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सपा की संसदीय बोर्ड की बैठक, RS में रामगोपाल की जगह नए नाम पर चर्चा
लखनऊ: नोटबंदी के बाद रविवार को समाजवादी पार्टी कार्यालय में संसदीय बोर्ड की बैठक हुई है। हालांकि इस बैठक में क्या हुआ है इसकी जानकारी नहीं मिल सकी। इस बैठक में प्रोफेसर रामगोपाल की जगह पर राज्यसभा में सपा के नए नेता के नाम पर चर्चा हो सकती है। बता दें कि राज्यसभा में सपा के नेता रहे रामगोपाल यादव को पार्टी ने निकाल दिया है। मुलायम सिंह की अध्यक्षता में यह बैठक हो रही है। इसमें मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव समेत कई नेता पहुंचेे हैं। इसमें मुलायम सिंह की गाजीपुर में होने वाली रैली पर भी चर्चा हो सकती है ।
बैठक में क्या हो सकता है खास?
सपा के राज्यसभा नेता के तौर पर बैठक में संजय सेठ या रेवती रमण सिंह का नाम तय हो सकता है। साथ ही सदन में सचेतक बदलने का भी फैसला किया जा सकता है। संसद का शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से है। ऐसे में नोटबंदी को आर्थिक इमरजेंसी बताने वाली सपा संसद में इसके पुरजोर विरोध के तौर-तरीकों पर चर्चा करेगी।
क्या हो सकती है रणनीति?
नोटबंदी से आम लोगों को हो रही दिक्कतों के अलावा यूपी सरकार से भेदभाव का मुद्दा भी सपा संसद में जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है। यूपी को आर्थिक मदद में कटौती को लेकर कई बार वह आवाज उठा चुकी है। इसके अलावा विधानसभा चुनावों में पार्टी अपने अंदरूनी कलह और पारिवारिक विवाद को किनारे रखकर किस तरह उतरे, इसे लेकर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
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रामगोपाल पर लगे थे आरोप
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने 23 अक्टूबर को रामगोपाल यादव को 6 साल के लिए सभी पदों (राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता) से ओर पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसे मुलायम सिंह यादव की तरफ से अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रविवार को शिवपाल यादव ने कहा,”रामगोपाल यादव का लेटर अब तक सभी ने पढ़ लिया होगा। यह सब मुख्यमंत्री समझ नहीं पा रहे हैं। वह अब तक तीन बार बीजेपी के बड़े नेता से मिल चुके हैं। ऐसा उन्होंने सीबीआई से बचने के लिए किया। यादव सिंह मामले में उनके बेटे अक्षय और बहू के खिलाफ CBI जांच चल रही है। रामगोपाल बीजेपी के एजेंट हैं। नेताजी का अपमान हममें से कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने भ्रम फैलाकर बिहार में गठबंधन तुड़वाया। मेरे खिलाफ भी रामगोपाल यादव ने खूब साजिश की है। पार्टी के हित में उन्होंने एक भी काम नहीं किया है।”
और क्या बोले शिवपाल ?
-प्रोफेसर रामगोपाल अगर अपने ज्ञान का इस्तेमाल पार्टी को बढ़ाने में करते तो अच्छा होता।
-उनका रवैया तानाशाही हो चुका था। वह भ्रष्टाचारियों से मिल गए हैं।
-स्वार्थ के लिए रामगोपाल यादव ने कई हथकंडे अपनाए। नेताजी और पार्टी को धोखा दिया है।
-सीबीआई से अपने परिवार को बचाने के लिए रामगोपाल ने यह सब किया।
-यह पूरी तरह से बीजेपी से मिल गए हैं और उनके लिए काम कर रहे हैं।
-नेताजी और समाजवादी पार्टी को कमजोर करने में उन्होंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।
-सपा के कार्यकर्ताओं को अपमानित और उनका शोषण किया। मैंने हमेशा से ईमानदारी से काम किया है।
-हमेशा प्रोफेसर तिकड़म करते रहें हैं। मुख्यमंत्री को यह समझना होगा कि कौन अपना सगा है और कौन पराया।
-बसपा सरकार में जब लोग जेल गए तो यह किसी से मिलने नहीं गए और जनेश्वरजी जब जेल में थे अब उनसे भी मिलने नहीं गए।
-इन्होंने ब्रजभूषण तिवारी समेत समाजवादी नेताओ का अपमान किया, लेकिन अब पराकाष्ठा हो गई है।