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कब तक चलेगी बेर केर की सरकार, नितीश के दोनों हाथ में लड्डू, लालू बेहाल
योगेश मिश्र
कह रहीम कैसे निभै बेर केर के संग।
वो डोलत रस आपनो उनके फाटत अंग।।
बिहार की सियासत इन दिनों रहीम के इस दोहे से दो चार हो रही है। लालू और नितीश का बेमेल गठबंधन टूटने की कगार पर है। इसे बचाने के लिए अपने बेटे और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सियासी कैरियर को दांव पर लगाना होगा।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प है कि नितीश कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी इस जंग में आगे बढते हुए चुनाव में जाते हैं, भाजपा से हाथ मिलाकर सरकार बनाते हैं या फिर लालू यादव पिछडों की एकता के नाम पर अपने बेटे का मंत्रिमंडल से इस्तीफा करवाते हैं। ऐसे तमाम सवाल इन दिनों बिहार की सियासत को मथ रहे हैं।
नितीश फायदे में लालू को नुकसान
बिहार में जो कुछ हो रहा है उसमें सीधे तौर पर नितीश कुमार फायदे में और लालू यादव बड़े नुकसान में दिख रहे हैं अगर पिछडों की एकता बरकरार रखते हुए लालू अपने बेटे तेजस्वी के कैरियर को दांव पर लगा भी दें तो लालू के खिलाफ हमला थमने वाला नहीं उनके दूसरे बेटे तेजप्रताप के खिलाफ भी तमाम आरोप हैं।
तेज प्रताप को भी जाना होगा। बिहार विधानसभा में 243सीटें हैं सरकार बनाने के लिए 122 सीटें चाहिए नीतीश कुमार के पास 71 लालू के पास 81 और कांग्रेस के 27 विधायको ने मिलकर सरकार बना रखी है। नितीश के साथ 178 विधायकों का समर्थन हैं इसके अलावा भाजपा के पास 53 आरएलएसपी और एलजेपी के पास 2-2, जीतन राम मांझी की पार्टी हम के पास एक विधायक है। सियासी गणित के मुताबिक अगर जेडीयू को भाजपा, आरएलएसपी और एल जी पी और हम का समर्थन मिल जाय तो आंकडा बहुमत से 7 अधिक हो जाएगा। नितीश कुमार को यही उम्मीद ताकत दे रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लडाई को आगे बढाने में मददगार हो रही है।
भाजपा को भी नितीश की अहमियत का पता
भाजपा भी यह जान चुकी है कि नितीश के बिना उसके पास बिहार में उसके पास पैठ बनाने का अपना कोई रास्ता नही है। कोविंद को समर्थन तथा खुद को प्रधानमंत्री की रेस से बताकर नितीश कुमार यह जता चुके हैं कि भाजपा के प्रति उनके स्टैंड में बदलाव की उम्मीदे कम नहीं हैं
लालू को दबाव में लाने की नितीश की कवायद
हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि नितीश कुमार अलग रास्ता चुनने की जगह लालू को दबाव में लाने के लिए तेजस्वी को बाहर करना चाहते हैं। लेकिन जिस तरह केंद्रीय एजेंसियां लालू और उनके परिवार के भ्रष्टाचार को उजागर करने में जुटी हैं उससे यह साफ है कि अगर नितीश लंबे समय तक लालू के हमकदम रहते हैं तो उनके भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को धक्का लग सकता है।
भाजपा है तैयार
सूत्रों की माने तो नितीश कुमार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की ओर से यह संदेश पहुंचाय जा चुका है कि किसी भी हालत में भाजपा उनकी सरकार चलने देने का मौका जरुर देगी। अगर नितीश कुमार लालू से लड़ते हुए उन्हें सियासी पटखनी देने में कामयाब हो जाते हैं तो वह भाजपा का ही काम करेंगे।
गवर्नर फैक्टर
दिलचस्प यह है कि इन दिनों बिहार के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी कानून के बेहद ज्ञाता हैं उन्हें पता है कि कानून का लाभ उठाने के लिए कानून का ज्ञान होना जरुरी है।