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साल के 364 दिन भी महिलाओं को मिले सम्मानः लक्ष्मी अग्रवाल
लखनऊ: जीवन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया लक्ष्मी अग्रवाल ने, जो एसिड हमले से पीड़ित हैं। 26 वर्षीय लक्ष्मी एसिड अटैक पीड़ितों को सशक्त बनाने और उनमें आत्मसम्मान जगाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही हैं।
लक्ष्मी पर कब हुआ एसिड अटैक
-जब वह केवल 15 वर्ष की थी तब लक्ष्मी पर एसिड हमला हुआ था।
-एक 32 वर्षीय व्यक्ति के शादीके प्रस्ताव को खारिज करने पर उसने एसिड हमला किया था।
-यह उनकी आत्मा को झकझोर कर रख दिया, लेकिन उन्होने हार नहीं मानी।
-वह अपने सपनों को आगे बढ़ाने और इस तरह के सभी पीड़ितों के लिए लड़ने का फैसला किया।
-इसके बाद वह एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), जो भारत में एसिड हमले में जीवित बचे लोगों की मदद करे का गठन किया।
एसिड पीड़ितों के लिए एक छत
लक्ष्मी ने newztrack.com को बताया कि यह तो सिर्फ शुरुआत है और उन्हे अभी इस तरह के लोगों के लिए बहुत कुछ करना है। 2013 में वह दिल्ली में 'स्टॉप एसिड अटैक अभियान' के तहत एक कैफे 'Sheroes हैंगआउट' की स्थापना की।
इस कैफे का मुख्य उद्देश्य एसिड पीड़ितों को एक छत के नीचे खुशी और प्रोत्साहन का एक ऐसा माहौल देना हैं जिसमें वह अपने खोये हुए आत्मविश्वास को दुबारा पा सके। यहां कार्यकर्ताओं में ज्यादातर महिलायें हैं, जो एसिड अटैक की वजह से अपना आत्मविश्वास खो चुकी हैं लेकिन वे सभी बहुत बहादुर हैं और अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही हैं। यही कारण है कि दिल्ली में शुरूआत करने के बाद लक्ष्मी आगरा और लखनऊ में Sheroes हैंगआउट कैफे की दो और शाखाएं स्थापित करने में सफल रही। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राजधानी के गोमतीनगर में मंगलवार को Sheroes हैंगआउट कैफे का उद्घाटन करेंगे। जो एसिड हमले के शिकार लोगों के लिए गर्व और सम्मान की एक जगह हो जाएगा।
महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा
-लक्ष्मी अग्रवाल एक भारतीय प्रचारक और एक टीवी होस्ट है।
-वह एसिड हमले के शिकार लोगों के अधिकारों के लिए बोलती है।
-उन्होंने कहा कि समाज उसकी तरह पीड़ितों की कम से कम सहायक है।
-लक्ष्मी के अनुसार, सरकारी विभागों के उच्च अधिकारियों पर दबाव डाला जाता है जिससे वह काम नहीं करते हैं।
-उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी टीम को कभी भी सरकार की ओर से सहायता प्राप्त नहीं हुई।
-जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद उनके कैफे का दौरा किया तो उन्हे एसिड हमले के शिकार होने वाले लोगों की पीड़ा का एहसास हुआ।
-लक्ष्मी ने अपना कैरियर 'स्टॉप एसिड अटैक' अभियान के साथ एक प्रचारक के रूप में शुरू किया।
-वह आज की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं, जो इस तरह के हमले के बाद अपने जीवन को समाप्त मानती हैं।
-लक्ष्मी ने कहा, "कोई विपत्ति अपने सपनों का एक विध्वंसक हो सकता है,
-अपने सपनों को आग के हवाले कर उन्हे साकार करना हैं।"
-लक्ष्मी ने यह भी कहा, "महिला दिवस सिर्फ एक दिन नहीं मनाना चाहिए।
-बल्कि साल के 364 दिन भी महिलाओं को सम्मान मिलना चहिए।