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सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को दिया आदेश- बेची जाए सहारा की प्रॉपर्टी

Admin
Published on: 29 March 2016 4:08 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को दिया आदेश- बेची जाए सहारा की प्रॉपर्टी
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) को आदेश दिया है कि सहारा सुब्रत रॉय की प्रॉपर्टी बेची जाए। कोर्ट ने कहा है कि अगर बोली न्‍यूनतम सर्कल रेट के 90 फीसदी से कम हो तो वह संपत्ति नहीं बेचे। ऐसी स्थिति में सेबी को सुप्रीम कोर्ट से अगला आदेश लेना होगा। मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

मार्च 2014 से जेल में बंद सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा की दो कंपनियों की बिक्री की मंजूरी सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों का धन वापस करने के संबंध में एक अंतरिम आदेश जारी किए जाने के आग्रह के साथ दायर सेबी की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया है।

इस याचिका में संकटग्रस्त सहारा समूह की दो कंपनियों की बिक्री के लिए रिसीवर की नियुक्ति की अपील की गई थी, जिससे 36,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाकर निवेशकों का भुगतान किया जा सके।

दो साल से तिहाड़ में सहारा

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और सहारा की कंपनियों के दो अन्य डायरेक्टर रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी भी 4 मार्च, 2014 से जेल में हैं।

सहारा के पास अरबों की प्रॉपर्टी

-मुंबई-पुणे हाइवे से 30 किमी दूर सहारा समूह के तीन मुक्त प्लॉट, 1747 एकड़ के हैं और इनकी कीमत 11, 000 करोड़ रुपए बनती है।

-सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय की लंदन में करोड़ों पाउंड की संपत्ति है। सुब्रत राय के बड़े बेटे सुशांत राय लंदन के नागरिक हैं।

-मुंबई का होटल सहारा स्टार, फार्मूला वन में कंपनी के 42 फीसदी शेयर और चार विमान हैं।

-लंदन में ग्रोवेनर हाउस होटल, न्यूयार्क प्लाजा तथा ड्रीम न्यूयार्क होटल।

क्यों गए जेल?

-सहारा समूह पर आरोप है कि उसने निवेशकों के 36 हजार करोड़ रुपए नहीं लौटाए हैं।

-2012 में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार सहारा समूह को निवेशकों के पैसे लौटाने को कहा था। लेकिन सेबी और सुप्रीम कोर्ट के कहने पर सहारा समूह टालमटोल करता रहा।

-सुप्रीम कोर्ट ने जब सुब्रत रॉय को अदालत में पेश होने को कहा तो वे आनाकानी करते रहे और कभी अपनी मां की तबीयत खराब होने तो कभी कुछ और कारण बताकर कोर्ट से कई सुनवाइयों पर गैरहाजिर रहे। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कड़ाई बरतते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि वे सुब्रत रॉय को कोर्ट में पेश करें।

-इसके बाद लखनऊ पुलिस ने सुब्रत रॉय को सहारा शहर, लखनऊ से लेकर दिल्ली पहुंची और कोर्ट में पेश किया।

सहारा का दावा

-सहारा समूह यह दावा करता रहा है कि उसने ज्यादातर निवेशकों के पैसे लौटा दिए हैं और पूरे मामले में उसकी देनदारी 5 हजार करोड़ रुपए से कम बची है।

-सहारा के मुताबिक, उसने यह रकम भी सेबी के पास जमा करवा दी है। लेकिन सहारा समूह ने निवेशकों को पैसे किस तरह लौटाए, यह आज तक साफ नहीं हे सका है।

-उसने सेबी को उन निवेशकों के पते दिए थे, जिन्हें पैसा लौटाने का दावा किया गया था।

-जब सेबी ने उन निवेशकों से इस बारे में पूछने की कोशिश की तो कई पते फर्जी निकले थे। इससे सहारा के दावों पर सवाल खड़े हुए।

सहारा की कौन-सी कंपनियां हैं विवाद में?

-सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (SIREC) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (SHIC) का सेबी से विवाद चल रहा है।

-6 फरवरी, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और उनकी दोनों कंपनियों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुए सेबी को सहारा के खाते सीज करने और विवाद में फंसी दोनों कंपनियों की कुल संपत्तियों को जब्त करने को कहा था।

-इस आदेश के बाद 4 मार्च, 2014 को सुब्रत रॉय को जेल भेज दिया गया।

जमानत के लिए जरूरी है रकम चुकाना

-पिछले साल 19 जून को सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2014 से तिहाड़ जेल में कैद सुब्रत रॉय की जमानत को मंजूरी देते हुए यह शर्त लगा दी थी कि रिहाई के लिए उन्हें 5 हजार करोड़ रुपए की बैंक गारंटी और 5 हजार करोड़ कैश जमा करने होंगे।

-रिहाई के 18 महीनों के भीतर 9 किश्तों में 36000 करोड़ रुपए अदा करने होंगे। यही नहीं, रिहाई के बाद सुब्रत रॉय को हर 15 दिन में दिल्ली के तिलक मार्ग थाने में हाजिरी लगानी होगी।

गोरखपुर की प्रॉपर्टी बेचना चाहती है कंपनी

-सुब्रत रॉय सहारा को जमानत दिलाने के लिए 36 हजार करोड़ रुपए की रकम इकट्ठा करने की कोशिश में जुटी सहारा इसके लिए अपनी प्रॉपर्टी बेचना चाहती है।

-सहारा की तरफ से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया गया कि कंपनी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में 44 एकड़ में फैली प्रॉपर्टी को बेचकर 110 करोड़ रुपए इकट्ठा करना चाहती है।

जेल में लिखी किताब

सहारा इंडिया के मैनेजिंग वर्कर और चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा ने अपनी पुस्‍तक ‘लाइफ मंत्रास’ के जरिए जीवन के अनुभवों और चिंतन के आधार पर आम लोगों की समस्याओं पर. लोगों की समस्याओं पर अपने विचार रखे हैं।



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