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सपा की रजत जयंती: CM अखिलेश के बाद अब शिवपाल यादव की बारी
लखनऊ: यह पोस्टर कुछ कहता है। कुछ नहीं बहुत कुछ कहता है। इसमें गीता भी रामायण भी। महाभारत भी और सियासत भी। इस पोस्टर को रजत जयंती समारोह के मुख्य पंडाल के ठीक बाहर लगाया गया है। इस पोस्टर में मुलायम को कृष्ण और अखिलेश को अर्जुन दिखाया गया है। इस पोस्टर में काले धन को लेकर मोदी पर निशाना साधा गया है तो निशाने पर मायावती भी हैं।
बिन मुलायम सब सून
मुलायम सिंह को इस पोस्टर में 'कृष्ण' तो दिखाया गया है। साथ ही यह भी लिखा है कि 'अगर मैं ना हूं तो सब बिखर जाएगा।' छात्र सभा समाजवादी पार्टी बिहार की तरफ से लगे इस पोस्टर में पार्टी की वर्तमान हालत को भी दर्शाया गया है।
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25 साल की हो गई समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी स्थापना के 25वें साल में प्रवेश कर चुकी है और इस वक्त वो अब तक के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। हालांकि अखिलेश यादव के रोड शो में दिखी पार्टी और परिवार की एकता, काफी कुछ नए और राहत देने वाले संकेत दे रही थी। पर माना जा रहा है कि अब युवा हो चुकी समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के गुट के समर्थक इस कदर उत्साह में हैं कि समारोह में दो-दो हाथ को लेकर भी आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
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बर्खास्त नेताओं का पेंच
अखिलेश यादव की रथ यात्रा की पूरी व्यवस्था और संचालन की जिम्मेदारी पार्टी से बर्खास्त नेताओं ने ही संभाला था। इसे लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने नाराजगी जााहिर की और बीच का रास्ता भी सुझाया था। उन्होंने कहा, निष्कासित नेताओं को पहले नेताजी को अपील लिखनी चाहिए, तभी पार्टी के कार्यक्रम में शिरकत करें। रजत जयंती समारोह में शिवपाल यादव ने इस तरह के नेताओं को लेकर कुछ विशेष रणनीति बनाई है।
समाजवादी पार्टी का समारोह या तीसरे मोर्चे का बेस
पार्टी के 25 साल पूरे होने के समारोह में देश भर से समाजवादी नेता एक मंच पर इकट्ठा हो रहे हैं। इस समारोह में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के आने को लेकर आशंका है। वैसे इस समारोह को 'तीसरे मोर्चे' की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है।
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अतिथियों के लिए 'स्विस कॉटेज'
सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। पूर्व प्रधानमंत्री, वर्तमान और पूर्व कई मुख्यमंत्रियों के आने की वजह से 'स्विस कॉटेज' बनाए गए हैं। वहीं तीन चक्र की सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
अमर प्रेम या इश्क-ए-आजम
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के दो राष्ट्रीय महासचिव आजम खान और अमर सिंह एक बार फिर कैसे एक साथ मंच साझा करेंगे। अमर सिंह को लेकर मुलायम के बोलों ने इन दिनों उनका पलड़ा भारी कर रखा है। वहीं आज़म ने भी जाहिर कर दिया था कि मुस्लिम वोटों को लेकर बहुत ज्यादा निश्चिंतता अच्छी नहीं है। यानी सुबह 9 बजे से 3 बजे तक के छह घंटे में एक्शन, ड्रामा, सियासी नसीहत सब कुछ होगा, ऐसा तय माना जा रहा है।
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