस का परिचय देते हैं।

पुरस्कार के लिए इन अधिकारियों को किया गया चयनित

-राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार के लिए इन अधिकारियों को चयनित किया गया है-

-एसटीएफ पश्चिमी यूपी के तत्कालीन एसपी उमेश कुमार सिंह

-एएसपी राजेश कुमार सिंह

-डिप्टी एसपी प्रशांत कुमार प्रसाद

-एसआई आनन्द प्रकाश

-कांस्टेबल अर्जुन सिंह और अन्य हैं।

इन लोगों ने की है शिकायत

अपराधी विक्रम गोल्डी को पकड़ने वाली टीम में शामिल एसआई श्याम सुंदर, मुख्य आरक्षी राकेश कुमार यादव, मुख्य आरक्षी कमाण्डो मनीष कुमार उपाध्याय, राजपाल सिंह और आरक्षी चालक विनोद कुमार ने पत्र लिखकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह से इस मामले की शिकायत की है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जरूरी कार्यवाही के लिए प्रमुख सचिव गृह को भेजा पत्र

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी रमन कुमार ने प्रमुख सचिव गृह को पत्र लिखकर इस मामले में आवश्यक कार्यवाही करने के लिए कहा है।

केस की विवेचना में दर्ज हैं ये फैक्ट्स

-इस मामले की विवेचना में दी गई जानकारी के अनुसार इस अपराधी को पकड़ने के लिए 3 टीमें बनी थी।

-जिसमें पहली टीम में सिर्फ उच्चाधिकारी, 01 एसआई और आरक्षी शामिल थे।

-जिनकी उम्र करीब 50 साल से अधिक होगी।

-इसी टीम का बदमाशों से आमना सामना हुआ था।

क्या कहते हैं शिकायतकर्ता

-शिकायतकर्ताओं ने 1 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से इस प्रकरण शिकायत की है।

-उनका कहना है कि फायरिंग की आवाज सुनकर दूसरी और तीसरी टीम ने अपने जान की परवाह न करते हुए बदमाशों की गाड़ी के आगे अपनी बोलेरो कार खड़ी कर दी।

-इससे घबराकर बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी।

-इसमें सिपाही बाल-बाल बचे।

-इनामी अपराधी को पकड़ने पर डीजीपी मुख्यालय ने 23 एसआई और आरक्षियों को पुरस्कार दिए थे।



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