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RSS को भारत माता की जय बोलने वाले मुस्लिम भी स्वीकार
आगरा: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी पहुंच हर गांव तक बनाने के लिए हर घर से रोटी कलेक्शन का कार्य शुरू किया है। पनवारी में चल रहे प्रांतीय शिक्षा वर्ग के माध्यम से आरएसएस गहरी पैठ बना रहा है। वहीं हर उस मुस्लिम परिवार से भी रोटी ली जा रही है जो भारत माता की जय बोलने को तैयार है।
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गांवों में पहुंच बनाने में जुटा आरएसएस
-ब्रज प्रांत के शिक्षा वर्ग में रोटियों के लिए ऐसे गांवों का चयन किया गया है, जहां आरएसएस की पहुंच या तो है ही नहीं या कम है।
-इन गांवों में स्वयंसेवक जाकर अपना उद्देश्य बताते हैं, तो परिवार भी जुड़ते चले जाते हैं।
-‘तेरी रोटी और मेरी दाल’ के माध्यम से संघ ने विस्तार की नई कदमताल शुरू कर दी है।
-पनवारी में चल रहे प्रांतीय शिक्षा वर्ग के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) गहरी पैठ बना रहा है।
-सर्व समाज के चुने हुए आसपास के 60 गांवों से स्वयं सेवक प्रशिक्षणार्थियों के लिए रोटियां एकत्रित होती हैं, जबकि सब्जी और दाल प्रशिक्षण स्थल पर ही बनती है।
गौसेवा के लिए भी बच जाती हैं रोटियां
-संघ के प्रचार प्रमुख और प्रांतीय संघ शिक्षा वर्ग के अतिथि प्रमुख मनमोहन निरंकारी बताते हैं कि हर घर का बहुत सहयोग मिल रहा है।
-रोज इतनी रोटियां आती हैं कि गौसेवा के लिए भी बच जाती हैं।
भारत माता की जय बोलने वाले मुस्लिम भी स्वीकार
-स्वयंसेवक हर जाति और धर्म के लोगों की रोटियां स्वीकार रहे हैं।
-मुस्लिम समाज के भी उन घरों से रोटियां स्वीकारी जा रही हैं, जो भारत माता की जय बोलने को तैयार हैं।
क्या कहना है कलेक्शन टीम के सदस्य का
-रोटी कलेक्शन टीम के अजित चाहर बताते हैं कि लोग कहते हैं कि इससे बेहतर क्या होगा कि हमारे घर की रोटियां पूरे प्रांत के लोग खाएंगे।
-कुछ लोग संघ की कार्यशैली को जानने के इच्छुक भी दिखाई देते हैं।
-हर घर से 20 से 25 रोटी का लक्ष्य रहता है।
-लगभग 400 प्रशिक्षणार्थियों के लिए प्रतिदिन सुबह और शाम दो हजार से अधिक रोटियां आती हैं।