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रोहिंग्या मुद्दे पर घिरने लगा म्यांमार, कई देशों ने हिंसा रोकने को कहा
न्यूयार्क : ब्रिटेन की अगुवाई में कई देशों ने न्यूयार्क में म्यांमार सरकार के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा को रोकने और उन्हें सहायता पहुंचाने का आग्रह किया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर इस बैठक में बांग्लादेश, इंडोनेशिया, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडेन, डेनमार्क और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निक्की हेली शामिल हुईं। यह बैठक ब्रिटिश सरकार की पहल पर हुई।
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ब्रिटेन के अनुसार, सभी देशों ने म्यांमार से हिंसा समाप्त करने, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अबाध रूप से मानवीय सहायता पहुंचाने और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के प्रस्तावों को लागू करने के लिए कहा।
24 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र रखाइन सलाहकार आयोग ने म्यांमार सरकार के समक्ष रोहिंग्या अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय के बीच समस्या के समाधान के लिए 88 सिफारिशों को पेश किया था।
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ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, "इसमें कोई शक नहीं है कि हाल में म्यांमार ने लोकतंत्र की तरफ सराहनीय प्रगति की है लेकिन रखाइन प्रांत में हिंसा, मानवाधिकारों का कुचला जाना, देश की प्रतिष्ठा पर दाग है।"
जॉनसन के अनुसार, यह बहुत आवश्यक है कि देश की नेता आंग सान सू की और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिंसा की घटनाएं बंद हों।
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उन्होंने एक बयान में कहा, "मैं हमारी वार्ता और बैठक में म्यांमार के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के शामिल होने से बहुत उत्साहित हूं, लेकिन अब हमें यह देखना है कि हिंसा को रोकने और तत्काल मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए क्या किया जाता है।"
निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका म्यांमार के अधिकारियों से सैन्य कार्रवाई रोकने और नागरिकों के सुरक्षित अपने घर वापस लौटने के आग्रह करता रहेगा।
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उन्होंने अपने बयान में कहा, "हमने जमीनी स्तर पर अभी तक कोई भी प्रगति नहीं देखी है और हम वहां से लगातार हिंसा की खबरें सुन रहें हैं।"
अगले सप्ताह होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में देशों के लिए म्यांमार संकट अहम मुद्दा होगा।
संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के जातीय संहार और मानवता के विरुद्ध संभावित अपराध के लिए विश्व समुदाय को चेताया था।
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म्यांमार में 25 अगस्त को उग्रवादी समूह के सैन्य चेकपोस्ट पर हमले में 12 सुरक्षाकर्मियों की मौत के बाद फैली हिंसा में करीब 415,000 रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पलायन कर गए।
म्यांमार रोहिंग्या को अपना नागरिक नहीं बल्कि बांग्लादेशी प्रवासी मानता है और उन पर कई तरह की पाबंदिया लगा रखी हैं।