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REPORT: DM किंजल के DJ से बाघिन परेशान, शावकों के साथ दुधवा से भागी

Newstrack
Published on: 17 Feb 2016 6:19 PM IST
REPORT: DM किंजल के DJ से बाघिन परेशान, शावकों के साथ दुधवा से भागी
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लखनऊ: दुनिया भर में बाघ संरक्षण की मुहिम चलाई जा रही है। तमाम सरकारों ने उसे मंजूरी भी दी है। इन प्रयासों के बावजूद यूपी के दुधवा नेशनल पार्क से एक बाघिन अपने शावकों के साथ गायब है। इसकी वजह कोई और नहीं वहां की डीएम किंजल सिंह हैं। किंजल जंगल में रात के समय घूमने के निकलती हैं। वन कर्मचारियों ने रिपोर्ट किया है कि उनके तेज आवाज में गाने बजाने और शोर से बाघिन डिस्टर्ब हुई और अपने शावकों के साथ गन्ने के खेतों की तरफ चली गई। खास बात यह है ​कि इसी तरफ रिहायशी इलाके हैं। इससे मानव जीवन और बा​घिन व शावकों का जीवन भी खतरे में पड़ सकता है।

रिहायशी इलाके में पहुंचे शावक

इस बारे में सेंचुरी एशिया के ए​डिटर बिट्टू सहगल ने सीएम अखिलेश यादव को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि डीएम लखीमपुर खीरी अपने मेहमानों के साथ दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी गईं। यहां के बेल डंडा क्षेत्र में एक बाघिन अपने चार शावकों के साथ थी। सहगल ने अपने पत्र में लिखा है कि वन कर्मचारियों ने यह रिपोर्ट की है कि रात्रि विजिट के कारण बाघिन डिस्टर्ब हुई और अपने दो शावकों के साथ वह गन्ने के खेतों की तरफ जाते दिखी। कर्मचारियों ने उसे नियंत्रित करने का प्रयास किया पर वह सफल नहीं हो पाए।

मरा मिला था शावक, दूसरा गायब

सहगल ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इन्हीं सबके बीच एक शावक 4 जनवरी 2016 को मरा हुआ पाया गया था। दूसरा शावक टांडा गांव की एक घर की छत पर आवारा कुत्तों से घिरा हुआ पाया गया। फिलहाल वन कर्मचारियों ने किसी तरह कुत्तों को दूर कर शावक को जंगल की तरफ जाने का रास्ता साफ किया। उसके बाद से वह शावक भी गायब है।

बाघिन और दो शावक अब भी गायब

सहगल ने पत्र में लिखा है कि इस घटना के बाद बाघिन और उसके दो शावक भी गायब हो गए हैं और इन सब घटनाओं के बाद वन कर्मी डीएम की कार्रवाई से बहुत निराश हैं। गायब बाघों को खोजने का सिलसिला जारी है।

जांच कर हो कार्रवाई

सहगल ने सीएम अखिलेश यादव को लिखे पत्र में कहा है कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन और एनटीसीए को इस मामले की जांच करने को कहा जाए। यदि यह सही पाया जाता है तो तुरंत अनुशासनिक कार्यवाही की जाए।

रिजर्व में पूरी तरह अराजकता

अपने पत्र में बिट्टू सहगल ने लिखा है कि जनवरी के पहले हफ्ते में सेंचुरी एशिया टीम के एक सदस्य ने दुधवा टाइगर रिजर्व का दौरा किया था। रिजर्व में टूरिज्म पर उसकी पहली रिपोर्ट अत्यंत चिंताजनक थी। पार्क में कितनी गाड़ि़यां अंदर आएंगी, इसकी कोई सीमा तय नहीं थी। उसने पार्क के अंदर पूरी तरह से अराजकता पाई। लाइसेंसी गाइड टूरिस्ट्स के व्यवहार को नियंत्रित नहीं कर पा रहे थे। यहां तक कि पर्यटक पार्क के अंदर कचरा फैला रहे थे और शोर मचा रहे थे। इसका वन्य जीवों पर बुरा असर पड़ता है।

सठियाना रेंज में अतिक्रमण

सहगल ने पत्र में लिखा है कि रेंज में अतिक्रमण हो रहा है। आरएफओ चेकपोस्ट से कुछ ही मीटर की दूरी पर सेंचुरी टीम के सदस्यों ने देखा कि गांव वाले लकड़ी काट रहे हैं। दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से तीन घंटे के अंतराल में उनकी टीम ने गांव वालों को लकड़ी काटते हुए चार जगह देखा। इससे जाहिर है कि पार्क में घुसना कितना आसान है और यह पार्क की सुरक्षा को लेकर चिंता खड़े करता है।

कुप्रबंधन के दौर से गुजर रहा कतर्नियाघाट

उन्होंने कहा है कि कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी कुप्रबंधन के दौर से गुजर रहा है। गिरवा नदी के तट पर एक बड़ा टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बनाया गया है। यहां के कर्मचारी अयोग्य और अक्खड़ हैं। खासकर बोट राइड के मामले में। नदी के तट पर जहां घड़ियाल धूप सेंकते हैं, उसके पास रेत में प्लास्टिक की बोतलें पाई गईं। बोट भी जीर्ण-शीर्ण हालत में मिलीं और उनसे डीजल रिस रहा था। पर इसका संज्ञान किसी ने नहीं लिया। बड़ी संख्या में घड़ियालों को यहां प्रजनन के लिए रखा गया हैं जहां पर वह अंडे देते हैं। फिर भी यहां पर कोई केयर टेकर मौजूद नहीं था जो पर्यटकों को इस कार्यक्रम के बारे में बता सके। साथ ही यह सुनिश्चित कर सके कि घड़ियालों को परेशानी न हो। ऐसा ही सठियाना रेंज में भी देखा गया।

वन्य जीव संरक्षण और ईकोटूरिज्म के लिए मॉडल बन सकता है प्रदेश

सहगल ने कहा है कि यूपी के तराई में कुछ शानदार इलाके हैं। हाल ही में प्रदेश सरकार ने बर्ड फेयर कराया है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के लिए अधिसूचना जारी की गई है। यह इस बात का प्रमाण है कि सरकार की प्राकृतिक संपदा को लेकर गहरी रुचि है। यूपी सही निर्देशन और कुशल प्रबंधन के साथ वन्य जीव संरक्षण और ईकोटूरिज्म के लिए एक मॉडल प्रदेश बन सकता है। पर उन्होंने आशंका जताते हुए कहा है कि यदि इन मुद्दों पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया तो यूपी के वन्य जीवों का भविष्य संरक्षित होने के बजाए पूर्व की तरह ही रह जाएगा।

क्या कहते हैं प्रमुख सचिव वन

प्रमुख सचिव वन संजीव सरन से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि कार्रवार्इ् की जा रही है। एक-दो दिन में पता चल जाएगा।



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