अधूरी रही शाहजहां की आखिरी ख्वाहिश, बनवाना चाहता था काला ताजमहल

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Published on: 4 May 2016 4:41 AM GMT
अधूरी रही शाहजहां की आखिरी ख्वाहिश, बनवाना चाहता था काला ताजमहल
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आगरा: मोहब्बत की अनमोल निशानी विश्व प्रसिद्ध ताजमहल जिसे मुगल शहंशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में श्वेत संगमरमर से बनवाया था। शाहजहां यमुना के उस पार महताब बाग में अपने लिए एक काला ताजमहल भी बनवाना चाहता था।

मुगल शहंशाह की ख्वाहिश थी कि अगर यमुना में नाव में खड़े होकर ताजमहल का दीदार किया जाए तो महताब बाग में बने काले ताजमहल के रूप में उसकी परछाई नजर आए। हालांकि शाहजहां का यह सपना अधूरा रह गया।

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लेखक की किताब से हुआ खुलासा

इसका खुलासा लेखक व पत्रकार अफसर अहमद की किताब 'ताज महल या ममी महल से हुआ है। अगर औरंगजेब द्वारा अपने पिता शाहजहां की अंतिम ख्वाहिश पूरी की जाती, तो आज महताब बाग में काला ताजमहल देशी- विदेशी पर्यटकों को अपनी सुंदरता का मुरीद बना रहा होता। मुगलकाल का इतिहास अपने अंदर हजारों रोचक रहस्‍य समेटे हुए है। इतिहास में एक रहस्‍य यह भी है कि अगर औरंगजेब अपने पिता की ख्‍वाहिश पूरी करता तो वह भी एक काला ताज बनवाता।

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22 जनवरी 1666 को हुआ शाहजहां का इंतकाल

लेखक व पत्रकार अफसर अहमद की किताब 'ताज महल या ममी महल के मुताबिक आगरा किले में कैद शाहजहां का इंतकाल 22 जनवरी 1666 को हुआ था। इंतकाल के बाद उन्‍हें दफन करने की तैयारी आनन फानन में होने लगी। इस दौरान रस्‍मों रिवाजों को निभाते हुए शाहजहां की बेटी जहांआरा बेगम के आदेश के खान कलादार और ख्वाजा पूल को गुसलखाना में बुलाया। जहां आरा बेगम की इच्छा के मुताबिक यह दोनों बुजुर्ग लाश को करीब के कमरे में ले गए और उन्हें नहलाया और कफन लपेट दिया। इसके बाद उनके शरीर में चंदन आदि लगाकर शव को संदूक में बंद किया।

दफनाएं तो कहां दफनाएं....

औरंगजेब शाहजहां के शव को आनन-फानन में दफनाने के मूड में थे, लेकिन समझ नहीं पा रहे थे कि क्‍या करें । शव आखिर दफनाएं तो कहां दफनाएं। उस समय सबसे खास बात यह थी कि औरंगजेब को अपने पिता की एक वसीयत मिली थी। उस वसीयत में था कि उन्‍हें ताज के ठीक पीछे मेहताब बाग में दफन किया जाए। औरंगजेब इस उलझन में पड़ गया कि अगर वह ऐसा करता तो ताज के पीछे एक और बड़ी इमारत बनानी पड़ेगी।

उसमें भी इस बात पर ध्‍यान देना होगा कि शाही रिवाज के मुताबिक उसके वालिद का मकबरा उसकी मां से कम न रहे। किताब के मुताबिक उसके पीछे दो कारण थे कि एक तो लगातार लड़ाई से शाही खजाना खाली हो गया था। इसके अलावा दूसरा मकबरे बनाने को वह फिजूल खर्ची मानता था।

अधूरा रह गया शाहजहां के काले ताजमहल का सपना

औरंगजेब के सामने एक मुश्‍किल क्षण था और वह धर्मसंकट में था। उसने शाही उलेमाओं से सलाह मांगी। उसने पूछा कि क्या अगर बाप ऐसी कोई वसीयत करे जो इस्लाम की रोशनी में सही न हो तो क्या उसे मानना चाहिए। उलेमाओं ने कहा कि अगर ऐसा है तो उसे माना जाना सही नहीं है। बस यहीं से औरंगजेब इमारत बनवाने से बच गया।

साथ ही औरंगजेब ने यह भी बात रखी कि उनके पिता मां से बेपनाह मुहब्‍बत करते थे, ऐसे में उन्हें मां के बराबर ही ताज में दफन किया जाए। इसके बाद रस्में पूरी कर शाहजहां को मुमताज के बराबर में ताजमहल में दफ़न कर दिया गया और इसी के साथ शाहजहां के काले ताजमहल के निर्माण का सपना भी अधूरा रह गया।

महताब बाग़ की खुदाई में मिले अवशेष

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण व वर्ल्ड मॉन्यूमेंट्स फंड के सहयोग से मेहताब बाग में खुदाई चल रही है। दोनों में रिवर फ्रंट गार्डन विकसित करने को लेकर करार हुआ है। बाग में करीब २ साल से खुदाई का काम चल रहा है। जुलाई २०१४ में यमुना किनारे स्थित दीवार के सहारे करीब छह मीटर नीचे चूने और लाखौरी ईंटों से बना मुगलकालीन फर्श निकला था। यहां फर्श के नीचे दीवार होने से भव्य स्मारक होने के साक्ष्य मिल रहे हैं।

जानकारों का कहना है कि इसकी निर्माण कला मुगलकालीन है। यहां ऐतिहासिक स्मारक की संभावना जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि आगरा में पड़ने वाली गर्मी को देखते हुए मुगल शासकों ने कई जगहों पर ऐतिहासिक स्मारक बनवाए थे। यहां भी इसी तरह के स्मारक की संभावना जताई जा रही है। यह वही जगह है, जहां काला ताजमहल बनाए जाने की शाहजहां की अधूरी ख्वाहिश की चर्चा हमेशा होती है।

क्या कहना है ताजमहल मस्जिद इंतजामिया कमेटी का

ताजमहल मस्जिद इंतजामिया कमेटी के मुन्नवर अली के मुताबिक मुगल सम्राट शाहजहां अपने सफेद संगमरमर से बने ताजमहल के पीछे यमुना पार काले ताजमहल का निर्माण भी कराना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कई तैयारियां भी कर ली थी। उनकी इस हसरत के पूरा होने से पहले ही औरंगजेब ने उन्हें गिरफ्तार कर आगरा किले में कैद कर लिया। उन्होंने बताया कि महताब बाग़ में खुदाई के बाद जो अवशेष मिल रहे है वो काला ताजमहल की तैयारी के अवशेष हैं।

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