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अपना भारत/न्यूज़ट्रैक Exclusive: वक्फ की CBI जाँच में फंसेगी कई बड़ों की गर्दन
शारिब जाफरी
लखनऊ: शिया व सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों पर बिल्डरों व ठेकेदारों के कब्जे की सीबीआई जांच की आंच कई पूर्व मंत्रियों, धर्मगुरुओं और नौकरशाहों तक पहुंचने की संभावना है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के छह नामित सदस्यों को बर्खास्त कर दिया है। सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य डॉ. सैयद एजाज अब्बास ने अपनी जांच रिपोर्ट में शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 1200 करोड़ रुपये सालाना का घपला हुआ है। इसमें मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को रामपुर की वक्फ संपत्ति दिए जाने की बात सामने आई है। यूपी में शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की सपत्तियों को औने पौने दाम में बेचे जाने का खुलासा होने के बाद योगी सरकार ने मामले की सीबीआई जांच कराए जाने की सिफारिश की है।
वक्फ बोर्ड के पास एक लाख 30 हजार एकड़ जमीन : यूपी में शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के नाम एक लाख तीस हजार एकड़ जमीन दर्ज है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति 40 हजार एकड़ में जबकि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति 90 हजार एकड़ में फैली हुई है। सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य एजाज अब्बास की रिपोर्ट में हुए खुलासे के अनुसार वक्फ बोर्ड को 1200 करोड़ रुपए सालाना का चूना लगाया जा रहा है।
गोरखपुर से गाजियाबाद तक वक्फ संपत्तियों को औने-पौने दाम में दे दिया गया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक गोरखपुर में जुम्मन साहब के इमामबाड़ा स्टेट की 300 बीघा जमीन का सालाना किराया मात्र 4000 रुपया प्रतिवर्ष आमदनी के तौर पर दिखाया जाता रहा। बाद में इस जमीन को बेच दिया गया जबकि यह जमीन शहर के बीचोंबीच होने के कारण काफी कीमती थी। अब्बास की जांच रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक हो गई है कि 300 बीघा जमीन बिल्डरों के हाथों बेच दी गयी है जिस पर आलीशान शॉपिंग कॉम्लेक्स बनकर तैयार हो गए हैं।
वर्ष 2014-2015 में सबसे ज्यादा घपला : प्रदेश में अखिलेश राज के दौरान 2014-15 में वक्फ सम्पत्तियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया गया। रामपुर में टाण्डा ईदगाह की जमीन को एक रुपया सालाना लीज पर तो मस्जिद कोना की 28 बीघा जमीन भी एक रुपया सालाना लीज पर दे दी गई।
यह संपत्तियां मौलाना अली जौहर ट्रस्ट को दी गई है। कुछ इसी तरह सुन्नी यतीमखाना वक्फ की 11 एकड़ जमीन एक रुपया सालाना की दर से 30 साल की लीज पर रामपुर पब्लिक स्कूल को दे दी गई। इसी तरह 300 एकड़ की भूमि एक रुपया सालाना की दर से मौलाना अली जौहर ट्रस्ट को 30 साल की लीज पर दी गयी है। इस तरह की घपलेबाजी लखनऊ, पीलीभीत, रायबरेली, बरेली, कानपुर और गाजियाबाद में भी गयी है जिससे वक्फ बोर्ड को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
कब्रिस्तान बाउंड्रीवाल के 1200 सौ करोड़ का पता नहीं : उत्तर प्रदेश सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड में घपलों की परतें हैरान कर देने वाली हैं। सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अभिलेखों के मुताबिक प्रदेश में 1200 कब्रिस्तान हैं। कब्रिस्तान की बाउंड्रीवाल के लिए पूर्व की अखिलेश सरकार ने 1200 करोड़ का फंड रिलीज किया था। जांच के दौरान लखनऊ में 80 कब्रिस्तान और रामपुर में 400 कब्रिस्तान की बाउंड्रीवाल तैयार किये जाने का दावा झूठा पाया गया है।
एजाज अब्बास कहते हैं कि रामपुर में 400 कब्रिस्तान दिखाकर 400 करोड़ रुपये जिले को आवंटित किए गए थे मगर मौके पर कब्रिस्तान की बाउंड्रीवाल का काम कहीं नजर ही नहीं आया।
वक्फ बोर्ड कर्मियों को साल से नहीं मिली सेलरी : शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के कारिंदों को लम्बे वक्त से सैलरी नहीं मिल रही है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों को एक वर्ष से तो सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों को नौ महीने से पगार नहीं मिली है। यह हाल तब है जब वक्फ बोर्ड के पास एक लाख 30 हजार एकड़ जमीन है।
एजाज अब्बास की जांच रिपोर्ट को आधार मानें तो शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की 40 हजार एकड़ भूमि शहरी क्षेत्रों में है जबकि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की 90 हजार एकड़ जमीन शहरी और देहात क्षेत्र में है। जिस बोर्ड के पास एक लाख 30 हजार एकड़ भूमि प्रदेश भर में फैली हुई हो उसकी एक लाख रुपये प्रतिमाह की आमदनी हैरान करने वाली है।
इन जिलों में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति : शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की सबसे अधिक संपत्ति लखनऊ, रामपुर, बाराबंकी, जौनपुर, बिजनौर, आगरा, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, इलाहाबाद, अलीगढ़, रायबरेली, कानपुर, और वाराणसी में हैं जबकि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की लखनऊ, बाराबंकी, कानपुर, गोरखपुर, बरेली, पीलीभीत, सहारनपुर, वाराणसी, रामपुर, हरदोई और इलाहबाद में वक्फ सम्पत्तियां हैं। इन सम्पत्तियों का बड़ा हिस्सा शहर में है।
क्या है वक्फ अलल-औलाद : यूपी में दान की गई वक्फ सम्पत्तियों की देखरेख दो तरह से होती है। पहले तरीके में वक्फ की संपत्ति की देखरेख का जिम्मा धर्म से ही जुड़े किसी भी व्यक्ति को मुतवल्ली बनाकर दिया जाता है,जबकि वक्फ अलल-औलाद की देखरेख वक्फकी संपत्ति की देखरेख करने वाले की औलाद (बेटे) द्वारा की जाती है। इन स्थितियों में वक्फ संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज होती है।
रिकार्ड से हुई छेड़छाड़ करने का आरोप : सेव वक्फ इंडिया के उपाध्यक्ष रिजवान मुस्तफा कहते हैं कि वक्फ सम्पत्तियों को कूटरचित दस्तावेज तैयार कर नुकसान पहुंचाया गया है। ऐसे में सीबीआई जांच के बावजूद असल गुनहगारों का पकड़ में आना संभव प्रतीत नहीं रहा है। वे कहते हैं कि दस साल पहले रिटायर हो चुके रहमत आज भी वक्फ बोर्ड में कार्यरत हैं जो किसी के भी हस्तलेख से मिलता-जुलता हस्तलेख तैयार करने में माहिर हैं। उन्हीं के जरिये कागजों में हेराफेरी की गई है जिसकी वजह से असल गुनहगार बच सकते हैं। वैसे बहुत से अभिलेख ही वक्फबोर्ड से गायब कर दिए गए हैं।
सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य बोले-बचना मुश्किल : सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य डॉ. सैयद एजाज अब्बास ने शिया और सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड में हुए घपले की प्रारम्भिक जांच के बाद मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। अब्बास कहते हैं कि जो दस्तावेज हाथ लगे हैं उससे आरोपियों का बच पाना मुश्किल है क्योंकि जांच के दौरान जिस तरह के अभिलेख सबूत के तौर पर पेश किये गए हैं उनसे बड़े घपले खुलकर सामने आ गए हैं। उनका मानना है कि सीबीआई जांच के बाद वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के साथ मुतवल्ली, नौकरशाह और मौलवी भी सलाखों के पीछे होंगे।
रिजवी बोले, मामले की सीबीआई जांच हो : शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी पर वक्फसम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगता रहा है। रिजवी कहते हैं कि वे इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कई सालों से करते रहे हैं। वे कहते हैं कि मौलवियों से पार पाना उनके बस में नहीं है। वसीम कहते हैं कि वक्फ सम्पत्तियों में जो भी घपला हुआ है वो मुतवल्लियों और मौलवियों ने किया है। उन्होंने कोई संपत्ति नहीं बेची है।
मौलाना कल्बे पर वक्फ सम्पत्ति बेचने का आरोप : शिया धर्मगुरु व इमामे जुमा लखनऊ मौलाना कल्बे जवाद नकवी पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लग चुका है। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने 35 सम्पत्तियों को चिन्हित कर 1000 करोड़ की वक्फ सम्पत्ति बेचने का आरोप लगाते हुए जांच की सिफारिश की थी। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खान ने एंटी करप्शन से जांच कराने की सिफारिश सीएम को भेज दी थी। लेकिन फाइल सीएम दफतर में ही धूल खाती रह गई। मौलाना पर आरोप था कि बिल्डरों और भूमाफियाओं से सांठगांठ कर वक्फ सम्पत्तियों को मुतवल्लियों ने बेच डाला। इस खेल में मौलाना भी शामिल थे।
यूपी में इन सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने आरोप
वक्फ कब्रिस्तान व मस्जिद सितारा बेगम - आरोपी फतेह अली
वक्फ कब्रिस्तान गिरधारी लाल माथुर रोड मुसाहबगंज, लखनऊ - आरोपी सिकंदर नवाब
वक्फ इनायत बेग तकिया पीर जलील, लखनऊ - आरोपी जुल्फिलकार हुसैन
वक्फ डिप्टी मोहम्मद अजीम न्यू हैदराबाद, लखनऊ - आरोपी महमूद अली खान
वक्फ कब्रिस्तान हकीम मिज्जन, कटरा बिजन बेग, लखनऊ - आरोपी स्व मकबूल हुसैन
वक्फ मिर्जा दबीर मकबरा कब्रिस्तान चौक, लखनऊ - आरोपी गौहर आगा
वक्फ कब्रिस्तान मोहम्मद तकी, लखनऊ - आरोपी सैयद मोहम्मद युसूफ
वक्फ इमामबाड़ा व कब्रिस्तान निजामुद्दौला ठाकुरगंज, लखनऊ - आरोपी मौलाना अंसार हुसैन
वक्फ मकबरा राजिया बेगम-आरोपी मिर्जा मोहम्मद अफजाल
वक्फ मियां दाराब अली खान बाराबंकी-आरोपी वसीम रिजवी
वक्फ जुम्मन साहब इमामबाड़ा स्टेट गोरखपुर-आरोपी अदनान
वक्फयतीम खाना रामपुर-आरोपी आले हसन
शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने मौलाना कल्बे जव्वाद पर इन वक्फ सम्पत्तियों को नुकसान लगाया पहुंचाने का आरोप लगाया है
वक्फ सज्जादिया कदीम व जदीद तहसीनगंज चौराहा, ठाकुरगंज लखनऊ
वक्फ कब्रिस्तान व इमामबाड़ा गुफरानमाब चौक
वक्फ कर्बला बाग मिश्री, ठाकुरगंज लखनऊ
वक्फ तकैया बेगम गेंदखाना
आजमगढ़ में हैं वक्फ की 4093 सम्पत्तियां
आजमगढ़ जिले में वक्फ की 4093 सम्पत्तियां हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन का कहना है कि इस जिले में वक्फ की सम्पत्ति पर न तो कहीं कोई कब्जा है और न किसी तरह का विवाद। वैसे सच्चाई यह है कि सुन्नी वक्फ की शहर के तकिया स्थित कायम शाह की सम्पत्ति पर मैनेजमेंट का लम्बे समय से विवाद चल रहा है।
सुन्नी वक्फ की ही शहर के मध्य स्थित गाजी दलेल खां की कब्रिस्तान की जमीन के बड़े भूभाग पर कब्र खोदने वाले गोरकुल ने कब्जा जमा रखा है। इसका भी मुकदमा चल रहा है। दरअसल, दो-तीन साल पर एक बार जांच के लिए वक्फ बोर्ड के अधिकारी आते हैं और शिब्ली एकेडमी के डाक बंगले में रुकते हैं। वहीं पर वक्फ सम्पत्ति की देख-रेख करने वाले लोग पहुंच जाते हैं और रजिस्टर पर दस्तखत करवाकर नजराना पेश कर देते हैंं।
चल रहा है किरायेदारी का खेल
गोरखपुर में वक्फ की 971 सम्पत्तियां हैं। तमाम सम्पत्तियों पर कमर्शियल बिल्डिंगें बनीं हुई हैं, जिनमें किरायेदारी का खेल अपने चरम पर है। सबसे अधिक सम्पत्ति इमामबाड़ा वक्फ के पास है जो गोरखपुर से लेकर महराजगंज तक फैली है। शहर के मिया बाजार, बकीपुर तक फैली हैं। इन जमीनों पर दर्जनों कमर्शियल भवन बने हुए हैं। सैयद सलार मसूद गाजी के पास 48 बीघे जमीन है लेकिन इनमें से काफी हिस्सा कब्जे की जद में है।
संत हुसैन नगर में अब्दुल गफूर और लाल डिग्गी में चमरू शाह वक्फ के पास भी करोड़ों की सम्पतियां हैं। वहीं शिया वक्फ की सम्पत्ति की बात करें तो रानी आरुफीन्निसा वक्फ के पास शहर के बीचोबीच अरबों की सम्पत्ति है लेकिन सभी पर कब्जा हो चुका है। बकीपुर में कुछ वर्ष पहले कब्रिस्तान की जमीन पर दुकानें बना ली गईं। शहर का दिलेजाकपुर मोहल्ला वक्फ की जमीन पर बसा हुआ बताया जाता है। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी और सहायक आयुक्त वक्फ धर्मदेव त्रिपाठी का कहना है कि शासन से वक्फ सम्पत्तियों का कोई रिकार्ड नहीं मांगा गया है। न कोई विवाद लंबित है।
भूमाफिया ने बेच दी वक्फ की सम्पत्ति
गोंडा जिले में सुन्नी वक्फ अवकाफ 12 हैं। गोंडा नगर के सिविल लाइन क्षेत्र में दो स्थान पर वक्फ संपत्तियों का नामो निशान ही मिट चुका है। करीब आधा दर्जन वक्फ संपत्तियों का हाईकोर्ट व विभाग में विवाद चल रहा है। ऐसी वक्फ संपत्तियां भी हैं जिन्हें आज तक चिन्हित ही नहीं किया गया। नगर के सिविल लाइन क्षेत्र में प्रधान डाकघर चौराहे के पास करीब 20 बीघा वक्फ की जमीन को भू-माफिया ने कागजों में हेराफेरी अलग-अलग लोगों को बेच दी है।
लोगों ने नए नए मकान बना लिए। इसकी शिकायतें भी हुईं लेकिन सब मामला फाइलों में दफन हो गया। शहर के मोहल्ला पंत नगर स्थित गोंडा-लखनऊ रोड पर दो बड़ी संपत्तियां मकबूल अहमद अलल औलाद के नाम से दर्ज हैं। एक भवन में आयकर विभाग ने किराए पर ले रखा है जब कि दूसरा भवन निर्वाचन कार्यालय ने किराए पर ले रखा है। इन दोनों अवकाफ का हाईकोर्ट में मुकदमा चल रहा है। इस भवन को हड़पने की फिराक में लगे लोग तथाकथित मकान मालिक बने घूम रहे हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अािकारी एस.के. सिंह का कहना है कि कई वक्फ सम्पत्ति पर विवाद है जिसका मामला हाईकोर्ट में चल रहा है।
यहां तो हैं हजारों शिकायतें
मेरठ में वक्फ संपत्तियों से संबंधित हजारों शिकायतें हैं। नौचंदी स्थित वक्फ संपत्ति कई बार शिकायतें किये जाने के बाद भी बेची और खुर्द-बुर्द की जा रही है और निर्माण कार्य भी चल रहा है। सीबीआई जांच होती है तो मेरठ में कई सौ करोड़ की जमीन की खरीद फरोख्त के राज उजागर होंगे। कोतवाली क्षेत्र के इमामबाड़ा निवासी शहजाद अब्बास नकवी का दावा है कि वर्ष 1939 में उसके दादा सैय्यद असगर हुसैन ने नंगलाताशी में करीब 42 बीघा जमीन अपने बेटे करबलाई अब्बास नकवी के नाम से वक्फ की थी।
आरोप है कि कागजातों में हेराफेरी कर 50 करोड़ की जमीन मात्र 15 करोड़ में बेच दी गयी। जांच के बाद कंकरखेड़ा थाने में वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी,इंस्पेक्टर मुंतजिर,जिया अब्बास,अख्तर अब्बास, दानिश अब्बास,अमर इंटरप्राइजे,अब्दुल वाहिद,मोबीन कुरैशी,गुलाम सैयदीन रिजवी कथित प्रशासनिक अधिकारी वक्फ बोर्ड, उत्सव, राहुल, दस्तावेज लेखक मूलचंद मित्तल तथा सब-रजिस्ट्रार चतुर्थ विकास शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। एक अन्य मामला अब्दुल्लापुर गांव का है,जहां 1967 सैयद मोहम्मद वक्फ की करीब सौ बीघा जमीन को दो अलग-अलग हिस्से में बेच दिया गया। बाद में सैयद मौहम्मद के ही परिवार वालों ने हाईकोर्ट में मुकदमा किया।
बिल्डर हो रहे मालामाल
रायबरेली जिले में सुन्नी वक्फ की 2804 व शिया की 117 संपत्तियां है। तमाम संपत्तियों पर अवैध कब्जे हैं। पिछले वर्ष शहर के बैरहना में कब्रिस्तान की जमीन को लेकर काफी विवाद हो चुका था। कब्जे की नियत से पहुंचे लोगों को खदेडऩे के लिए ईट-पत्थर भी चले थे। मौके पर प्रशासन ने पहुंचकर मोर्चा और बुलडोजर चलवाकर किसी तरह शांत कराया। इसी तरह गोरा बाजार निकट बस्तेपुर में समाज के लोग ही वक्फ संपत्तियों पर कब्जे के इरादे से निर्माण कराना चाहा। रसूलपुर के कब्रिस्तान में कब्जे को लेकर विवाद चल रहा है।
ऑल इंडिया उलमा एंड मसायज बोर्ड के जिलाध्यक्ष मो. मोबीन का कहना है कि शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड भ्रष्टाचार में लिप्त है। मुतवल्ली कमेटी बनाने में हेराफेरी करके जमीनों को हथिया रहे हैं। अनेक वक्फ सम्पत्तियों पर वर्ष 2007 से खुर्द बुर्द करने का आरोप बोर्ड के दो बार सदस्य रहे मौलाना हमजा हसनी नदवी पर लगता रहा है।
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