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OFFICE OF PROFIT: सोनिया, जया बच्चन भी गंवा चुकी हैं संसद सदस्यता
नई दिल्लीः ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में केजरीवाल के 21 विधायकों के फंसने से साल 2006 में हुए इसी तरह के मामले की यादें ताजा हो गई हैं। उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को संसद की सदस्यता छोड़कर दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था। वहीं, सपा की जया बच्चन की राज्य सभा सदस्यता भी रद्द हो गई थी। ऐसे में संभावना यही है कि इन सभी विधायकों की सदस्यता रद्द हो और दिल्ली में उप चुनाव कराए जाएं।
क्या था मामला?
-सोनिया गांधी सांसद होने के बावजूद कई और लाभ के पद भी संभाल रही थीं। वह इस्तीफा देकर दोबारा चुनाव लड़ीं और संसद पहुंचीं।
-जया बच्चन सांसद होने के साथ ही यूपी फिल्म विकास संघ की अध्यक्ष थीं। उन्हें भी दोबारा चुनाव लड़कर संसद पहुंचना पड़ा।
-जनवरी 2015 में यूपी के विधायकों बजरंग बहादुर सिंह और उमा शंकर सिंह को भी लाभ के पद के मामले में विधायकी गंवानी पड़ी थी।
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क्या होगा केजरीवाल के विधायकों का?
-राष्ट्रपति के बिल को मंजूरी न देने के बाद चुनाव आयोग इन सभी 21 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश विधानसभा अध्यक्ष को भेज सकता है।
-ऐसी सिफारिश मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष को सभी की सदस्यता रद्द करनी पड़ेगी। विधायक खुद भी इस्तीफा दे सकते हैं।
-सदस्यता खत्म होने पर आम आदमी पार्टी के इन सभी विधायकों को उप चुनाव लड़ना पड़ेगा।
-अगर ये अपनी सीट बरकरार नहीं रख पाते, तो दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के सदस्यों की संख्या बढ़ेगी।
-अभी दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के सिर्फ 3 ही सदस्य हैं। ये सभी बीजेपी के विधायक हैं।
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट क्या है?
-संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ए) के तहत सांसद या विधायक ऐसे किसी और पद पर नहीं हो सकता, जहां तनख्वाह, भत्ते या अन्य फायदे मिलते हों।
-कुछ पदों को संसद (सदस्यता को रद्द करने पर रोक) कानून में 1950, 1951, 1953 के जरिए ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे से बाहर किया गया था।
-इस एक्ट को 1959 में लाए गए नए कानून से बदल दिया गया। इस कानून में भी 2006 में बदलाव कर कुछ और पदों को दायरे से बाहर किया गया।
-संविधान के अनुच्छेद 191 (ई) और जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 (ए) के तहत भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में सांसदों-विधायकों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रावधान है।