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विदेशी मीडिया में छाया योगी का 'प्रयागराज' फ़ैसला, बताया हिंदूवादी सरकार
लखनऊ: इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का फ़ैसला देश ही नहीं बल्कि सात समुद्र पार अमेरिका और ब्रिटेन की मीडिया में भी छाया हुआ है। जब से योगी सरकार ने इस फैसले पर अंतिम मुहर लगाई है। उसके बाद से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पूरे अंतराष्ट्रीय मीडिया के निशाने पर आ गये है। कोई उन्हें कट्टरवादी हिंदू तो कोई मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने वाला नेता बता रहा है।
बता दे मंगलवार को योगी आदित्यनाथ की सरकार की कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का फ़ैसला लिया गया था।
ब्रिटेन के सबसे चर्चित अख़बार माने जाने वाले ‘द गार्डियन’ ने लिखा है, ''आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और उन पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने का आरोप है। ''कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी योगी के नेतृत्व वाले उत्तर प्रदेश के एक शहर का मुस्लिम नाम बदलकर हिन्दू मान्यता से जुड़ा नाम रख दिया है।
द गार्डियन ने आगे लिखा है, ''प्रयाग संस्कृत का शब्द है, जिसका मतलब होता है त्याग स्थल। हिन्दुओं का मानना है कि ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्मा ने शहर में जहां गंगा और यमुना नदी मिलती है, वहां पहला अर्पण किया था। ''
अख़बार ने लिखा है, ''राज्य सरकार ने शहर के पुराने नाम को फिर से बहाल कर दिया है। इस शहर का पुराना नाम प्रयाग ही था, जिसे मुग़ल काल में 16वीं सदी के आख़िर में इलाहाबाद कर दिया गया था। ''
द गार्डियन ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के उस बयान का कोट करते हुए लिखा है, जिसमें उन्होंने ये कहा था, ''इस शहर का नाम शुरू से ही प्रयागराज था। जो इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं उन्हें सोचना चाहिए कि अगर माता-पिता का दिया उनका नाम बदल दिया जाए तो कैसा लगेगा?''
गार्डियन की रिपोर्ट में लिखा गया है, ''इसी शहर में कुंभ मेले का आयोजन होता है। ऐसा माना जाता है कि यह सबसे विशाल धार्मिक अनुष्ठान है। 2013 में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था और इसमें 10 करोड़ लोग शामिल हुए थे। नाम बदलने की मांग लंबे समय से दक्षिणपंथी हिन्दू समूह कर रहे थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर भी दीनदयाल उपाध्याय कर दिया था। ''
द गार्डियन ने आगे लिखा है कि इस शहर का संबंध नेहरू-गांधी ख़ानदान से भी है जिसने भारत को तीन प्रधानमंत्री दिए। इसमें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी शामिल हैं।
ब्रिटेन के ही एक अन्य अख़बार द इंडिपेंडेंट ने लिखा है, ''इस बदलाव का उद्देश्य पुराने नाम को बहाल करना है। मुस्लिम शासक अकबर ने 1583 में प्रयाग का नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया था। ''
प्रदेश की विपक्षी पार्टियां योगी सरकार के इस फ़ैसले का विरोध कर रही हैं। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि जो भारत के इतिहास और परंपरा की समझ नहीं रखते हैं, वही इस फ़ैसले पर सवाल उठा रहे हैं।
मध्य-पूर्व की मीडिया में जाना -पहचाना नाम रखने वाली अल-जज़ीरा ने लिखा है, इस शहर का नया नाम प्रयागराज गंगा और यमुना नदी के संगम की ओर इशारा करता है, जहां पर जनवरी 2019 में हिंदुओं का कुंभ मेला आयोजित होने जा रहा है। इससे पहले साल 2013 में कुंभ मेले में 10 करोड़ लोग शामिल हए थे।
विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहा है कि इस शहर का नाम बदलने से आज़ादी की लड़ाई में इस शहर के योगदान पर असर पड़ता है।''
‘’भारत के एक प्रांत उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपने एक ऐतिहासिक शहर का मुस्लिम नाम बदलकर हिंदुओं की मान्यताओं से जुड़ा नाम रख दिया है। अगर इलाहाबाद के इतिहास की बात करें तो ये भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का गृह नगर हुआ करता था।''
अल-जज़ीरा ने यह भी लिखा है, ''बीते साल उन्होंने मुग़लसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बीजेपी नेता दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रख दिया था। इसके साथ ही बरेली, कानपुर और आगरा के हवाई अड्डों के नामों को बदलने का प्रस्ताव दिया गया है।
उत्तर प्रदेश की 22 करोड़ लोगों की आबादी में मुसलमानों का प्रतिशत लगभग 19 फीसदी है।'' पाकिस्तानी मीडिया में भी इलाहाबाद के नाम बदलने की चर्चा ख़ूब हो रही है।
डेली पाकिस्तान ने योगी के इस फ़ैसले पर लिखा है, ''भारत धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी चुनावों में हिन्दू राष्ट्रवादी एजेंडों को लेकर साथ चलती है। बीजेपी के कई नेताओं पर हिन्दुओं को उकसाने और मुसलमानों के खिलाफ हिंसात्मक भाषण देने के आरोप हैं।''