नई दिल्ली: राजस्थान की वसुंधरा सरकार के एक अध्यादेश को लेकर सियासत गरमा गयी है। सभी राजनीतिक पार्टियां सीएम वसुंधरा राजे को आड़े हाथ ले रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल ग़ांधी ने ट्वीट करते हुए सूबे की मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा है कि 'मैडम चीफ मिनिस्टर, हम 21वीं सदी में रह रहे हैं. यह साल 2017 है, 1817 नहीं।'
राहुल ने अपने ट्वीट में 1817 का उल्लेख इस लिए किया क्योकि 1794 से 1827 तक ग्वालियर में दौलतराव सिंधिया का शासन था। अंग्रेजों ने पिंडारियों के दमन के लिए 1816 में सिंधिया घराने से सहायता करने को कहा।1817 में पूर्ण सहयोग का वादा करते हुए अंग्रेजों और सिंधिया घराने के बीच ग्वालियर की संधि हुई। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सिंधिया घराने से खून का रिश्ता है।
दरअसल, राजस्थान सरकार ने 7 सितम्बर को एक अध्यादेश जारी किया जिसके मुताबिक किसी भी जज, मजिस्ट्रेट या लोकसेवक के खिलाफ सरकार की मंजूरी लिए बिना कोई जांच नहीं की जाएगी। इतना ही नहीं सरकार की मंजूरी के बाद ही मीडिया इस विषय में खबर चला सकेगा। 23 अक्टूबर से शुरु हो रहे विधानसभा सत्र में इस अध्यादेश को कानून का रुप दे दिया जाएगा। इसी अध्यादेश को लेकर राहुल ने सीएम वसुंधरा राजे पर हमला किया।
क्या है अध्यादेश में
-राजस्थान सरकार भारतीय दंड संहिता में संशोधन के लिए अध्यादेश लेकर आई है, जिसे 23 अक्टूबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में बिल के रूप में पारित किया जाएगा।
-इस अध्यादेश के अनुसार किसी भी लोकसेवक (सरकारी कर्मचारी) जज या मजिस्ट्रेट के खिलाफ कोई कार्रवाई राज्य सरकार के इजाजत के बिना नहीं होगी।
-किसी भी लोकसेवक के खिलाफ कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं करा सकता है. पुलिस भी एफआईआर नहीं दर्ज कर सकती है।
-किसी भी लोकसेवक के खिलाफ कोई कोर्ट नही जा सकता है और न ही जज किसी लोकसेवक के खिलाफ कोई आदेश दे सकता है।
-कोई भी मीडिया किसी लोकसेवक के खिलाफ बिना सरकार की इजाजत के आरोप नहीं लगा सकता है।
-किसी भी लोकसेवक की शिकायत के पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी. 180 दिन के अंदर सरकार के स्तर पर सक्षम अधिकारी इजाजत देगा और 180 दिन के अंदर इजाजत नहीं दे पाया, तो उसकी स्वीकृति अपने आप मान ली जाएगी।
-इस कानून का उल्लंघन करने वाले दंड के भी हकदार होंगे।